धर्मनगरी में प्राणवायु दे रहा 'पीपल'

नैमिषारण्य-मिश्रिख इलाके में हजारों की संख्या में पीपल वन विभाग प्रतिवर्ष कराता है पीपल व बरगद का पौधारोपण

By JagranEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 09:59 PM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 09:59 PM (IST)
धर्मनगरी में प्राणवायु दे रहा 'पीपल'
धर्मनगरी में प्राणवायु दे रहा 'पीपल'

सीतापुर: धर्मनगरी नैमिषारण्य-मिश्रिख क्षेत्र में पीपल प्राणवायु दे रहा है। धार्मिक आस्था से जुड़े पीपल की पूजा भी की जाती है और ग्रामीण पेड़ के नीचे आराम भी करते हैं। खेतों से थककर लौटे किसानों को पीपल की घनी छांव राहत देती है। कोरोना काल में जब आक्सीजन का संकट हुआ तो पीपल, बरगद व नीम के पेड़ों का महत्व सामने आया।

नैमिषारण्य-मिश्रिख इलाके में हजारों की संख्या में पीपल लगे हैं। वन विभाग प्रतिवर्ष कराता है पीपल व बरगद का पौधारोपण। पीपल व बरगद रोपने की अब हर किसी को नसीहत भी दी जाने लगी है। पर्यावरण संरक्षण का सबक भी सिखाया जाने लगा। वहीं नैमिषारण्य क्षेत्र में पीपल व बरगद के पेड़ पहले से ही आमजन को प्राणवायु दे रहे हैं। नैमिषारण्य, परसपुर, लकड़ियामऊ, मड़ारी, भिठौली आदि गांवों सहित चौरासी कोसी परिक्रमा पथ के किनारे भी पीपल व बरगद के पेड़ आमजन को राहत दे रहे हैं। होली से पंद्रह दिन पहले होने वाली चौरासी कोसी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं को भी पीपल के नीचे विश्राम करते नजर आते हैं।

परिक्रमा पथ पर रोपे गए थे दो हजार पीपल:

फारेस्टर एसएन शुक्ला के मुताबिक 2015 में चौरासी कोसी परिक्रमा पथ के दोनों किनारों पर करीब 2000 पीपल के पौधे रोपे गए थे। पौधों की देखरेख की गई। मौजूदा समय में पीपल के पौधे पेड़ बन चुके हैं। परिक्रमा पथ के अलावा आसपास इलाके में भी पीपल के पौधे लगाए गए थे। प्रतिवर्ष होने वाले पौधारोपण में भी पीपल का पौधा रोपा जाता है। इसके अलावा परिक्रमा पथ पर एक हजार बरगद के पौधे भी लगाए गए थे। नीमसार से परसपुर, अरबगंज व औरंगाबाद जाने वाली रोड तक पीपल व बरगद के पेड़ों की संख्या अधिक है।

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