बदहाली : मंडलीय अस्पताल में हर घंटे नहीं बल्कि दिन में एक बार ही लगता है पोछा
वार्ड से लेकर परिसर में चारों तरफ गंदगी है, कुछ स्थानों पर तो हर घंटे सफाई करने का निर्देश है लेकिन एक बार पोछा लगता है जबकि मरीज शिकायत करते रहते हैं।
वाराणसी (जेएनएन) । ज्यादातर बीमारियां गंदगी से फैलती है। चिकित्सक साफ कपड़े पहनने के साथ आसपास सफाई रखने की सलाह देते हैं। अस्पतालों में विभिन्न बीमारियों के मरीज भर्ती रहते हैं ऐसे में वहां ज्यादा सफाई पर जोर रहता है लेकिन मंडलीय अस्पताल में एजेंसी की लापरवाही के चलते सफाई व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। इमरजेंसी, वार्ड से लेकर परिसर में चारों तरफ गंदगी है। कुछ स्थानों पर तो हर घंटे सफाई करने का निर्देश है लेकिन एक बार पोछा लगता है जबकि मरीज शिकायत करते रहते हैं। मंडलीय अस्पताल में जिम्मेदार चिकित्सक और कर्मचारी सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं जबकि पिछले माह दौरे पर आए सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने गंदगी पर नाराजगी जाहिर की थी।
मंडलीय अस्पताल में सफाई व्यवस्था को और दुरुस्त करने के लिए शासन ने जिले स्तर के अस्पतालों में सफाई व्यवस्था प्राइवेट एजेंसियों को दिया है। मंडलीय अस्पताल में एजेंसी को 62 सफाई कर्मियों को रखने का अनुबंध हुआ जिससे सफाई व्यवस्था दुरुस्त रहे लेकिन एजेंसी करीब 36 कर्मियों को रखा है। इसके चलते अस्पताल में सफाई व्यवस्था सही ढंग से नहीं हो पाती है।
सफाई कर्मियों का नहीं कटता पीएफ : नियम है कि एजेंसी के माध्यम से रखे गए कर्मियों का पीएफ कटना चाहिए लेकिन उनका पीएफ कट नहीं रहा है। इतना ही उनके मानदेय का भुगतान आनलाइन नहीं करके रजिस्टर पर दस्तखत कराकर किया जाता है। इससे कर्मियों में आक्रोश है।
नहीं मिलता है कोई किट : सफाई कर्मियों को एजेंसी की तरफ से यूनिफार्म, जूता, हाथ में दस्ताना होने के साथ मुंह पर मास्क होना चाहिए लेकिन शायद ही किसी कर्मी के पास पूरा किट होता होगा।
सुबह आठ बजे नहीं 12 बजे लगता है पोछा : ओपीडी शुरू होने से पहले वहां पोछा लग जाना चाहिए लेकिन ऐसा होता है। ज्यादातर ओपीडी में दोपहर 12 बजे तक पोछा लगता है।
बोले अधिकारी : समय से हर स्थानों पर सफाई होती है। कमी मिलने पर एजेंसी के भुगतान में कटौती की जाती है। सफाई से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। -डा. बीएन श्रीवास्तव, प्रमुख अधीक्षक, मंडलीय अस्पताल।