काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : शिव की नगरी में भैरवी को समर्पित गंगा घाट

वाराणसी में गंगा तट स्थित त्रिपुराभैरवी घाट की अपनी विशेष धार्मिक मान्यता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Jun 2018 01:11 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jun 2018 01:11 PM (IST)
काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : शिव की नगरी में भैरवी को समर्पित गंगा घाट
काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : शिव की नगरी में भैरवी को समर्पित गंगा घाट

वाराणसी : गंगा की हिमालय से लेकर गंगा सागर तक की अनुपम छवि में गंगा घाटों की जो कहानियां और परंपराएं जीवंत हैं वह युगों से कही सुनी और गुनी जाती रही हैं। यह सौभाग्य उनका भी है जो गंगा के तट पर संस्कृतियों की समृद्ध परंपराओं में जी रहे हैं और उसको आत्मसात करते हुए आगे आने वाली पीढि़यों को भी देने की कामना और मंशा रखते हैं।

काशी के चौरासी प्रमुख घाटों की मान्यता भी कुछ ऐसी ही है जहां हिंदू धर्म संस्कृति संस्कार के साथ दूसरे धर्मो को भी स्थान मिला है। मगर मान्यता सर्वाधिक बाबा भोले की नगरी में शिव को ही है। गंगा शिव की जटाओं में हैं तो घाटों पर भी शिव और उनसे जुड़े पात्रों को भी घाटों की परंपराएं यहां जीवंत हैं। उन्हीं में सर्व प्रमुख है त्रिपुरा भैरवी घाट जो घाट मे प्रवेश करने वाले मार्ग में स्थित प्राचीन त्रिपुरा भैरवी के नाम पर स्थापित दुर्गा जी के मंदिर के तौर पर सर्व मान्य है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि आस्थावानों ने इस प्राचीन मंदिर का 18 शताब्दी में मंदिर का पुन: निर्माण कराते हुए घाट को पक्का स्वरूप दिया। चूंकि कई लोगों के सहयोग से यह कार्य हुआ लिहाजा श्रेय किसी एक को नहीं जाता। इतिहासकार मानते हैं कि गीर्वाणपदमंजरी के अनुसार घाट को पहले वृद्धादित्य के तौर पर मान्यता थी मगर त्रिपुरेश्वर शिव व रूद्रेश्वर महादेव के कारण ही त्रिपुरा भैरवी का नाम कालांतर में घाट का स्थाई हो गया जो आज भी इसी के तौर पर अपनी पहचान रखता है। घाट स्थित पीपल वृक्ष के पास शिवलिंग व चारो दिशाओं में शक्ति, सूर्य, गणेश और विष्णु की मूर्तिया स्थापित हैं। जबकि अन्य मंदिर में भगवान आदित्य के तौर पर सूर्यदेव की स्थापना है। स्थानीय नागरिक बताते हैं कि बीसवीं शताब्दी के शुरुआत में आस्थावान दयानन्द गिरि की ओर से घाट का जीर्णोद्धार कराने के साथ मठ का भी निर्माण कराया गया। घाट पर हिंदू धर्म संस्कार और रीति रिवाज की मान्यता है साथ ही चैत्र व शारदीय नवरात्रि में आस्थावानों का अधिक जमावड़ा घाट पर होता है। गंगा और उससे जुडे़ कार्तिक माह के विविध आयोजन भी घाट की विशेषता हैं।

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