वाराणसी में चिकित्‍सकों को खुद से अधिक मरीजों की चिंता, बुलंद हौसले से जंग जीतने का है जज्बा

वाराणसी में चिकित्‍सकों की टीम कोरोना वायरस से जंग के लिए काफी सक्रियता के साथ जुटी हुई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 23 Mar 2020 11:52 AM (IST) Updated:Mon, 23 Mar 2020 11:52 AM (IST)
वाराणसी में चिकित्‍सकों को खुद से अधिक मरीजों की चिंता, बुलंद हौसले से जंग जीतने का है जज्बा
वाराणसी में चिकित्‍सकों को खुद से अधिक मरीजों की चिंता, बुलंद हौसले से जंग जीतने का है जज्बा

वाराणसी [विनोद पांडेय]। बीते दिनों स्पेन का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें लोग अपने घर से बाहर निकलकर अपनी बालकनी से अपने हीरोज यानी डॉक्टर्स, नर्से और मेडिकल हेल्थ वर्कर्स के लिए तालियां बजाकर उनका धन्यवाद कर रहे थे। लोगों ने सड़कों पर उतरकर 'डॉक्टर्स जिंदाबाद' के नारे लगाए। महामारी कोरोना वायरस दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुकी है। इससे बचाव के लिए कई देशों ने लॉकडाउन कर दिया है। कोविड-19 के लाखों लोग शिकार हैं और हजारों लोगों की इससे मौत हो चुकी है। इस दौरान अगर कोई दिन-रात अपने फर्ज से ऊपर उठकर काम कर रहा है, तो वे हैं दुनियाभर में मौजूद डॉक्टर्स। ये डॉक्टर्स अपने फर्ज के लिए जान भी गवां चुके हैं। लिहाजा, आज हम ऐसे डॉक्टर्स और नर्सेज की बात करेंगे, जो आपदा की इस स्थिति में सबसे आगे खड़े होकर लड़ रहे हैं।

जीत से पहले न रुकेंगे, न थकेंगे

पं. दीनदयाल राजकीय अस्पताल के सीएमएस डा. वीके शुक्ला का जज्बा सातवें आसमान पर है। उन्होंने तय किया है कि कोरोना महामारी से छिड़ी जंग में जीत हासिल करने से पहले न तो रुकेंगे और न ही थकेंगे। उन्होंने मोर्चे की अगुवाई करते हुए चिकित्सकों व सफाई कर्मियों से साफ कहा है कि अपनी निजी परेशानियों को दरकिनार कर जंग में डटे रहें। हर कोई चिकित्सक है तो सभी सफाईकर्मी भी हैं। अलसुबह अस्पताल में आने के बाद देर रात तक घर लौटना हो रहा है। इस दौरान ओपीडी की चुनौतियों के साथ ही कोरोना के लिए आइसोलेशन वार्ड की जिम्मेदारियों को निभाना हो रहा है। सभी डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ व सफाई कर्मियों को अवकाश पर जाने से मना कर दिया गया है।

मेरे साथ परिवार भी हाई अलर्ट पर

रामनगर स्थित लाल बहादुर शास्त्री राजकीय अस्पताल में तैनात डा. एमके यादव कहते हैं कि कोरोना वायरस की रोकथाम में लिए जितना हम हाई अलर्ट पर रहते हैं उतना ही परिवार भी है। सुबह उठकर नाश्ता बनाना और फिर अस्पताल भेजने के साथ ही परिवार के सदस्यों की सलामती के लिए प्रार्थना करते हैं तो वहीं अस्पताल में हर वक्त कोरोना वायरस से पीडि़तों पर मेरी नजरें गड़ी रहती हैं। कोशिश है कि कोई भी पीडि़त उनके पास आता है तो उसे पूरी शिद्दत से अटेंड किया जाए। लक्षण मिलते ही उनको आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करने की तत्परता रहती है। हालांकि अब तक कोई ऐसा नहीं आया जो कोरोना से पीडि़त हो। कहा कि जनसेवा के आगे परिवार का ख्याल ही नहीं रहता। जब घर जाता हूं तो उनकी चिंता होती है। इसलिए अस्पताल से लौटने के बाद सभी कपड़े बाहर ही निकाल कर उसे गर्म पानी में साबुन से धोने का काम करने के साथ ही खुद को सैनिटाइजर से विसंक्रमित किया जाता है। यह रोज की प्रक्रिया है।

देश की खुशहाली में छूटा परिवार

देश में फैल रहे कोरोना वायरस को रोकने के लिए बाबतपुर स्थित लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर कोरोना जांच के लिए तैनात चिकित्सकों की टीम के नोडल अधिकारी व प्रभारी चिकित्सा अधिकारी बड़ागांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डा. शेर मोहम्मद के जज्बे को सलाम किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब से कोरोना का कहर सभी देशों पर छाया है उसी समय से इसकी रोकथाम व बढ़ते मरीजों की पहचान के लिए हम सतर्क हो गए हैं। 23 जनवरी से डाक्टरों की एक टीम बाबतपुर एयरपोर्ट पर तैनात की गई है। नोडल अधिकारी मुझे बनाया गया है। वायरस के चलते कई जिंदगी तबाह हो गई है जिसे देखते हुए हम लोगों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। कर्तव्य निर्वहन के तहत सुबह आठ बजे घर से नाश्ता कर निकल जाता हूं। देर रात तक मरीजों की जांच करने के बाद घर पहुंचता हूं। कपड़ा उतारकर उसकी सफाई के साथ ही हाथ साफ करने के बाद घर के अंदर प्रवेश करता हूं। दोपहर का खाना कभी मिल रहा है तो कभी नहीं। घर में छोटे बच्चे के लिए तनिक भी समय नहीं दे पा रहा हूं। देशवासियों की खुशहाली के लिए परिवार की खुशहाली व जिम्मेदारी छूट सी गई है। फिर भी कोई गम नहीं। हम जैसे तमाम चिकित्सकों के कारण ही बनारस शहर में अब तक कोरोना का कहर नहीं बरपा है।

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