गुजरात से सीखा जैविक खेती का गुर, सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी उपजा रहे अन्न भरपूर

गुजरात से जैविक खेती के गुर सीखकर खेती किसानी को हथियार बनाने वाले सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी धीरेंद्र राय मिसाल बने हुए हैं। जैविक खेती से न सिर्फ भरपूर अन्न उपजा रहे हैं बल्कि दर्जनों किसानों को जैविक खेती की सीख भी दे रहे हैं।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 05:40 AM (IST) Updated:Thu, 03 Dec 2020 09:41 AM (IST)
गुजरात से सीखा जैविक खेती का गुर, सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी उपजा रहे अन्न भरपूर
मऊ के कोपागंज ब्लाक के कसारा गांव में की गई जैविक खेती दिखाते सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी धीरेंद्र यादव।

मऊ, [अरुण राय] । गुजरात से जैविक खेती के गुर सीखकर खेती किसानी को हथियार बनाने वाले सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी धीरेंद्र राय मिसाल बने हुए हैं। वह जैविक खेती से न सिर्फ भरपूर अन्न उपजा रहे हैं बल्कि दर्जनों किसानों को जैविक खेती की सीख भी दे रहे हैं। खेतों में लहलाती उनकी फसलों को देखकर हर किसान उनके जज्बे को सलाम कर रहा है।

सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी धीरेंद्र सिंह कोपागंज ब्लाक क्षेत्र के कसारा गांव के निवासी है। 31 अक्टूबर 2015 में लखनऊ से वह सेवानिवृत्त हुए। रिटायर होने के बाद वह कुरुक्षेत्र जाकर वहां गुरुकुल के प्रधान रहे देवव्रत से जैविक खेती के गुर सीखें।  श्री राय बेहतर कार्य के लिए राष्ट्रपति मेडल भी प्राप्त कर चुके हैं। 2017 से विरासत में मिली खेती की जमीन पर जैविक विधि से खेती करना प्रारंभ किया। वह अपने खेत मे दो बार ही जैविक खाद डालते हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ खेत में 10 किग्रा गाय का गोबर, 10 किग्रा गोमूत्र, एक किग्रा गुड़, एक किग्रा बेसन, 200 लीटर पानी एवं खेत की एक मुटठी मिट्टी एक ड्रम में डालकर तीन दिन तक क्लाकवाइज एक डंडे के सहारे घुमाना होता है। यह कार्य तीन दिन तक पांच मिनट सुबह व शाम को करना होता है। कहा कि चौथे दिन से एक हफ्ते के बीच पूरे खेत मे छिड़काव किया जाता है। उन्होंने बताया कि साल में सिर्फ दो बार जोताई के समय खेत मे छिड़काव करते हैं।

जैविक खाद के अलावा मैंने कभी भी रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नही किया और न ही कोई रासायनिक लिक्विड का छिड़काव किया। बताया कि शुरू में जैविक विधि से खेती करने में फसल की उपज कम हुई लेकिन दो बार फसल कटने के बाद एक बीघे में नौ क्विंटल फसल काट रहे हैं। इस समय अपने 11 बीघे जमीन में जैविक खेती कर शुद्ध अन्न उपजा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले लोग जैविक खेती करते देखकर हंसते थे और उपहास उड़ाते थे लेकिन जब फसल खेतो में लहलहाने लगी तो आस-पास के किसान भी जैविक खेती का गुर सीख रहे हैं। वह धीरे-धीरे शुद्ध अन्न उपजाना शुरू कर रहे हैं।

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