भद्रशीला के किनारे खोदाई में मिली प्राचीन तलवार

जागरण संवाददाता शाहजहांपुर तहसील सदर के मदनापुर ब्लाक क्षेत्र में पौराणिक नदी भद्रशीला किनारे स्थित गुलौलाखेड़ा (भगवान परशुराम के) मंदिर के पास खुदाई में प्राचाीन तलवार निकली थी। कृषक प्रेमपाल ने यह तलवार मंदिर के महंत को भेंट कर दी। माना जा रहा है कि यह तलवार भगवान परशुराम के समय की है। कई अन्य प्राचीन मूर्तियां भी इसी तरह मिली। जो यहां स्थापित है। पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र का जिलाधिकारी ने भी संज्ञान लिया है। उन्होंने तलवार समेत खोदाई में मिली वस्तुओं की जांच कराने का कहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Jun 2020 02:17 AM (IST) Updated:Tue, 16 Jun 2020 02:17 AM (IST)
भद्रशीला के किनारे खोदाई में मिली प्राचीन तलवार
भद्रशीला के किनारे खोदाई में मिली प्राचीन तलवार

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : तहसील सदर के मदनापुर ब्लाक क्षेत्र में पौराणिक नदी भद्रशीला किनारे स्थित गुलौलाखेड़ा (भगवान परशुराम के) मंदिर के पास खुदाई में प्राचाीन तलवार निकली थी। कृषक प्रेमपाल ने यह तलवार मंदिर के महंत को भेंट कर दी। माना जा रहा है कि यह तलवार भगवान परशुराम के समय की है। कई अन्य प्राचीन मूर्तियां भी इसी तरह मिली। जो यहां स्थापित है। पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र का जिलाधिकारी ने भी संज्ञान लिया है। उन्होंने तलवार समेत खोदाई में मिली वस्तुओं की जांच कराने का कहा है।

गंगा की सहायक नदी भद्रशीला नदी का स्कंद पुराण में है जिक्र: सत्यनारायण व्रत की कथा के पात्र कलावती, लीलावती ने इसी भद्रशीला नदी के किनारे कथा सुनी थी। अपभ्रंश होकर नदी का नाम भद्रशीला से भरगुदा पड़ा गया। नदी के किनारे भगवान परशुराम के गुरुकुल को लोग गुलौलाखेड़ा कहने लगे। दशक पूर्व नदी और खेड़ा (टीला) के पास खेत की खोदाई के दौरान कृषक प्रेमपाल को प्राचीन तलवार मिली। टीला पर प्राचीन वट वृक्ष व कई प्राचीन मूर्तिया भी है। तलवार समेत मूर्तिया मंदिर के पुजारी जयनारायणाचार्य को भेंट कर दी गई। नदी को मिले पुनर्जीवन, पर्यटन के रूप को परशुराम का गुरुकुल

गुलौलाखेड़ा मंदिर के महंत जयनारायणाचार्य भद्रशाीला नदी को सदानीरा बनाने तथा भगवान परशुराम के गुरुकल गुलौलाखेड़ को पर्यटन के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे है। उनका कहना है कि त्रेता व द्वापर युग के इस क्षेत्र में प्रमाण मिलते हैं। जलालाबाद भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। 84 कोसी परिक्रमा में गुलौलाखेड़ा मंदिर मुख्य तीर्थ स्थल के रूप में गिना जाता है। पर्यटन

अगहन और आषाढ़ मास में विशाल मेला लगता है। उन्होंने प्राचानी तलवार की थी जानकारी दी, बताया लकड़ी के मुख्य मेला के रूप में गुलौलाखेड़ा की पहचान है। भद्रशीला नदी खुदागंज, कटरा, जैतीपुर, तिलहर, कांट, मदनापुर होते हुए जलालाबाद तक जाती है। तिकोला खेड़ा, सिमराखेड़ा गुलौलाखेड़ा मंदिर मुख्य स्थल है। नदी किनारे नरायणपुर गांव, सरैया आदि क्षेत्र में खुदाई में दौरान कई बार प्राचीन वस्तुएं मिली है।

रामचंद्र दास, महंत सरैंया मंदिर, ग्राम पंचायत नरायणपुर फोटो 15 एसएचएन : 8

खुदाई में मिली तलवार व प्रचीन वस्तुओं की जांच कराएंगे। यदि पुरातात्विक दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण लगा तो आगे की कार्यवाही की जाएगी। एनजीटी गाइड लाइन की वजह से भद्रशीला नदी की जेसीबी से खुदाई असंभव है। बिना मशीन के नदी की सफाई मुश्किल है, लेकिन पौधारोपण के लिए चिह्नांकन कराया जाएगा।

इंद्र विक्रम सिंह, जिलाधिकारी

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