जब भीड़ ही नहीं, किस पर खर्च हो रहा पैसा

लगभग हर कार्यक्रम में अधिकांश कुर्सियां खाली..। मगहर महोत्सव को ठंड लग गई है या फिर कोई बड़ी खामी..। ऐसी क्या वजह है कि भीड़ स्टेज के पास नहीं पहुंच रही..। एक कार्यक्रम के बदले कोई दस हजार पचास हजार तो कोई इससे अधिक रुपये ले रहा है..।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Jan 2020 10:55 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jan 2020 06:11 AM (IST)
जब भीड़ ही नहीं, किस पर खर्च हो रहा पैसा
जब भीड़ ही नहीं, किस पर खर्च हो रहा पैसा

संतकबीर नगर: लगभग हर कार्यक्रम में अधिकांश कुर्सियां खाली..। मगहर महोत्सव को ठंड लग गई है या फिर कोई बड़ी खामी..। ऐसी क्या वजह है कि भीड़ स्टेज के पास नहीं पहुंच रही..। एक कार्यक्रम के बदले कोई दस हजार, पचास हजार तो कोई इससे अधिक रुपये ले रहा है..। भले ही सन्नाटा रहे, ताली बजाने वाले न रहे हो लेकिन कलाकार, कवि, शायर, गायक, गायिका को पारिश्रमिक तो मिलनी ही है..। महोत्सव के लिए शासन से मिले 40 लाख रुपये को यूं ही खपा देंगे..। ऐसे में सवाल उठता है कि जब भीड़ ही नहीं तो किस पर खर्च हो रहा पैसा।

गुरुवार को कृषि विभाग द्वारा किसान मेला का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कृषि वैज्ञानिक व किसानों के बीच खेती-किसानी विषय पर सीधा संवाद होना था। इसे सुनने के लिए यहां पर बमुश्किल महिला, पुरुष, बच्चों समेत 20-30 लोग रहे होंगे। इसके बाद एक गायक का कार्यक्रम पेश किया गया, इन्होंने हिदी फिल्म के कई गाने गाए लेकिन इसे भी सुनने के लिए लोगों की संख्या काफी कम रही। महान संत कबीर की वाणियों को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए कार्यक्रम हो रहे हैं, इसे मुफ्त में प्रचारित व प्रसारित करना चाहिए लेकिन इसके एवज में भी मोटी रकम ली जा रही है। यह स्थिति केवल इसी दिन नहीं अपितु जबसे महोत्सव प्रारंभ हुआ यानी 12 जनवरी से अब तक सुबह-शाम और रात के समय कायम है। मगहर महोत्सव में तिथिवार जो कार्यक्रम तय है, उनमें एकाध को छोड़कर कोई ऐसा चेहरा नहीं जो भीड़ को अपनी ओर खींचने में कामयाब हो। इस स्थली की ख्याति के अनुरुप इस बार किसी दिग्गज कलाकार का कार्यक्रम नहीं है। जितनी पारिश्रमिक मिल रही है, क्या वे इतने के लिए लायक हैं, यह एक बड़ा सवाल है। बहरहाल 12 से 18 जनवरी तक यूं ही कार्यक्रम होते रहेंगे और 40 लाख रुपये खपा दिए जाएंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

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