तलाशीं गलियों में पर्यटन की संभावनाएं
वाराणसी : जरा सोचिए, विदेशी पर्यटक यहां से अपने देश जाते होंगे तो क्या बताते होंगे। यही न कि बहुत है
वाराणसी : जरा सोचिए, विदेशी पर्यटक यहां से अपने देश जाते होंगे तो क्या बताते होंगे। यही न कि बहुत है बनारस का नाम। सुबह देखी और शाम। आमजन का रेला देखा और कार से लगायत ठेला देखा। सारनाथ देखा और गंगा घाट। गलियां देखी ंऔर गलियों के ठाट, लेकिन अब इससे अधिक यहां की जानकारी लेकर जाएंगे और यहां के बारे में बताएंगे। कारण साफ है, लखनऊ में तीन दिनों तक चले यूपी ट्रेवल मार्ट 2015 में शिरकत करने आए विदेशी टूर ऑपरेटरों का एक 45 सदस्यीय दल यहां पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावनाओं को तलाशने आया है।
सुबह-ए-बनारस से शुरुआत
गुरुवार को सुबह-ए-बनारस से दल के सदस्यों ने भ्रमण की शुरुआत की। इसके बाद सभी सदस्यों ने नौका विहार का भी आनंद उठाया। हर प्रमुख घाटों पर गए और यहां की आध्यात्मिकता से प्रभावित भी हुए। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती भी सदस्यों ने देखी। इसके बाद दल भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ की ओर रवाना हुआ। वहां आध्यात्मिक बाग में कुछ समय गुजारने के बाद चौखंडी स्तूप, धमेक स्तूप, मूलगंध कुटी विहार का भी अवलोकन किया।
संकरी गलियों में भी घूमा
दल के सदस्यों ने जब सांस्कृतिक राजधानी की गलियों में घूमना शुरू किया तो हतप्रभ हुए बिना नहीं रह सके। गलियो के इतिहास को भी खंगाला। उनकी लंबाई-चौड़ाई के बारे में भी पूरी जानकारी हासिल की। कुछ गलियों से निकलने के बाद भी पीछे मुड़कर उसे निहारते ही जा रहे थे।
बनारस के लिए और वक्त चाहिए
दल के सदस्यों का मानना है कि बनारस को कुछ दिन में नहीं समझा जा सकता। इसके लिए पर्याप्त समय की जरूरत है। यहां पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया। दल को भ्रमण कराने के लिए क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र मिश्र व पर्यटन अधिकारी दीपांकर चौधरी उनके साथ-साथ थे।