नियम दरकिनार, बिना रिनीवल चल रहीं 124 क्लीनिक
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नंबर गेम
169 प्राइवेट क्लीनिक हैं
69 नर्सिंग होम हैं
40 पैथोलॉजी हैं
42 नर्सिंग होम हैं शहर में
80 क्लीनिक हैं शहर में
19 पैथोलॉजी हैं शहर में
30 अप्रैल आखिरी होती है रिनीवल के लिए
45 क्लीनिक का अब रिनीवल हुआ अब तक
40 नर्सिंग होम का रिनीवल हुआ अब तक
10 पैथोलॉजी का रिनीवल हुआ अब तक सीतापुर : जांच से लेकर अच्छा इलाज का दावा कर मरीजों से मोटी रकम ऐंठने वाले प्राइवेट अस्पताल, पैथोलॉजी, क्लीनिक के संचालकों में कार्रवाई का कोई खौफ नहीं है। वह बेधड़क होकर अपनी दुकानें चला रहे हैं। पैसे कमाने की चाहत में इनके लिए नियम-कानून भी मायने नहीं रखते हैं। जी हां, ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि तारीख निकल जाने के बाद भी लाइसेंस रिनीवल न कराकर की जा रही मनमानी इसकी तस्दीक कर रही है। सेहत महकमे की कार्रवाई भी सिर्फ रस्म अदायगी का हिस्सा बनकर रह गई। जिम्मेदार नोटिस देने तक ही सीमित हैं।
जिले में 169 प्राइवेट क्लीनिक, 69 नर्सिंग होम और 40 पैथोलॉजी है, जिसमें शहरी इलाके में 42 नर्सिंग होम, 80 क्लीनिक, 19 पैथोलॉजी हैं। ये रिकार्ड साल 2018 का है, जिनका लाइसेंस स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत हैं। जानकारों की माने तो हर साल इनका रिनीवल कराना पड़ता है। नवीनीकरण के लिए हर साल के अप्रैल माह की 30 तारीख आखिरी होती है। तारीख निकल चुकी है। 13 दिन अधिक हो चुके हैं, लेकिन अभी तक सभी का रिनीवल नहीं कराया जा सका है। लाइसेंस रिनीवल के लिए अब तक सीएमओ दफ्तर क्लीनिक के 45 पत्र, नर्सिंग होम के 40 पत्र, पैथोलॉजी के 10 पत्र ही पहुंच सके हैं। नियमानुसार इनका रिनीवल हो गया है, लेकिन क्लीनिक, पैथोलॉजी, नर्सिंग होम मिलाकर कुल 183 लोगों ने 13 दिन गुजर जाने के बाद भी अभी तक बिना नवीनीकरण के ही चला रहे हैं, ये लोग इतना वक्त बीत जाने के बाद भी नियम-कानून को दरकिनार कर दुकानें चला रहे हैं।
ये हाल तब है, जब हाल में ही स्वास्थ्य टीम ने शहर में नर्सिंग होम, क्लीनिक पर छापेमारी कर नोटिस जारी की थी, लेकिन इसके बाद भी संचालकों ने रिनीवल कराने की जुर्रत नहीं की। इसको लेकर अब स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई के मूड में आ गया है। एसीएमओ डॉ. सुरेंद्र शाही बताते हैं कि जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। लाइसेंस सस्पेंड की भी कार्रवाई हो सकती है। रिनीवल के लिए 17 बिदुओं की देनी होती है रिपोर्ट
नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियन, शैक्षणिक डिग्री, बेड संख्या, पिछले साल का लाइसेंस नंबर, टेक्नीशियन, अनुभव प्रमाण पत्र, फायर ब्रिगेड की एनओसी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट, बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण की एनओसी समेत 17 बिदुओं पर रिपोर्ट तैयार कराकर सीएमओ दफ्तर में जमा करना होता है।