वाराणसी में नई सोच से ही हो सकता है उद्योगों का विकास

सामाजिक नवाचार की विशिष्ट पहचान यह है कि यह अधूरी सामाजिक जरूरतों को पूरा करता है।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 10 Aug 2018 11:21 AM (IST)
वाराणसी में नई सोच से ही हो सकता है उद्योगों का विकास

भारत ने औद्योगिक, वित्तीय और तकनीकी क्षेत्रों में नवाचार के जरिए विश्व में अपनी एक नई पहचान बनाई है। देश में हुए विकास के क्रम को वंचित वर्ग तक पहुंचाने के लिए तथा समावेशी एवं सतत आर्थिक प्रतिमान के आधार को स्थापित करने के लिए सामाजिक नवाचार के एक नए चरण की आवश्यकता है। सामाजिक नवाचार एक शैक्षणिक जांच एवं अभ्यास के विषय के रूप में सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए अद्वितीय संभावनाएं प्रदान करता है।

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नई सोच जो कि मूल्य का निर्माण करती है, वह नवाचार कहलाती है। सामाजिक नवाचार की विशिष्ट पहचान यह है कि यह अधूरी सामाजिक जरूरतों को पूरा करता है। अत: सामाजिक नवाचार सामाजिक समस्याओं के लिए एक प्रभावशाली कुशल, सतत एवं नव समाधान है। जिससे सृजित मूल्य किसी व्यक्ति विशेष की ही नहीं बल्कि पूरे समाज की वृद्धि करते हैं। सामाजिक नवाचार संपूर्ण रूप से उन विचारों एवं समाधानों पर केंद्रित है जो कि सामाजिक मूल्यों का निर्माण करते हैं। सामाजिक प्रभाव को सफलतापूर्वक सभी तक पहुंचा पाना मिशन संचालित उद्यमों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

मिशन संचालित उद्यमी सामाजिक मामलों में आने वाले बड़ी समस्याओं से जूझ रहे है जैसे कि अक्षयपात्रा, सेल्को, गूंज, सेवा, प्रथम और फैब इंडिया सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए कार्य कर रहे हैं। वे उनकी तुलना में बहुत विशाल एवं व्यापक है। इसलिए सामाजिक नवाचार के विकास में तेजी लाना अनिवार्य है। सौभाग्य से भारत में सामाजिक उद्यमी, विशेषज्ञ और बहुत सारे नेतृत्वकर्ता जो कि सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए कार्य कर रहे हैं उनकी संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।

भारत के उद्यमिता विकास नीति के मसौदे में भी सामाजिक नवाचार एवं सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है। जिससे कि बीपीओ बॉटम ऑफ पिरामिड समाज के सबसे निचले तबके को लोगों को भी संबोधित किया जा सके। प्रबंध शास्त्र संस्थान, बीएचयू की ओर से वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

सामाजिक नवाचार नेतृत्व कार्यक्रम एक पहल है, इसके तहत- भारत में प्रबंधन शिक्षा के मूल्यों में वृद्धि करने के लिए कोशिश। प्रबंधन के ज्ञान को पुन: परिभाषित करने के लिए। छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए जिससे कि छात्र बीपीओ पर लोगों के बारे में सोच सकें और काम कर सकें। सामाजिक नवाचार के लिए सामाजिक रूप से संवदेनशील नेतृत्वकर्ता एवं प्रबंधकों को विकसित करने के लिए। अंतत: दुनिया की सबसे चुनौतिपूर्ण समस्याओं को हल करने योग्य परिवर्तनकर्ताओं का निर्माण एवं विकास करने लिए।

यह पहल निष्पादित करने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण, शैक्षणिक अनुसंधान, सामाजिक क्लब सेवार्थ के माध्यम से सामाजिक संवेदीकरण किया जाए।

सामाजिक व्यापार प्लान
प्रतियोगिता उत्थान के द्वारा सतत विपणन और आर्थिक रूप से व्यवहारिक सामाजिक व्यापार की योजना का विकास करना है।

- प्रो. एचसी चौधरी, लेखक प्रबंधशास्त्र संकाय, बीएचयू के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं।

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