शहर के एक स्कूल से जुड़ी है 10 शहीदों की वीरगाथा

स्वतंत्रता संग्राम में बनारस का नाम कई मामलों में चर्चा में रहा है। यहां के दिग्गज क्रांतिकारी आगे रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Aug 2018 10:53 AM (IST) Updated:Mon, 13 Aug 2018 10:53 AM (IST)
शहर के एक स्कूल से जुड़ी है 10 शहीदों की वीरगाथा
शहर के एक स्कूल से जुड़ी है 10 शहीदों की वीरगाथा

सौरभ चक्रवर्ती, वाराणसी : स्वतंत्रता संग्राम में बनारस का नाम कई मामलों में चर्चा में रहा है। नियमित आंदोलन हुए, संग्राम में कई दिग्गज क्रांतिकारी भी आगे-आगे रहे। शिक्षा की इस नगरी में स्कूल-कालेजों के माध्यम से आजादी की जंग लड़ी गई। इसकी भी अलग-अलग गौरव गाथा है।

बीएचयू व काशी विद्यापीठ तो है ही साथ ही एक स्कूल भी है जो शहीदों के नाम से जाना जाता है। पांडेय हवेली स्थित बंगाली टोला इंटर कालेज से दस ऐसे सेनानी जुड़े रहे जो देश की आजादी में अपना सब कुछ कुर्बान कर दिए। 1854 को वंसत पंचमी के दिन स्थापित इस स्कूल से कई महान शख्स जुड़े रहे। आजादी के दौर में अंग्रेजों के खिलाफ यहां छात्रों व अध्यापकों ने खूब मोर्चा लिया। इस स्कूल के वीर सेनानी छात्र शचींद्रनाथ सान्याल, सुरेंद्र चंद्र भट्टाचार्य, जितेंद्र नाथ सान्याल, प्रियनाथ भट्टाचार्य, रवींद्र नाथ सान्याल, सुरेंद्र नाथ मुखर्जी, विभूति भूषण गांगुली थे। अध्यापकों में सुशील कुमार लाहिड़ी, विजयनाथ चक्रवर्ती व रमेश चंद्र जोयारदार रहे। ये सभी किसी न किसी आंदोलन में शामिल रहे। इनमें सबसे आगे शचींद्र नाथ सान्याल थे। 1893 में कोलकाता में जन्म हुआ था और 1908 में पिता की मौत के बाद वाराणसी आ गए। यह उनका देश को आजाद कराने का संकल्प ही था कि वे महज 15 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई के मैदान में कूद पड़े। छात्र जीवन में वाराणसी में शचींद्र ने न सिर्फ क्रांति की अलख को जगाए रखा बल्कि युवाओं को जोड़कर अनुशीलन समिति बनाई। यह इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि इस समिति ने आजादी की लड़ाई में कितना अहम रोल अदा किया। जंग ए आजादी की रणनीति बनाते रहे और अंग्रेजी हुकूमत को चोट पर चोट देते रहे। बनारस षडयंत्र काड के समय सान्याल का नाम पहली बार पुलिस के रिकॉर्ड में आया। लाहौर काड के बाद वे ब्रिटिश पुलिस की आखों में 8 महीने तक धूल झोंकते रहे फिर गिरफ्तार कर लिए गए। सान्याल को काकोरी काड का दोषी बता कर आगरा जेल में भी रखा गया था। उनके साथ रहे सुशील कुमार लाहिड़ी को मृत्युदंड की सजा मिली। सुरेश चंद्र भट्टाचार्य को काकोरी कांड में सात साल, प्रियनाथ भट्टाचार्य को दो वर्ष कारावास की सजा। जितेंद्र नाथ सान्याल को बनारस और लाहौर षडयंत्र में, रवींद्रनाथ सान्याल व सुरेंद्र नाथ मुखर्जी को बनारस कांड में सश्रम कारावास की सजा मिली। छात्र विभूति भूषण नजरबंद हुए। विजयनाथ चक्रवर्ती व रमेश चंद्र जोयारदार को बनारस से निर्वासन मिला।

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बंगाली टोला इंटर कालेज की ख्याति कई महापुरुषों के कारण है। आजादी के दौर में अध्यापक व छात्र आंदोलन में बराबर सहभाग करते रहे। देश के लिए अपने प्राणों की बलि दी। वीरगाथा को नमन करते हुए इन दस क्रांतिकारियों के नाम एक शहीद वेदी का निर्माण किया गया है। इस वेदी की रोज पूजा कालेज के अध्यापक, अध्यापिकाएं व छात्र करते हैं। प्रमुख दिवस पर इन शहीदों के नाम पर कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

- देवाशीष दास, संयुक्त सचिव, बंगाली टोला इंटर कालेज

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