आतंकियों से मासूम की जान बचाने वाले बहादुर जवान पवन के घर पहुंचे सपा के पूर्व सांसद, दी बधाई

श्रीनगर के सोपोर बारामूला में आतंकियों से मासूम की जान बचाने वाले सीआरपीएफ जवान पवन चौबे के गांव गोलधमकवा में शनिवार को सपा के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव पहुंचे और बधाई दी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 04:49 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 06:59 PM (IST)
आतंकियों से मासूम की जान बचाने वाले बहादुर जवान पवन के घर पहुंचे सपा के पूर्व सांसद, दी बधाई
आतंकियों से मासूम की जान बचाने वाले बहादुर जवान पवन के घर पहुंचे सपा के पूर्व सांसद, दी बधाई

वाराणसी, जेएनएन। श्रीनगर के सोपोर बारामूला में आतंकियों से मासूम की जान बचाने वाले सीआरपीएफ जवान पवन चौबे के गांव  गोलधमकवा शनिवार को समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव अपने कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे। वहां उन्होंने जवान के पिता सुभाष चौबे व माता का सम्मान किया।कहा कि देश को नाज हैं पवन चौबे के साहस का इस जवान ने वीरता का परिचय दिया है। जवान के घर जाने के लिए रास्ता न होने के पर उन्होंने जिलाधिकारी से फोन कर सड़क बनवाने की मांग की। जिलाधिकारी ने उन्हें भरोसा दिलाया।इस मौके पर सपा के वरिष्ठ नेता उमाशंकर यादव, राघवेंद्र जायसवाल, रमेश यादव, पूर्व प्रधान बंशराज यादव,कमला यादव,निलेश यादव आदि कई प्रमुख लोग शामिल रहे।

वाराणसी के कमांडो पवन चौबे के बाबा ने पाक-चीन से जंग में लिया था मोर्चा

गोलधमकवा, यह गरथौली ग्राम पंचायत का वही पुरवा (गांव का भाग) है जहां के सीआरपीएफ कमांडो पवन कुमार चौबे ने बुधवार को जान की बाजी लगा श्रीनगर के सोपोर में आतंकियों की गोलियों की बौछार के बीच तीन वर्षीय मासूम की जिंदगी बचाई। पवन कुमार चौबे की माटी और खून भी देशप्रेम से ओतप्रोत है। पवन के बाबा स्व. कमला चौबे ने भी सिग्नल कोर रेजीमेंट की तरफ से 1962 में चीन और 1965-1971 में पाक से हुई जंग में मोर्चा लिया। जबकि उनके भाई सूबेदार स्व. शारदा चौबे 51 बंगाल इंजीनियर यूनिट और सिग्नल कोर से सेवानिवृत्त रामसुरेश चौबे ने 1965-71 की लड़ाई में पाकिस्तान के दांत खट्टे किए। कैंसर पीडि़त रामसुरेश चौबे आज भी उस जंग की दास्तान नहीं भूले हैं। युद्ध का एक-एक वाकया बताते हुए वे नहीं अघाते। इसी परिवार के नागेंद्र प्रसाद चौबे 86 आम्रर्ड रेजीमेंट से सूबेदार पर से रिटायर्ड हैं। इन्होंने भी कश्मीर और नक्सल सहित कई इलाकों में रहकर देश सेवा की। पवन के चाचा हवलदार दुर्गेश चौबे भी सेना के सिग्नल कोर से रिटायर्ड हैं। पवन के परिवार ही नहीं उनके साथ पले-बढ़े व पढ़े बचपन के कई दोस्त भी सेना व अर्धसैनिक बलों में सेवारत हैैं।

ऐसे पड़ा गांव का गोलधमकवा नाम

वाराणसी जिला मुख्यालय से लगभग तीस किमी दूर गाजीपुर की सीमा पर स्थित गरथौली पंचायत के पुरवा गोलधमकवा ने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें भी हिला दी थीं। स्वतंत्रता सेनानियों का पसंदीदा गांव रहा। अंग्रेजी सत्ता की चूलें हिलाने को गांव में गोला-बारूद रखा जाता था। अंग्रेजों ने इसी से गोलधमकवा नाम रखा था। कालांतर में यह पुरवा इसी नाम से ख्यात होता गया।

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