खिचड़ी चढ़ाने पहुंचे देशभर से कबीरपंथी

कबीर चौरा के महंत विचारदास ने बताया कि कबीर चौरा पर खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। अब तो वह यहां के महंत हैं जब वह 1968 में कक्षा पांच में पढ़ते थे तभी से माता-पिता के साथ आकर खिचड़ी चढ़ाते थे। इसी दौरान सद्गुरु की शरण में आकर उन्होंने सेवा का संकल्प लिया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 10:53 PM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 10:53 PM (IST)
खिचड़ी चढ़ाने पहुंचे देशभर से कबीरपंथी
खिचड़ी चढ़ाने पहुंचे देशभर से कबीरपंथी

संतकबीर नगर: मकर संक्रांति पर संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली कबीर चौरा, मगहर में खिचड़ी चढ़ेगी। कोरोना के दौर में भी कबीरपंथियों में सद्गुरु को खिचड़ी चढ़ाने के लिए उत्साह देखा जा रहा है। इस वर्ष भी खिचड़ी चढ़ाने के लिए राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं।

उनका कहना है कि मौसम की परवाह नहीं है। सद्गुरु की शरण में जाना ही जीवन का लक्ष्य है। गुरुवार को बाबा के दरबार में खिचड़ी चढ़ाकर ही आराम मिलेगा। लखनऊ निवासी सुरेश ने बताया कि कुछ भी हो उन्हें गुरु के चरणों में खिचड़ी अर्पित करनी है। इसी लक्ष्य को लेकर वह घर से निकल पड़े हैं। मंगलवार की रात मगहर पहुंचकर उन्हें शांति मिली। वह पिछले कुछ वर्ष से बाबा को खिचड़ी चढ़ाते हैं। कबीर चौरा के महंत विचारदास ने बताया कि कबीर चौरा पर खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। अब तो वह यहां के महंत हैं, जब वह 1968 में कक्षा पांच में पढ़ते थे तभी से माता-पिता के साथ आकर खिचड़ी चढ़ाते थे। इसी दौरान सद्गुरु की शरण में आकर उन्होंने सेवा का संकल्प लिया। गुरु का स्थान दुनिया में सबसे ऊपर होता है। संत अरविद दास ने बताया कि 14 वर्ष पूर्व मगहर आने का मौका मिला। यहां आने के बाद तो यहीं के होकर रह गए। लोग वर्ष में एक बार खिचड़ी चढ़ाते हैं, हम तो हर सुबह कबीर साहेब को खिचड़ी अर्पित करके बाबा के भंडारा में प्रसाद ग्रहण करते हैं। इससे मन को शांति मिलती है। शांतिदास, पुजारी ने बताया कि

मगहर में वर्ष 2011 में साहेब का दर्शन करने आया था। तबसे मन यहीं लग गया और सात माह बाद रामपुर से आकर यहां रहने लगा। कबीर के समाधि स्थल पर पुजारी की जिम्मेदारी मिली है। पिछले नौ वर्ष से सेवा करके अपना जीवन धन्य कर रहा हूं।

डा. हरिशरण दास, प्राचार्य ने बताया कि मगहर में विद्यार्थी जीवन में आना हुआ। वर्तमान में संत कबीर आचार्य विलास महाविद्यालय में प्राचार्य की जिम्मेदारी मिली है। सुबह कबीर स्थली से ही दिनचर्या का शुभारंभ होता है। यहां शांति मिलती है। मकर संक्रांति का हम सभी को पूरे वर्ष इंतजार रहता है।

अंबेडकरनगर जिले के विजय दास का कहना है कि वे करीब 10 साल से यहां पर आ रहे हैं। कबीर स्थली में रोज होने वाले सत्संग में शामिल होने का अवसर मिलता है। संत कबीर की वाणियों से न केवल वे अपितु उनके परिवार के सभी सदस्य प्रभावित हैं। उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास करते हैं।

बस्ती जनपद के संतराम ने कहा कि वह सात साल से यहां पर आ रहे हैं। यहां पर आकर मन और मस्तिष्क को काफी शांति मिलती है। महान संत कबीर की विचारधाराएं पूरे विश्व को शांति और आपसी भाईचारा का संदेश देती हैं। विश्व में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए इस पर सभी को अमल करना चाहिए।

बलरामपुर के हरि प्रसाद ने कहा कि महान संत कबीर के विचारों से काफी प्रभावित हैं। इसलिए वह बचपन में अपने माता-पिता के साथ यहां आते रहे हैं। मगहर में एक तरफ समाधि और थोड़ी दूर में मजार है, ऐसा दृश्य कहीं और नहीं मिलेगा। यह ²श्य आपस में मिलकर रहने और आपसी सद्भाव को बढ़ाने के संदेश देते हैं।

chat bot
आपका साथी