बलिया के लाल ने आस्ट्रेलिया से मरीजों तक पहुंचाया भोजन, हर माह 100 लोगों को भोजन का लक्ष्‍य

कोरोनाकाल के दूसरे चरण में भयावह होती स्थिति से जहां हर कोई हैरान परेशान और सहमा है वहीं देश के हालात से गैर मुल्क में मौजूद देशवासी भी काफी दुखी है और अपनों के सहयोग के लिए कलेजा चीर कर देने का जज्बा रखते हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 25 Apr 2021 12:34 PM (IST) Updated:Sun, 25 Apr 2021 12:34 PM (IST)
बलिया के लाल ने आस्ट्रेलिया से मरीजों तक पहुंचाया भोजन, हर माह 100 लोगों को भोजन का लक्ष्‍य
अभिषेक कंस्ट्रक्शन इंजीनियर है और कई देशों में विभिन्न कंपनी के साथ काम कर इन दिनों आस्ट्रेलिया में है।

बलिया, विजय मद्धेसिया। कोरोनाकाल के दूसरे चरण में भयावह होती स्थिति से जहां हर कोई हैरान, परेशान और सहमा है, वहीं देश के हालात से गैर मुल्क में मौजूद देशवासी भी काफी दुखी है और अपनों के सहयोग के लिए कलेजा चीर कर देने का जज्बा रखते हैं। ऐसे ही बलिया के एक लाल ने आस्ट्रेलिया से मरीजों तक भोजन पहुंचाया। जी हां, बलिया जनपद के बिल्थरारोड के कुसहांभांड गांव का मूल निवासी और मध्यम परिवार का युवा अभिषेक गत करीब चार वर्ष से आस्ट्रेलिया में अपने परिवार और बच्चे के साथ रहता है। अभिषेक कंस्ट्रक्शन इंजीनियर है और कई देशों में विभिन्न कंपनी के साथ काम कर इन दिनों आस्ट्रेलिया में है।

स्‍वदेश में कोरोना से बिगड़े हालात पर चिंतित अभिषेक का हृदय विचलित हो गया और इंटरनेट पर भारत के समाजसेवी चैरेटिबल संस्था से संपर्क कर नई दिल्ली के सरकारी हॉस्पिटल एम्स और राममनोहर लोहिया हॉस्पिटल में 100 मरीजों तक भोजन उपलब्ध कराया। अभिषेक ने उक्त संस्था से कोरोनाकाल तक हर माह 100 लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने का वादा किया है। इसके पूर्व अभिषेक ने कोरोनाकाल के शुरुआती दिनों में भी देश के पीएम फंड में एक लाख 11 हजार रुपया का चंदा दे चुके है। जिनके सहयोग की जानकारी मिलते ही बलिया जनपद के गृहक्षेत्र के लोगों का भी सीना गर्व से चैड़ा हो गया।

महज 35 रुपया में जरुरतमंदों तक पहुंचा गर्मागर्म भोजन

आस्ट्रेलिया से अभिषेक की अपील और डोनेशन मिलने के बाद महज 35 रुपया प्रति थाली के दर से चैरिटेबल संस्था ने गर्मागर्म भोजन अस्पतालों में जरुरतमंदों तक भोजन पहुंचाया। चेरिटिसम नामक यह संस्था जयपुर राजस्थान के सुधांशु शर्मा के नेतृत्व में युवाओं द्वारा सन 2019 से चलाया जा रहा है। जो पूर्व में सड़क पर घूमने वाले हर तरह के मवेशियों और गरीब बच्चों तक भोजन और स्कूल किट आदि पहुंचाते थे किंतु कोरोनाकाल से ही यह संस्था अब जरुरतमंद बेघर लोगों, और गरीब मरीजों तक पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा रहा है। जिसके कार्यों को पूरे देश में सराहा जा रहा है।

द्वितीय कोरोनाकाल में नहीं दिख रहे मदद करने वाले हाथ

देश में कोरोनाकाल के दूसरे फेज में भयावह हुई स्थिति के बीच जहां हर तरफ आक्सीजन की कमी के कारण लोग दम तोड़ रहे है और आक्सीजन की उपलब्धता को लेकर चिकित्सालयों में सन्नाटा पसरा है। वहीं दो दिन के वीकेंड लाॅकडाउन में दैनिक मजदूरी कर कमाने खाने वाले लोगों के बीच खाने का टोंटा होता जा रहा है। गांवों में तो अधिकांश लोग पंचायत चुनाव के गंवई राजनीति में व्यस्त है और अब सामाजिक संगठन से लगायत शासन-प्रशासन तक का ध्यान गरीबों से पूरी तरह से हट गया है।

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