कज्जाकपुरा आरओबी को शासन की हरी झंडी, 100.65 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी

बनारस में प्रस्तावित सबसे लंबे कज्जाकपुरा आरओबी को शासन ने हरी झंडी दे दी है, इसके लिए अनुमानित लागत 100.65 करोड़ रुपये को वित्तीय मंजूरी भी मिल गई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 31 Jan 2019 10:00 PM (IST) Updated:Fri, 01 Feb 2019 10:45 AM (IST)
कज्जाकपुरा आरओबी को शासन की हरी झंडी, 100.65 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी
कज्जाकपुरा आरओबी को शासन की हरी झंडी, 100.65 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी

वाराणसी, जेएनएन। बनारस में प्रस्तावित सबसे लंबे कज्जाकपुरा आरओबी को शासन ने हरी झंडी दे दी है। अनुमानित लागत 100.65 करोड़ रुपये को वित्तीय मंजूरी मिल गई है। सेतु निगम कार्य प्रारंभ करने की तैयारी में जुट गया है। करीब सवा किलोमीटर लंबा यह आरओबी होगा जिससे जीटी रोड पर लगने वाले जाम से निजात मिल जाएगी। 

प्रदेश के राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी के प्रयास से यह संभव हुआ है। यह आरओबी भदऊ चुंगी से लेकर पुराने पुल तक बनेगा जो उत्तर रेलवे के अंडर पास के साथ ही पूर्वोत्तर रेलवे के कज्जाकपुरा को क्रास करेगा। यह पुल दो लेन का होगा। सेतु निगम के अलावा रेलवे को भी आरओबी निर्माण की जिम्मेदारी उठानी है जिसके लिए पत्र लिखा जा चुका है। आम बजट में शामिल रेल बजट के पास होने पर आरओबी के प्रस्ताव को पिंक डायरी में दर्ज कर लिया जाएगा। इसके बाद रेलवे अपने हिस्से का कार्य शुरू करेगा। जाम से परेशान शहर में करीब तीन दशक से कज्जाकपुरा रेलवे ओवर ब्रिज की मांग उठ रही है।

पूर्व की सरकारों में बने प्रस्ताव से जाम की समस्या का मुकम्मल निजात नहीं था। 2017 में जब भाजपा सरकार ने प्रदेश की बागडोर संभाली तो राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने धूल से सनी कज्जाकपुरा आरओबी की फाइल को ठंडे बस्ते से बाहर निकाला। उन्होंने आरओबी की लंबाई बढ़ाते हुए उत्तर व पूर्वोत्तर के रेल लाइनों को क्रास कराते हुए एक बड़ा पुल बनाने का निर्देश दिया। इस पर सेतु निगम ने काम करते हुए फोर लेन का प्रस्ताव तैयार किया लेकिन मौका-मुआयना में फोर लेन पुल का निर्माण संभव नहीं होता देख प्रस्ताव को दो लेन कर दिया गया।  

बोले अधिकारी : शासन से वित्तीय सहमति के बाद निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। इसके लिए रेलवे को भी पत्र लिखा जा चुका है। पिंक बुक में दर्ज होने के बाद रेल प्रशासन भी अपने हिस्से का काम शुरू कर देगा।Ó

संतराज, परियोजना प्रबंधक, सेतु निगम

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