डीएम ने अपने हाथ में लिया यूपी कालेज का संचालन

वाराणसी : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति डा. पी नाग ने अनियमितता मिलने पर उदय प्रताप कालेज क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Mar 2017 01:09 AM (IST) Updated:Fri, 24 Mar 2017 01:09 AM (IST)
डीएम ने अपने हाथ में लिया यूपी कालेज का संचालन
डीएम ने अपने हाथ में लिया यूपी कालेज का संचालन

वाराणसी : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति डा. पी नाग ने अनियमितता मिलने पर उदय प्रताप कालेज की प्रबंध समिति को भंग कर दिया है। साथ ही जिलाधिकारी को प्रशासक बनाने की संस्तुति की है।

इस क्रम में जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने गुरुवार को प्रबंध समिति के प्रशासक का कार्यभार ग्रहण कर लिया।

जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी जितेंद्र मोहन सिंह को निगरानी रखने का कार्य सौंपा है। कालेज को अब सभी पत्रावली एडीएम सिटी के यहां प्रस्तुत करनी होगी। कोई नया कार्य प्रशासक की अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा। साथ ही कालेज के क्रिया-कलापों, लेखों के संदर्भो की जानकारी भी प्रस्तुत की जाएगी। इसके साथ ही सहायक निबंधक फ‌र्म्स सोसाइटी एवं चिट्स को निर्देश दिया गया है कि वह मतदाता मंडल व साधारण सभा का विवाद निस्तारित कर नौ सप्ताह में नियमानुसार प्रबंध समिति का चुनाव कराए।

विद्यापीठ से 11 दिन में पहुंचा कागजात

कुलपति ने 10 मार्च को यूपी कालेज प्रबंध समिति को भंग कर डीएम को प्रशासक नियुक्त करने की संस्तुति की। इससे संबंधित कागजात विश्वविद्यालय से जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचने में 11 दिन लग गए। 12वें दिन 21 मार्च को डीएम कार्यालय पहुंचा। इसे विश्वविद्यालय द्वारा जानबूझ कर कागजात को रोकने के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है अनियमितता का मामला

कालेज के आजीवन सदस्य एवं दानदाता के उत्तराधिकारी प्रतिनिधि डा. वशिष्ट सिंह और प्राचीन छात्र एसोसिएशन के उपाध्यक्ष आनंद विजय ने कालेज समिति के अवैध होने व वित्तीय अनियमितता की शिकायत की। कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल की। उनका आरोप है कि चेरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के तहत यूपी कालेज की स्थापना 1908 में की गई। संचालन यूपी कालेज एंड हिवेट क्षत्रिया स्कूल इंडाउमेंट ट्रस्ट को दिया गया। 1960 में जमीन के लिए समिति पंजीकृत कराई। इसी समिति ने सरकार द्वारा नामित पदेन सचिव डिप्टी डायरेक्टर शिक्षा को हटा कालेज की सभी संस्थाओं का प्रबंधन शुरू कर दिया। इतना ही नहीं ट्रस्ट के नाम पर आने वाली धनराशि समिति के नए खाते में डाल वित्तीय अनियमितता की जाने लगी। कुलपति ने आदेश में कहा कि यह क्षत्रिया ट्रस्ट के नियमों के खिलाफ है। नवंबर 2013 में प्रमुख सचिव ने भी प्रबंध समिति को भंग करने की नोटिस दी और कहा कि दोहरी प्रबंधन प्रणाली उचित नहीं है।

chat bot
आपका साथी