प्रकृति की गोद में रहे तो छू न पाया कोरोना

संतकबीर नगर आज कोरोना पूरी दुनिया को डरा रहा है। महामारी चारों तरफ पांव पसार चुकी है। लेकिन मेंहदावल के टड़वरिया जमया पुनया व भुलकी गांव के लोग पूरी तरह सुरक्षित हैं। प्रकृति की गोद में जीवन बिता रहे लोग बेहतर खानपान व मेहनत से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 11:02 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 11:02 PM (IST)
प्रकृति की गोद में रहे तो छू न पाया कोरोना
प्रकृति की गोद में रहे तो छू न पाया कोरोना

संतकबीर नगर : आज कोरोना पूरी दुनिया को डरा रहा है। महामारी चारों तरफ पांव पसार चुकी है। लेकिन मेंहदावल के टड़वरिया, जमया, पुनया व भुलकी गांव के लोग पूरी तरह सुरक्षित हैं। प्रकृति की गोद में जीवन बिता रहे लोग बेहतर खानपान व मेहनत से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखे हैं। यही कारण है कि यहां कोरोना नहीं फटक सका।

यहां नीम की दातुन, दाल में नींबू व सिरका, भुजिया चावल, खुद की उपजाई बिना खाद की हरी सब्जी, बाग- बगीचों से दोस्ती लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है। पीपल, बरगद, नीम व आम के लहलहाते पेड़ वर्षभर पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध कराते हैं।

मेंहदावल के टड़वरिया गांव की आबादी 700 है। पूरा गांव चारों तरफ से पेड़-पौधों से घिरा है। लोग संयमित दिनचर्या के बलबूते रोग रहित जिदगी जी रहे हैं। पिछले वर्ष दस लोग दूसरे राज्य से लौटे तो क्वारंटाइन केंद्र में रहे। इस वर्ष लौटे तो होम आइसोलेशन के नियमों का पालन किया। जमया गांव की आबादी दो हजार है। पूरा गांव बाग- बगीचों व तालाबों से घिरा हुआ है। पिछले वर्ष 125 लोग दूसरे राज्यों से लौटे थे। गांव के बाहर बने क्वारंटाइन केंद्र में 15 दिन रहे। इस बार 50 लोग लौटे तो होम आइसोलेशन में रहकर नियमों का पालन किया। भुलकी गांव की आबादी 600 है। यहां के लोगों ने भी संयमित दिनचर्या की बदौलत कोरोना को पास नहीं फटकने दिया। पुनया गांव की आबादी 1500 है। यहां के लोग सब्जी की खेती व तालाब में मछली पालन का कार्य करते हैं। जड़ों से नजदीकी रही तो कोरोना दूर से ही सलाम करके निकल गया।

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पहली लहर से ही सतर्क हैं लोग

कोरोना की पहली लहर से ही इन चार गांव के लोग सतर्क हो गए। पूरी तरह कोविड प्रोटोकाल का पालन किया। सार्वजनिक स्थानों से दूरी बनाई। जरूरत के लिए घर से बाहर निकले तो मास्क व दो गज की दूरी का पालन किया। काढ़ा का सेवन करते रहे, अजवाइन की भाप को हथियार बनाया। नियमित दिनचर्या का पालन सबसे मुफीद हथियार रहा। -------कोट----------

मेंहदावल क्षेत्र के यह चार गांव नजीर हैं। इन गांवों के लोग कोविड नियमों का पालन करके अभी तक कोरोना से बचे हैं। गांवों की हरियाली और यहां के लोगों की दिनचर्या से अन्य गांवों को भी सीख लेनी चाहिए।

अजय कुमार त्रिपाठी, एसडीएम

------आंकड़े के लिए---------

इतनी है इन गांवों की आबादी

टड़वरिया - 700

जमया - 2000

भुलकी - 600

पुनया -1500

कुल आबादी-4800

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