हरि प्रबोधिनी एकादशी पर गंगा स्नान और श्री हरि का ध्यान, तुलसी विवाह का विधान और अनुष्‍ठान

Hari Prabodhini elkadashi 2020 कार्तिक शुक्ल एकादशी पर बुधवार को संसार के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने सृष्टि के नियमानुसार अपनी योगनिद्रा त्याग दी। प्रभु श्रीहरि समेत समस्त देव मंडल के जागरण के साथ प्रकृति ने भी अंगड़ाई ली।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 10:20 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 01:37 PM (IST)
हरि प्रबोधिनी एकादशी पर गंगा स्नान और श्री हरि का ध्यान, तुलसी विवाह का विधान और अनुष्‍ठान
कार्तिक शुक्ल एकादशी पर बुधवार को संसार के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने सृष्टि के नियमानुसार अपनी योगनिद्रा त्याग दी।

वाराणसी, जेएनएन। कार्तिक शुक्ल एकादशी पर बुधवार को संसार के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने सृष्टि के नियमानुसार अपनी योगनिद्रा त्याग दी। प्रभु श्रीहरि समेत समस्त देव मंडल के जागरण के साथ प्रकृति ने भी अंगड़ाई ली। इसे श्रद्धालुओं ने देवोत्थान जकादशी अए रूप में मनाया और श्री हरि के चरणों में नयी फसलों, पुष्प -पत्र का उपहार समर्पित कर कृतज्ञता ज्ञापित किया। रस्म अनुसार श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में हाजिरी से पहले पंचगंगा घाट स्थित मंदिर में भगवान बिंदुमाधव का दर्शन किया।

स्‍नान ध्‍यान के बाद मंदिरों में दर्शन पूजन और दान पुण्‍य के इस पर्व पर लोगों की आस्‍था दोपहर में मंदिर के कपाट बंद होने तक चली। वहीं शाम को मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही तुलसी पूजन और एकादशी की परंपराओं का भी निर्वाह किया जाएगा।  

वास्तव में  मान्यता है कि महादेव ने अपनी नगरी काशी में देवमास कार्तिक अपने ईष्ट भगवान विष्णु को समर्पित कर रखा है। प्रभु के जागरण के साथ ही चातुर्मास का समापन हुआ। यह इस बार मलमास के कारण पांच माह का था। साथ ही अबकी पांच माह से ठप मांगलिक कार्योंं का शुभारंभ हो गया। प्रभु को अर्पित कर भक्तों ने आज ही गन्ने की नई फसल और नए गुड़ का 'नेवान' किया। व्रत पर्व हरि प्रबोधिनी एकादशी  को ले कर उत्सवी माहौल  रहा। सुबह स्नान-ध्यान के लिए लोगों की भीड़ गंगा घाटों की ओर तो गन्ने की नई फसल पटे बाजार में भी पहुंचे। 

एकादशी  स्नान के लिए वैसे तो सभी घाटों पर रही मगर पंचगंगा घाट और घाट के ऊपर प्रतिष्ठित बिंदुमाधव मंदिर के साथ ही दशाश्वमेध घाट,प्रयाग घाट, शीतलाघाट, आरपी घाट, गायघाट, मीरघाट, सिंधिया घाट, अस्सीघाट पर अधिक भीड़ रही। व्रतियों ने स्नान ध्यान के साथ ही तुलसी विवाह के विधान और अनुष्‍ठान भी पूरे किए। जबकि विभिन्‍न मंदिरों में आस्‍था की कतार भी लगी रही और दर्शन पूजन के साथ अनुष्‍ठान भी आयोजित किए गए।  

chat bot
आपका साथी