सैनिक का शव आने पर आंसू पोछने नहीं पहुंचे तो भड़का आक्रोश

संवाद सूत्र, बीघापुर (उन्नाव) : कश्मीर से जम्मू आने के दौरान सड़क हादसे में हुई सैनिक की म

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Nov 2018 11:43 PM (IST) Updated:Thu, 01 Nov 2018 11:43 PM (IST)
सैनिक का शव आने पर आंसू पोछने नहीं पहुंचे तो भड़का आक्रोश
सैनिक का शव आने पर आंसू पोछने नहीं पहुंचे तो भड़का आक्रोश

संवाद सूत्र, बीघापुर (उन्नाव) : कश्मीर से जम्मू आने के दौरान सड़क हादसे में हुई सैनिक की मौत पर शव घर पहुंचने के बाद प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि के घर न पहुंचने से भड़के जनसमुदाय ने अंतिम संस्कार से इन्कार कर नारेबाजी शुरू कर दी। चार घंटे बाद पहुंचे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी आक्रोश का सामना करना पड़ा। बाद में समझाने पर शव का अंतिम संस्कार किया।

थाना क्षेत्र के खेमईखेड़ा निवासी विपिन कुमार जम्मू में सेना के मैकेनिकल कोर में कार्यरत थे। मंगलवार को श्रीनगर से कानबाई के साथ वापस आते समय दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। गुरुवार सुबह कोर के अधिकारी पार्थिव शरीर को लेकर उसके घर पहुंचे। बेटे का शव देख कोहराम मच गया। कोर प्रभारी प्रभात कुमार के नेतृत्व में आई सेना की टुकड़ी ने दिवंगत साथी को सलामी दी और दाह संस्कार के लिए उसके शव को चिता पर रखा। इस दौरान अंतिम दर्शन को मौजूद भीड़ किसी जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी न देख भड़क गई। प्रशासनिक उपेक्षा से भड़के ग्रामीणों ने डीएम के आने के बाद ही अंतिम संस्कार करने की बात कही और नारेबाजी शुरू कर दी। करीब चार घंटे तक शव चिता पर रखा रहा। इस दौरान सीओ और एसओ बीघापुर को भी ग्रामीणों के आक्रोश के आगे पीछे हटना पड़ा। सूचना पर एडीएम बीएन यादव, एएसपी अष्टभुजा प्रसाद ¨सह व एसडीएम सदर पूजा अग्निहोत्री मौके पर पहुंची और मौजूद परिजनों व ग्रामीणों को देरी से आने का खेद व्यक्त कर शांत कराया। अधिकारियों ने प्रदेश सरकार से आर्थिक सहायता भी दिलाने का भरोसा दिलाया। जिस पर सैनिक के बड़े भाई किशोर ने मुखाग्नि दी।

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विधानसभा अध्यक्ष ने बांटा दर्द

- देर शाम विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित भी सैनिक के घर पहुंचे और परिजनों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाकर शहीद के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान भाजपा नेता अरुण दीक्षित, बीघापुर चेयरमैन गो¨वद नारायण शुक्ला, प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार ¨सह, अजय बाजपेई, जगत नारायण त्रिपाठी समेत अन्य मौजूद रहे।

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तहसीलदार को गाड़ी से नहीं उतरने दिया

- सैनिक के अंतिम संस्कार न किए जाने की सूचना पर जैसे ही सदर तहसीलदार दशरथ कुमार मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने सैनिक सम्मान की उपेक्षा की बात कह उनको गाड़ी से उतरने नहीं दिया और नारेबाजी शुरू कर दी। उधर एसडीएम सदर को सैनिक की दुर्घटना में मौत की जानकारी न होने की बात कहना भी महंगा पड़ गया। आक्रोशित भीड़ ने नारेबाजी के साथ उनके वाहन पर हाथ थपथपाया। ग्रामीणों के आक्रोश को देख उन्हें गांव के बाहर लाया गया। बाद में स्थिति सामान्य होने के बाद वह पहुंची।

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परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

- सैनिक की मौत पर माता कमला देवी, पत्नी दीक्षा समेत अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल रहा। मृतक के पिता ने कहा कि वह भी सेना से सूबेदार पद से रिटायर्ड हैं, जबकि बड़ा बेटा भी सेना में इंजीनिय¨रग कोर में ही तैनात है। पूरा परिवार देश के लिए समर्पित रहा पर दु:ख की इस घड़ी में उसे उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। पिता द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से बेटे की स्मारक बनाने की मांग की गई।

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पहले कानपुर फिर पार्थिव शरीर आया गांव

मृत सैनिक विपिन के पिता केशवराम अपनी पत्नी कमला, मां सावित्री देवी, बहू दीक्षा और 10 माह की पौत्री वेदिका के साथ कानपुर के सनिगवां में रहते हैं। देर रात शव पहले कानपुर स्थित घर पहुंचा, जहां परिजन शव देख बिलख उठे। अंतेष्ठि गांव में करने की बात पर परिजनों के साथ गुरुवार सुबह सेना के कोर प्रभारी प्रभात कुमार के नेतृत्व में शव को गांव खेमईखेड़ा लाया गया।

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