वाराणसी में डेंगू के अधिकतर मरीजों में देखी जा रही है लिवर में परेशानी, कराएं उपचार

ठंडी का मौसम लगभग शुरू हो गया है। बावजूद इसके अभी भी डेंगू का कहर जारी है। जिले के विभिन्न अस्पतालों में अभी 73 मरीजों का उपचार चल रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बाद डेंगू कुछ अधिक ही आक्रामक हो गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 07:10 AM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 08:47 AM (IST)
वाराणसी में डेंगू के अधिकतर मरीजों में देखी जा रही है लिवर में परेशानी, कराएं उपचार
वाराणसी में डेंगू के अधिकतर मरीजों में देखी जा रही है लिवर में परेशानी

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ठंडी का मौसम लगभग शुरू हो गया है। बावजूद इसके अभी भी डेंगू का कहर जारी है। जिले के विभिन्न अस्पतालों में अभी 73 मरीजों का उपचार चल रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बाद डेंगू कुछ अधिक ही आक्रामक हो गया है। खासबात है कि डेंगू के कुल मरीजों से करीब 40 फीसद के लिवर पर भी असर डाल रहा है। इसके कारण डेंगू, टायफाइड के साथ ही पीलिया के भी से भी ग्रसित हो रहा है। हालांकि तमाम सरकारी अस्पतालों में उपचार भी हो रहीा है। वहीं डेंगू एवं हेपेटाइटिस का हौवा बनाकर मरीजों से धन उगाही भी कर रहे हैं। अभी पिछले दिनों ही एक बड़े अस्पताल में डेंगू से एक मरीज की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ था।

जिले में 170 से अधिक पुष्ट मरीज पाए गए हैं। डेंगू मरीजों का कबीरचौरा स्थित श्रीशिव प्रसाद गुप्त मंडलीय जिला चिकित्सालय, पांडेयपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल, ईएसआइसी सहित सभी सरकारी अस्पतालों में मुुफ्त जांच व उपचार हो रहा है। इसके अलावा बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भी इलाज चल रहा है। आरोप लग रहा है कि निजी अस्पतालों में हजारों रुपये एंठने व मरीज की स्थिति खराब होने पर बीएचयू या अन्य सरकारी अस्पतालों में भेज दिया जा रहा है। खासकर उन मरीजों से अधिक पैसा ऐंठा जा रहा है जिन्हें डेंगू के साथ ही लिवर में भी समस्या बढ़ गई है। हालांकि ऐसे मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं जिनके लिवर पर भी असर पड़ा है। बस सही समय पर अगर डेंगू का उचित उपचार हो जाए तो लिवर की समस्या भी अपने अाप दूर हो जाएगी।

गैस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट एवं कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अभिलाष वीबी बताते हैं कि अक्सर ही डेंगू के वायरस लिवर को भी प्रभावित करते हैं। कारण कि इसमें हेपटोट्रोपिक वायरस भी होते हैं, जो लिवर के इन्जाइम एएसटी व एएलटी को बढ़ा देते हैं। इससे मरीज में पीलिया की के लक्षण आ जाते हैं। डा. अभिलाष बताते हैं कि ऐसे में मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं है। कारण कि जब डेंगू का अापके शरीर से प्रकोप समाप्त होगा तो लिवर की भी समस्या दूर हो जाएगी। उन्होंने बताय कि लिवर ऐसा तंत्र है जो अापको को दुरुस्त करने की क्षमता रखता है। ईएसआसी अस्पताल में इन दिनों डेंगू के 30 मरीजों का उपचार चल रहा है।

सिर्फ एलाइज टेस्ट से ही डेंगू की पुष्टि

जिला मलेरिया अधिकारी डा. शरद चंद्र पांडेय ने बताया कि सिर्फ एलाइजा टेस्ट के बाद ही पाजिटिव पाए जाने पर डेंगू को पुष्ट माना जाता है। इसके अलावा जहां सिर्फ किट से ही जांच में संदिग्ध मानकर डेंगू का उपचार किया जाता है। ऐसे में मरीजों एवं उनके परिजनों को जागरूक होना पड़ेगा कि किसी निजी अस्पताल द्वारा बताए जाने पर ही डेंगू का हौवा नहीं पाल लें। सरकारी अस्पताल में एलाइजा का भी टेस्ट कराएं। उन्होंने बताया कि जिले में अभी तक 170 पुष्ट डेंगू के मरीज मिले हैं। वर्तमान में विभिन्न अस्पतालों में 73 मरीजों का उपचार चल रहा है। बताया कि सबसे अधिक डेंंगू के 18 मरीज पांडेयपुर स्थित पं. दीनदयाल अस्पताल व 10 मरीज बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती हैं।

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