वाराणसी: जंगल सरीखे रामनगर औद्योगिक क्षेत्र को बनाया मंगलमय
वर्ष 1983 में एक नौजवान ने उद्यम लगाने की ठानी और शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर इस जंगली इलाके का सफर रोज स्कूटर से तय किया।
पूर्वांचल में उद्योग की स्थिति को और बेहतर करने की जरूरत है, लेकिन आज जो स्वरूप है उसके लिए भी काफी मेहनत उद्यमियों ने की है। सरकार से प्रोत्साहन तो मिला, लेकिन पूर्ण इंतजाम नहीं होने से उद्यम जगत से बेहतर परिणाम नहीं मिले। परिवहन की दृष्टि से तो वाराणसी बहुत ही समृद्ध है। यहां रेल, सड़क, जल और वायु मार्ग से कहीं से भी पहुंचा जा सकता है। जनसंख्या काफी हैं और रोजगार की भी जरूरत लगातार बनी हुई।
ऐसे में जो उद्यमी आगे आएं हैं, उन्होंने एक मानक तय कर दिया। अपने दम पर खुद का कारोबार तो समृद्ध किया ही साथ में कई उद्यमियों को प्रोत्साहित करते रहे। रामनगर औद्योगिक क्षेत्र का आज जो स्वरूप है उसे वरिष्ठ उद्यमी रमेश कुमार चौधरी ने दिया है। अपना उद्यम सफर 1983 से शुरू किए जो आज तक निरंतर जारी है। अपने साथ उद्यमियों को जोड़ते गए और रामनगर औद्योगिक क्षेत्र आज एक मॉडल एरिया के तौर पर सामने है।
1976 में रामनगर औद्योगिक क्षेत्र में उद्योग लगाने का कार्य शुरू हुआ। वक्त बीत गया, लेकिन उद्यम की ठीक से शुरूआत नहीं हो पाई। इस बीच वर्ष 1983 में एक नौजवान ने यहां उद्यम लगाने की ठानी। जंगली इलाका, शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर का सफर रोज स्कूटर से तय करना। गंगा पार कर रामनगर जाने के लिए एक मात्र पीपा का पुल था। पुल को बरसात के कारण चार माह तक बंद भी रखा जाता था।
इन दिनों भी राजघाट से पड़ाव होकर रामनगर का सफर चलता था। वक्त गुजरता गया और रामनगर में उद्यम का विकास होने लगा। बेहतर सड़कें बनी, बिजली की स्थिति सुधरी, संसाधन बढ़ते गए, यहां पर लोग अब रहने भी लगे हैं। यहां लोगों के पांव धीरे धीरे जम गए। आज सालाना टर्नओवर करीब छह सौ करोड़ रुपये के आसपास है। रामनगर में फेज एक और दो में औद्योगिक इकाइयां हैं। रोजगार लगभग आठ हजार लोगों को मिला है।
रामनगर के साथ ही जनपद के अन्य दो औद्योगिक इकाइयों में भी उद्यम को बढ़ाते रहते हैं। चांदपुर और करखियांव में लगातार उद्यम बढ़ रहे। करखियांव में एग्रो इंडस्ट्रीज ने पूरी तरह से पांव जमा लिए हैं। सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठाते हुए राजस्व में वृद्धि किया जा रहा है।
बनारस और पूर्वांचल में उद्योग का विकास तो हो रहा है, लेकिन लोगों को इस दिशा में उद्यम योजनाओं का लाभ उठाना होगा। बैंक से अनुदान, सरकारी प्रोत्साहन और योजनाओं को ठीक से समझना होगा तभी उद्योग को सफल बना पाएंगे। किसी भी उद्योग से कारोबारी को ही लाभ नहीं होता, बल्कि इससे कई लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरती है।
विषम परिस्थिति में भी हिम्मत नहीं हारें: आरके चौधरी
उद्यमी आरके चौधरी के मुताबिक सफलता के लिए मेहनत आवश्यक है। विषम परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारें और कदम बढ़ाएं रखें। बनारस तीर्थ और पर्यटन के लिए जाना जाता है। यहां उद्योग-उद्यम की सख्त आवश्यकता हैं। उपभोक्ता बाजार का फलक व्यापक है। मानव संसाधन भरपूर है, यानी काम करने वालों की कमी नहीं है। यातायात के सभी साधन मिल रहे हैं, तो फिर उद्यम विकास में दिक्कत नहीं है। जरूरत इच्छा शक्ति की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ब्रांड बनारस पर जोर दिया है। ऐसे में बनारस के प्रमुख उत्पादों को विश्व पटल पर लाने की आवश्यकता है। बनारस में फूल-माला, नाव संचालन भी एक छोटा उद्यम हैं। बनारसी साड़ी, लकड़ी के खिलौने, मेटल रिपोजी, ग्लास बीड्स, कॉरपेट, गुलाबी मीनाकारी, सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, पॉटरी, दरी, वॉल हैंगिंग, हैंड ब्लाक प्रिंट, वुड कार्विंग, जरी जरदोजी आदि कुटीर उद्योग फल-फूल रहा।
इसके साथ ही बनारसी रसना की बात ही अलग है, कचौड़ी, जलेबी, लौंगलता, मलइयो, मलई पुड़ी, ठंडई, लालपेड़ा, पान, लंगड़ा आम को बेहतर ढंग से कारोबार के तौर पर स्थापित किया गया है। इन सभी चीजों को नियोजित तरीके से ब्रांड के तौर पर स्थापित किया जाए। पूरे विश्व में बनारसी ब्रांड की धमक हो इस पर सभी के कदम बढ़े और समृद्धि हो।