विद्यार्थियों में दिखा देश प्रेम का जज्बा, देखा 39 जीटीसी के मोटीवेशनल सेंटर में युद्ध संग्रहालय

निजी विद्यालय के बच्चों ने मंगलवार को 39 जीटीसी के मोटीवेशनल सेंटर में युद्ध संग्रहालय देखा।

By Edited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 02:15 AM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 08:26 AM (IST)
विद्यार्थियों में दिखा देश प्रेम का जज्बा, देखा 39 जीटीसी के मोटीवेशनल सेंटर में युद्ध संग्रहालय
विद्यार्थियों में दिखा देश प्रेम का जज्बा, देखा 39 जीटीसी के मोटीवेशनल सेंटर में युद्ध संग्रहालय

वाराणसी, जेएनएन। निजी विद्यालय के बच्चों ने मंगलवार को 39 जीटीसी के मोटीवेशनल सेंटर में युद्ध संग्रहालय देखा। सेना के अधिकारियों ने बच्चों को बताया कि वह कैसे भारतीय सेना का हिस्सा बन सकते हैं। इसके लिए कब-कब कौन कौन सी परीक्षाएं आयोजित होती हैं। सेना के अधिकारियों ने बच्चों को कई तरह के हथियार और उपकरण भी दिखाए। उनमें वे हथियार भी शामिल थे जिन्हें युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने दुश्मन सेना से छीना था। अधिकारियों ने बच्चों को यह भी बताया कि ये हथियार कब और कैसे इस्तेमाल किए जाते हैं।

इससे स्कूली बच्चे काफी उत्साहित थे। सेना के अधिकारियों ने बताया कि बच्चों को यह संग्रहालय दिखाने का मतलब था नो योर आर्मी। हमारी कोशिश थी कि जब तक बच्चे अपनी सेना के बारे में नहीं जानेंगे तब तक वह वीरता के बारे में न समझेंगे न जानेंगे। यहां पर सेना के तीनों अंगों के बारे में भी जानकारी दी गयी। इस मोटिवेशनल सेंटर का शुभारंभ वर्ष 2017 में किया गया था।

इसी वर्ष तीन गोरखा राइफल ने अपनी स्थापना के दो सौ वर्ष मनाया था। मालूम हो कि वर्ष 1815 में तीन गोरखा राइफल का और 1817 में नौ गोरखा राइफल का गठन हुआ था। 1950 में दोनों मिल गए। वर्ष 1975 में 39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर वाराणसी में आ गया। इसी गोरखा सैनिकों के बारे में फील्ड मार्शल मानेक शा ने कहा था कि अगर कोई कहता है कि वह मौत से नहीं डरता है तब वह या तो झूठ बोल रहा है या वह गोरखा सैनिक है।

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