बनारस शहर में बंदरों के झुंड की अराजकता चरम पर, नुकसान के साथ जान का भी बढ़ गया खतरा

विभिन्न मोहल्लों के साथ ही दुर्गाकुंड क्षेत्र के कबीर नगर मानस नगर कैवल्यधाम कालोनी ब्रहमानंद नगर सहित एक दर्जन कालोनियों में बंदरों के आतंक से लोग सांसत में हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 04 Jan 2020 04:31 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jan 2020 04:31 PM (IST)
बनारस शहर में बंदरों के झुंड की अराजकता चरम पर, नुकसान के साथ जान का भी बढ़ गया खतरा
बनारस शहर में बंदरों के झुंड की अराजकता चरम पर, नुकसान के साथ जान का भी बढ़ गया खतरा

वाराणसी, जेएनएन। शहर के विभिन्न मोहल्लों के साथ ही दुर्गाकुंड क्षेत्र के कबीर नगर, मानस नगर, कैवल्यधाम कालोनी, ब्रहमानंद नगर सहित एक दर्जन कालोनियों में बंदरों के आतंक से लोग सांसत में हैं। बंदरों ने लोगों की दिनचर्या प्रभावित कर दी है। बंदर अगर गली और मोहल्ले में हैं तो लोग घर से निकलने में डरते हैं, खासकर महिलाएं और छोटे बच्चे। क्योंकि वे बंदर को देखकर ही डर जाते हैं, बंदर उन्हें डराने के लिए उनके कपड़े नोचने और फाडऩे लगते हैं। इतना ही नहीं घरों में घुसकर फल, सब्जी और अन्य खाने के सामान को ले जाकर बर्बाद करते हैं। 

जागरण की टीम शुक्रवार को जब बंदरों का आतंक देखने निकली तो कबीर नगर नगर में अदिति (10 वर्ष) और अंतरा (7) दोनों बहनों को बंदरों ने पहले तो घुड़की दी फिर दोनों के कपड़े नोचने लगे। दोनों के शोर मचाने पर आसपास के लोगों ने उन्हें बचाया। दो दिन पहले ही बंदरों ने कैवल्यधाम कालोनी में उत्पात मचाकर लोगों को परेशान किया था। इस तरह स्थान बदल-बदल कर ये कालोनी के लोगों को परेशान करते हैं। इन पर नियंत्रण के लिए न तो नगर निगम न ही वन विभाग के पास कोई स्थायी व्यवस्था है। 

मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी कर चुके हैं शिकायत

कबीर नगर के रुपेश का कहना है कि बंदरों के आतंक से लोग परेशान हैं। लोगों का स्वच्छंद रूप से चलना मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय रवींद्रपुरी, नगर निगम, वन विभाग के साथ मुख्यमंत्री के पोर्टल भी शिकायत कर चुके हैं। इसके बाद दिसंबर में वन विभाग ने मथुरा से टीम लाकर 25 बंदरों को पकड़ा भी था। इसके बावजूद सैकड़ों की संख्या होने के कारण वे आतंक मचा रहे हैं। 

नगर निगम ने बंदरों को पकड़कर भेजा था जंगल में 

नगर निगम का पशु बंदी विभाग 2015-16 में तीन हजार बंदरों को पकड़ कर जंगल में भेजवाया था। तब से बंदरों को हटाने के लिए नगर निगम की ओर से कोई अभियान नहीं चलाया गया है। कई लोगों की शिकायतों को देखते हुए निगम प्रशासन इस वर्ष बंदरों को पकडऩे वाली टीम को मथुरा से बुलवाने पर विचार कर रहा है। प्रति बंदर 300 रुपये पकडऩे वाली टीम को दिया जाता है।

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