George Fernandes Birth Anniversary : बनारस में लिखा आपातकाल के खिलाफ आंदोलन का पहला पर्चा

George Fernandes Birth Anniversary (जन्‍म 3 जून 1930 निधन 29 जनवरी 2019) धर्म-अध्यात्म की नगरी काशी ने आपातकाल में जोरदारी से विरोध दर्ज कराया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 05:02 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 05:15 PM (IST)
George Fernandes Birth Anniversary : बनारस में लिखा आपातकाल के खिलाफ आंदोलन का पहला पर्चा
George Fernandes Birth Anniversary : बनारस में लिखा आपातकाल के खिलाफ आंदोलन का पहला पर्चा

वाराणसी [प्रमोद यादव]। George Fernandes Birth Anniversary (जन्‍म 3 जून 1930, निधन 29 जनवरी 2019) धर्म- अध्यात्म की नगरी काशी ने आपातकाल में पूरी जोरदारी से अपना विरोध दर्ज कराया। इसे बल दिया ट्रेड यूनियन और समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडीज ने। आपातकाल विरोधी अभियान का शुभारंभ उन्होंने बनारस से किया। इस निमित्त यहां तीन बार आए। गिरफ्तारी से बचने को जार्ज ने सिख की तरह दाढ़ी-पगड़ी रखी और खुद को खुशवंत सिंह बताते, पुलिस से बचते- बचाते काम करते जाते। उनके आंदोलन में काशी ने भी भरपूर साथ दिया।

दरअसल, काशी में जब राजनीति और आंदोलन की बात आती है तो समाजवाद की तपोस्थली कही जाती है। यही कारण रहा कि देश में जब आपातकाल लागू हुआ तब उड़ीसा में समुद्र तटीय कस्बे गोपालपुर में मौजूद जार्ज पत्नी-बच्चों को वहीं छोड़ कोलकाता होते एक मित्र संग बनारस आ पहुंचे। वर्ष 1975 में 30 जून को राजघाट स्थित गांधी विद्या संस्थान में डेरा डाला। मित्रों संग बैठ कर आपातकाल विरोधी अभियान का खाका खींचा। आंदोलन का पहला पर्चा लिखा। इसे टाइप-साइक्लोस्टाइल कराया और एक हजार से अधिक पते लिख डाले। इसमें उन्होंने आपातकाल को तानाशाही लाने की कोशिश बताते हुए पूरे देश से विरोध का आह्वान किया।

जार्ज फर्नांडीज के संघर्ष के दिनों के साथी समाजवादी नेता विजय नारायण के अनुसार आपातकाल लागू होने के साथ तमाम लोग जेल में बंद किए जा चुके थे लेकिन जार्ज ने अपने स्तर से हर वह नाम याद किया जो बाहर हो सकते थे। पर्चा प्रसारित कराने के लिए उन्होंने विजय नारायण, प्रह्लाद तिवारी, डा. सोमनाथ तिवारी, राधेश्याम सिंह आदि दोस्तों को ढुंढ़वाया और मिलने के लिए संदेश भेजा। सभी छिपते-छिपाते गांधी विद्या संस्थान पहुंचे और अभियान में जान भरने का इंतजाम किया। इसके बाद जार्ज अपर इंडिया ट्रेन के जनरल कोच में दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

दवा के नाम से बनारस आ रही थी डायनामाइट की पहली खेप

आठ मार्च 1976 को विरोधी दलों की जनता मोर्चा सरकार भंग करने के साथ विरोध की आग प्रबल हो उठी। फर्नांडीज बड़ौदा पहुंचे और सरकार का हौसला पस्त करने को डायनामाइट विस्फोट का खाका खींचा। दवा के बाक्स में विस्फोटक बनारस समेत देश भर भेजे जा रहे थे। भनक लगते ही सरकार ने जब्त कर लिया। बनारस के चौक स्थित श्रीराम मेडिकल हाल और उसके संचालक राधेश्याम सिंह के घर बड़ौदा पुलिस ने छापा मारा। परिवारीजनों का उत्पीडऩ के साथ ही राधेश्याम सिंह को गिरफ्तार कर बड़ौदा ले गई। इस मामले में 10 जून 1976 को कोलकाता से जार्ज फर्नांडीज और विजय नारायण समेत उनके साथियों की गिरफ्तारी हुई। उन पर सरकार का तख्ता पलट करने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चेबंदी का मुकदमा भी चला था।

महसूसा पूर्वांचल का दर्द

पूर्वांचल की गरीब गुरबा आबादी का दर्द महसूस करते हुए जार्ज फर्नांडीज ने इसके खिलाफ भी आवाज उठाई। वर्ष 1969 में वाराणसी के पराड़कर स्मृति भवन में प्रेसवार्ता कर उन्होंने बताया कि कैसे गरीबों का बैैंक में जमा पैसा मुंबई में रईसों पर खर्च किया जा रहा। बलिया के बेल्थरा रोड में उन्होंने पूर्वांचल की गरीबी व उपेक्षा, बाढ़ व सूखे के मुद्दे पर युवा सम्मेलन किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय भी गए। 

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