Republic Day 2021: वाराणसी में तिरंगे गणवेश में गणनायक गणेश नजर आएंगे, लड्डू गोपाल राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे
Republic Day 2021 राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के जोशीले रंग अभी से छलकने लगे हैं नाटीइमली स्थित एलेक्सी इनक्लेव के विशाल आंगन में। होली -दीपावली की तरह ही इनक्लेव के हर फ्लैट में बाकायदा त्योहारी व्यंजनों की सूची बनने लगी है।
वाराणसी, जेएनएन। Republic Day 2021 राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के जोशीले रंग अभी से छलकने लगे हैं नाटीइमली स्थित एलेक्सी इनक्लेव के विशाल आंगन में। होली -दीपावली की तरह ही इनक्लेव के हर फ्लैट में बाकायदा त्योहारी व्यंजनों की सूची बनने लगी है। घरेलू झांकियों के लिए फूल-माला, रंगीन झालरों और सतरंगी रंगोलियों के चटख रंगों के आर्डर पठाए जा चुके हैं। पूजाघरों में विराज रहे देव-विग्रहों के शृंगार के लिए तिरंगे जामा जोड़े व दुपट्टे के सेट मंगवाए जा चुके हैं। सुबह के ध्वजारोहण की सारी तैयारियां पूरी हैं। शाम की मिलन गोष्ठी की शोभा भी खूब निखरे इस गरज से सभी ने बांट ली हैं वे सारी जिम्मेदारियां जो उत्सवी रंगत के लिए जरूरी हैं। लोगों को अब बस इंतजार है 26 जनवरी का जब सभी एक मन-एक प्राण होकर गणतंत्र की अमरता के गीत गाएंगे। फहराएंगे राष्ट्रध्वज और एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर भारत पर्व की सूची में अपना-अपना हिस्सा बटाएंगे।
तिरंगे में सजे गणनायक की मनोरम झांकी
दिलचस्प यह कि राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर छलकते उल्लास के रंगों में उभ-चुभ इनक्लेववासियों के तिरंगे साज शृंगार की बहार तो देखने लायक होगी ही। घर के पूजा गृह में विराज रहे देव विग्रह भी तिरंगे परिधानों व तिरंगे अलंकरणों में सजे-धजे नजर आएंगे। खासकर तिरंगे गणवेश में सजे गणतंत्र के देवता गणनायक गणेश अपने रूप की मनोरम छटा के साथ हर दिल में उतर जाएंगे।
तिरंगा फहराते लड्डू गोपाल की अदा बांकी
वंदनवारों, रंगोलियों, तिरंगी पताकाओं व तिरंगी झालरों से सजे फ्लैटों में सबके प्यारे लड्डू गोपाल की अदा बड़ी बांकी होगी। नन्हें-नन्हें हाथों से राष्ट्रध्वज फहराते कन्हैया की सबसे अव्वल झांकी होगी।
हम देना चाहते हैं संदेश राष्ट्रधर्म का
उत्सव की व्यवस्था से जुड़ी सुधा प्रहलाद अग्रवाल बतातीं हैं कि इनक्लेव के अभिभावक के रूप में सम्मानित भाई श्रीराम महेश्वरी की प्रेरणा से हमने सभी राष्ट्रीय पर्वों को लोक पर्वोें की तरह अपनाया है। सिलसिला कई वर्षों से पारंपरिक रस्म के रूप में निभता चला आया है। इस उत्सवी छटा में साज-सज्जा, ध्वजारोहण, राष्ट्रगान के अलावा त्योहारी व्यंजनों की छनन-मनन, शुभकामनाओं का आदान-प्रदान, रुद्राभिषेक, रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों व स्नेह मिलन के इंद्रधनुषी रंग शामिल हैं। हमें प्रसन्नता इस बात की है कि सबकी इस पहल ने आसपास की कई आबादियों में भी असर दिखलाया है। गति थोड़ी मंथर ही सही पर राष्ट्रीय पर्वों को लोकपर्वों की तरह मनाने के चलन ने क्षेत्र की कई अन्य रिहाइशों में विस्तार पाया है।
अपनी कोशिश है कि...
इस अभियान के प्रणेता सामाजिक कार्यकर्ता श्रीराम माहेश्वरी कहते हैं 'शासकीय औपचारिकताओं में बंधकर रस्म अदायगी तक ही सीमित रह गए राष्ट्रीय पर्व जन उत्सव बनकर लोगों के मन की गहराइयों तक उतरें और अंतस में सोए पड़े राष्ट्रप्रेम के भावों को जागृत करें उसी मंशा से इस अभियान को पहली जमीन दी खुद अपने घर में। यह एकल प्रयास ठहरे हुए पानी में फेंका गया पत्थर साबित हुआ। हिलोरें उठीं तो पूरी सोसायटी के सामूहिक उत्सव बन गए सभी राष्ट्रीय पर्व। प्रयासों की शृंखला की अगली कड़ी में कोशिश है कि देवालयों को भी राष्ट्रीय पर्वों से जोड़ा जाए विशिष्ट अनुष्ठानों व साज-सज्जा शृंगार के विभिन्न उपादनों के जरिए एक बंधन और तोड़ा जाए।