निजी बाजार में मिट्टी के मोल किसानों की उपज

जिले में सरकारी धान खरीद के लिए क्रय एजेंसी निर्धारण के साथ- साथ लक्ष्य भी तय हो चुका है बावजूद क्रय केंद्रों के ताले नहीं खुल रहे हैं। वहीं धान का प्राइवेट बाजार भी मंदा चल रहा है। यहां धान की कीमत सरकारी रेट से लगभग छह सौ रुपया प्रति क्विंटल तक कम है। फसल कटाई शुरू हो चुकी है लेकिन बाजार भाव सुनकर किसान सकते में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 10:28 PM (IST) Updated:Mon, 19 Oct 2020 10:28 PM (IST)
निजी बाजार में मिट्टी के मोल किसानों की उपज
निजी बाजार में मिट्टी के मोल किसानों की उपज

सिद्धार्थनगर : जिले में सरकारी धान खरीद के लिए क्रय एजेंसी निर्धारण के साथ- साथ लक्ष्य भी तय हो चुका है, बावजूद क्रय केंद्रों के ताले नहीं खुल रहे हैं। वहीं धान का प्राइवेट बाजार भी मंदा चल रहा है। यहां धान की कीमत सरकारी रेट से लगभग छह सौ रुपया प्रति क्विंटल तक कम है। फसल कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन बाजार भाव सुनकर किसान सकते में हैं। कहीं उनकी गाढ़ी कमाई मिट्टी के मोल न बिक जाए।

जिले में 55 हजार मिट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य पूरा करने के लिए 92 सरकारी धान खरीद केंद्र संचालित किए गए हैं, बावजूद अधिकतर केंद्रों पर अभी सरकारी खरीद नहीं हुई है। वासा धान क्रय केंद्र सोमवार को बंद मिला, वहीं रगड़गंज स्थित एक व्यापारी की दुकान पर एक हजार रुपया प्रति क्विंटल पर खरीद होती पाई गई। सरकारी खरीद के लिए आनलाइन पंजीकरण जैसी व्यवस्था लागू है, लेकिन अधिकतर छोटे किसान इस प्रक्रियाओं से बचने के लिए प्राइवेट हाथों ही उपज बेंचते हैं। प्रत्येक वर्ष सरकारी और प्राइवेट बाजार के रेट में बामुश्किल 100-150 रुपये प्रति क्विटल का फासला रहता था, लेकिन बार अंतर कुछ अधिक ही है। सरकारी रेट जहां 1868 व 1888 रुपये निर्धारित है वहीं अढ़ातिए 1050 - 1150 रुपये क्विंटल का ही रेट दे रहे हैं। किसान पेशोपेश में हैं कि इस बार बाजार को क्या हो गया जो फसल कटते ही रेट इतने नीचे जा पहुंचा।

दुर्गेश कुमार, रेहान मलिक कहते हैं कि कम जोत वाले किसान अढ़ातियों को ही उपज बेचते हैं क्योंकि उन्हें कम मात्रा में ही बिक्री करनी होती है। पिछले वर्ष सरकारी व प्राइवेट के रेट में मामूली अंतर था, लेकिन इस बार प्राइवेट में दाम काफी कम है, किसानों की नुकसान उठाना पड़ेगा। संजय, पंकज कहते हैं कि बाजार की हर वस्तु मंहगी है, लेकिन किसान के खेत का अनाज पैदा होते ही बेमोल हो गया है। व्यापारियों की यह मिलीभगत है। प्रशासन जांच करे कि पंजीकृत कारोबारी इतने कम रेट पर खरीद कैसे कर रहे हैं। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि मंडी में आने वाला धान सरकारी रेट पर हर हाल में खरीदा जाए। लाइसेंस धारी कारोबारी कम रेट पर खरीद नहीं कर सकते। वहीं निर्धारित सरकारी क्रय केंद्र अगर नहीं खुल रहे हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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