कमजोर हो रही है जिले में मिट्टी की सेहत

जिले में मिट्टी की सेहत लगातार कमजोर हो रही है। तीन सालों में एक लाख से अधिक नमूनों की जांच की गई। पता चला कि मृदा में जिक और सल्फर की मात्री कम हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 06:26 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 06:26 PM (IST)
कमजोर हो रही है जिले में मिट्टी की सेहत
कमजोर हो रही है जिले में मिट्टी की सेहत

जेएनएन, शामली: जिले में मिट्टी की सेहत लगातार कमजोर हो रही है। तीन सालों में एक लाख से अधिक सैंपल की जांच की गई। पिछले एक साल में कृषि विभाग ने 1142 नमूनों की जांच कराई है। जांच में पता चला कि मिट्टी में जिक, सल्फर की कमी है। कार्बन की मात्रा भी असंतुलित है। मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, आक्सीजन, हाइड्रोजन, कार्बन, जिक, आयरन, कापर, मैग्निशियम, बोरान, क्युप्रस, मैग्नीज, मोलिब्डेनम समेत 16 तत्व होते हैं। आक्सीजन, कार्बन और हाइड्रोजन तो पौधे को वायुमंडल व जल से मिल जाते हैं। अन्य शेष तत्वों के लिए पौधे भूमि पर ही निर्भर रहते हैं।

मुख्य पोषक तत्वों

की होती है जांच

मिट्टी की जांच के लिए कैराना में प्रयोगशाला है। मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर की यहां पर जांच हो जाती है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच कराने के सैंपल सहारनपुर की प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं। पूर्व में शासन को प्रस्ताव दिया था कि कैराना की लैब में सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच की व्यवस्था भी हो, लेकिन अभी कोई निर्णय हुआ है।

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पीएच मान भी कुछ बढ़ा

यूरिया के अधिक इस्तेमाल से भूमि का पीएच मान भी बढ़ रहा है। औसत मानक 6.5 से 7.5 तक होना चाहिए। अधिकांश सैंपल की रिपोर्ट में पीएच 7.5 से अधिक है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार पीएच औसत से कम या ज्यादा होने यानी दोनों स्थिति में फसल उत्पादन प्रभावित होता है।

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एक लाख से अधिक

सैंपल की जांच

उप निदेशक कृषि डा. शिवकुमार केसरी ने बताया कि जिले में तीन सालों के भीतर 1.07 लाख किसान मिट्टी की जांच करा चुके हैं। सभी को मृदा परीक्षण कार्ड दिए गए हैं। सभी पर विस्तार से सुझाव लिखे रहते हैं कि क्या-क्या उपाय करने हैं।

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कृषि वैज्ञानिक की सलाह

कृषि विज्ञान केंद्र शामली के वैज्ञानिक डा. विकास मलिक का कहना है कि जिक, सल्फर के साथ ही पोटाश की कमी भी देखने को मिल रही है। किसान यूरिया और डीएपी का तो खूब प्रयोग करते हैं, लेकिन सूक्ष्म पोषक तत्व और सल्फर, पोटाश पर ध्यान नहीं दिया जाता है। सल्फर की कमी को पूरा करने के लिए जिप्सम का प्रयोग बेहतर है। जमीन का पीएच मान भी नियंत्रित रहता है। जिक की कमी के लिए बाजार में जिक सल्फेट मिलता है। इसी तरह पोटाश और सभी पोषक तत्व के पैक भी बाजार में उपलब्ध हैं। सल्फर और पोटाश से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। उर्वरकों का संतुलित मात्रा में ही प्रयोग करना चाहिए। उक्त पोषक तत्वों की कमी से पौधे की बढ़वार कम होती है। पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और फसल में फुटाव भी कम होता है। कुल मिलाकर उत्पादन प्रभावित होता है।

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यह भी रखें ध्यान

ार्गेनिक कार्बन की मात्रा के लिए जैविक खाद जैसे गोबर खाद, केंचुआ खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग करें।

-फसलों के अवशेष न जलाएं। ऐसा करने से मित्र कीट नष्ट होते हैं।

-अच्छे उत्पादन के लिए फसल चक्र को जरूर अपनाएं।

-खरपतवार और कीटनाशक का अधिक मात्रा में इस्तेमाल न करें।

-तीन साल में एक बार मिट्टी की जांच अवश्य करा लें।

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किसानों ने कहा..

भूमि स्वस्थ रहे और बेहतर फसल रहे, इसके लिए पोषक तत्वों का विशेष ध्यान रखता हूं। उत्पादन भी अच्छा मिलता है। समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक से जानकारी लेता रहता हूं। सल्फर, जिक, पोटाश भूमि और फसल के लिए बेहद अहम हैं।

-रणवीर सिंह, किसान तीन साल पहले मैंने मिट्टी की जांच कराई थी। तब तो कोई कम नहीं थी। अब फिर से जांच कराएंगे, जिससे अगर कोई कमी सामने आती है तो उसे दूर किया जा सके। मिट्टी की जांच को लेकर सभी किसानों को जागरूक होने की जरूरत है।

-विजय कुमार नायक, किसान

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इन्होंने कहा..

एक लाख से अधिक मिट्टी के सैंपल की जांच कराई जा चुकी है। गत वर्ष पांच ब्लाक से पांच गांव काबड़ौत, गुज्जरपुर फतेहपुर, मलकपुर, खानपुर जाटान और दभेड़ी चिह्नित किए थे। 1142 सैंपल की जांच कराई गई। जिक और सल्फर की अधिक कमी मिली है। सभी को गोष्ठी के माध्यम से बताया गया है कि पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए जाएं।

-डा. शिव कुमार केसरी, उप निदेशक कृषि

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