वाराणसी में 'मेरा हुनर मेरा स्वाभिमान' कार्यशाला में महिलाओं ने सीखे आजीविका के तौर तरीके

वाराणसी जिले में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं उनके उत्पादों को लोकल से वोकल बनाने के लिए विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से महिलाओं को स्‍वावलंबी बनाने के लिए एक कार्यशाला आया‍ेजित की गई।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 05:08 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 05:18 PM (IST)
वाराणसी में 'मेरा हुनर मेरा स्वाभिमान' कार्यशाला में महिलाओं ने सीखे आजीविका के तौर तरीके
महिलाओं को स्‍वावलंबी बनाने के लिए एक कार्यशाला आया‍ेजित की गई।

वाराणसी, जेएनएन। ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं उनके उत्पादों को लोकल से वोकल बनाने के लिए विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से महिलाओं को स्‍वावलंबी बनाने के लिए एक कार्यशाला आया‍ेजित की गई। इसमें साईं इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी एवं डिजिटल इंडिया कारपोरेशन के संयुक्त तत्वाधान में संचालित- रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क, बसनी द्वारा विकास खंड बडगांव के घमहापुर गांव में तीन दिवसीय “मेरा हुनर मेरा स्वाभिमान” विषयक कार्यशाला का समापन गुरुवार को हुआ।

आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के दौर में भी विकास खंड बडागांव के घमहापुर की महिलाएं अपने जीवन की आर्थिक समस्याओं का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। घमहापुर, बड़ागांव की 40 ग्रामीण महिलाओं को फल संरक्षण के अन्तर्गत तीन दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने का अवसर महिलाओं को मिला। घमहापुर गांव में आयोजित इस कार्यशाला में ग्रमीण महिलाओं ने लेमन स्क्वैश, पपाया लड्डू और एप्पल जैम बनाने की विधि सीखी और प्रैक्टिकल में भी भाग लिया।

कार्यक्रम के समापन अवसर पर साईं इंस्टिट्यूट के निदेशक अजय सिंह ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है | इन महिलाओं को अपने घर और आस-पास ही फल संरक्षण से सम्बन्धित सभी सामग्री मिल जा रही है। इससे इन महिलाओं को सस्ते मूल्य पर सामग्री मिलने से अधिक लाभ की सम्भावना रहती है। बताया कि यह कार्यशाला 27 से 29 अक्टूबर 2020 तक आयोजित की गई है। कोरोना काल की चुनौतीपूर्ण उपहार “आर्थिक तंगी एवं बेरोजगारी” का सामना करने के लिए घमहापुर की ग्रामीण महिलाओं ने फल संरक्षण का मार्ग अपनाया है।

अपने-अपने घरों में उपलब्‍ध सामान्य सामग्री का उपयोग कर अपना लघु व्यवसाय शुरू करने के इरादे से कार्यशाला में भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। मां वैष्णो आजीविका स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष नीतू के अनुसार कोरोना के कारण क्या गांव क्या परदेस सभी के घर के पुरुषों का रोजगार छिन गया है, हमें इस आपदा को अवसर के रूप में बदलते हुए अपने हुनर के सहारे अपने सपनों को उडान देने का यह सही वक्‍त है। खाद्य प्रसंस्करण समन्वयक मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि यह प्रशिक्षण तीन दिवसीय कोर्स मोड्यूल पर आधारित था, इस में प्रथम भाग थ्योरी का होता है और द्वितीय भाग में प्रेक्टिक्ल होता है।

परियोजना प्रबंधक अंकित श्रीवास्तव ने कहा कि आत्मनिर्भरता की दिशा में इन महिलाओ का सफर प्रारंभ हो चुका है, उत्पाद बनाने में माहिर होने के पश्चात अपने उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार में उतरने के लिए हमारी और से आपको ऑनलाइन प्लेटफार्म “हुनर-ए-बनारस” की भेंट दी जाएगी। जिसके द्वारा वह अपने उत्पाद आसानी से देश के हर कोने में बेच सकेंगी और उसका मुनाफा सीधे इन महिलाओं के खाते में जायेगा। उक्त कार्यक्रम में खाद्य प्रसंस्करण सहायक राजेश कुमार, समूह अध्यक्ष नीतू वर्मा समेत चार स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सीमा देवी, जयमाला देवी, सरोजा, फुलरा देवी एवं अन्य 34 महिलाओं ने कार्यशाला में भाग लिया।

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