राजकीय नलकूपों का नहीं कोई पुरसाहाल
क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में लगा राजकीय नलकूप बेमतलब साबित हो रहा है। कहीं तकनीकी खराबी के चलते नलकूप बंद हैं, तो कहीं पर नाली की समस्या खेतों में पानी पहुंचाने में बाधा बन रही है। वासा, लटिया, गौहनिया, हल्लौर, बनगवां आदि गांव के नलकूप केवल दिखावा बने हुए हैं।
सिद्धार्थनगर : क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में लगा राजकीय नलकूप बेमतलब साबित हो रहा है। कहीं तकनीकी खराबी के चलते नलकूप बंद हैं, तो कहीं पर नाली की समस्या खेतों में पानी पहुंचाने में बाधा बन रही है। वासा, लटिया, गौहनिया, हल्लौर, बनगवां आदि गांव के नलकूप केवल दिखावा बने हुए हैं। क्षतिग्रस्त नालियां व तकनीकी खराबी से खेतों तक पानी नहीं पहुंचा पा रहे हैं। शासन-प्रशासन द्वारा नलकूपों को ठीक कराने एवं किसानों को सस्ती ¨सचाई सुविधा उपलब्ध कराने का दावा तो किया जाता है, परंतु विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण सारे दावे हवा-हवाई साबित हो जा रहे हैं। मो. रजा व जावेद का कहना है, कि नलकूप की खराबी की वजह से जब भी खेतों को पानी की आवश्यकता होती है, निजी संसाधन का सहारा लेना पड़ता है। राजेश व ओम प्रकाश ने कहा कि खराब नलकूपों को ठीक कराने के साथ क्षतिग्रस्त नालियों की भी मरम्मत की जाए, जिससे सुविधाएं मिलना आसान हो जाए।
जेई नलकूप विनोद कुमार गौड़ ने कहा कि हल्लौर व बनगवां में कुछ तकनीकी खराबी है, जबकि अन्य स्थानों पर नालियों की समस्या है। जल्द ही समस्या का समाधान कराया जाएगा।