इंडो-नेपाल बार्डर पर बसे गांव में बिजली न पानी, रास्ता भी है बदहाल

विकास की राह देख रहा ककरदरी गांव अव्यवस्थाओं से जूझ रहे ग्रामीण

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 09:54 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:05 AM (IST)
इंडो-नेपाल बार्डर पर बसे गांव में बिजली न पानी, रास्ता भी है बदहाल
इंडो-नेपाल बार्डर पर बसे गांव में बिजली न पानी, रास्ता भी है बदहाल

संसू, जमुनहा (श्रावस्ती) : इंडो-नेपाल सीमा पर बसा हरिहरपुररानी ब्लॉक का ककरदरी गांव विकास की राह देख रहा है। सड़क, सफाई, बिजली, पानी की अव्यवस्थाओं में जूझ रहे इस गांव के लोग खानाबदोश जीवन जीने को मजबूर हैं।

ब्लॉक का यह अकेला गांव है जो सीमा से सटा है। तहसील मुख्यालय से 35 व ब्लॉक मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव को पांच किलोमीटर रास्ता जंगलों की पगडंडियों से होकर जाता है। राप्ती बैराज से ककरदरी गांव तक खड़ंजा का निर्माण करवाया तो गया, लेकिन इस की बदतर स्थिति के कारण लोगों को खड़ंजे के रास्ते के बजाय पगडंडी वाले रास्ते का सहारा लेना पड़ता है। तकरीबन तीन हजार आबादी वाले इस गांव में वर्ष 2011 में विद्युतीकरण कराया गया था, लेकिन वन विभाग के विरोध के कारण यहां आज तक बिजली आपूर्ति नहीं हो सकी। इससे लोगों को सोलर लाइट का सहारा लेना पड़ता है। वर्ष 2017 में पीने योग्य पानी के लिए गांव में दो पानी टंकी का निर्माण कराया गया, मगर उसका संचालन आज तक नहीं हो सका। गांव में अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हैं। साफ-सफाई बदहाल है। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां पर सफाई कर्मी कभी नहीं आता। लगभग पांच साल हो चुके हैं, यहां की सफाई व्यवस्था ठप पड़ी है। नालियां चोक हो चुकी हैं। गांव में इंटरलॉकिग का कार्य वर्ष 2012-13 में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रुकमणी देवी द्वारा कराया गया था, जो पूरी तरह से टूट चुका है। रोड पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। गांव के राजू यादव, चितई, फकीर मुहम्मद, इरफान, राजे यादव, फुन्नू, सुनील ने बताया कि गांव के विकास के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाता है, लेकिन उनकी अर्जी को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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