स्वतंत्रता के सारथी-सूचना का अधिकार

सहारनपुर : निर्धन हो या धनवान सबको न्याय एक समान, की भावना को चरितार्थ करने के उद्देश्य से जन

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Aug 2017 03:00 PM (IST) Updated:Sat, 12 Aug 2017 03:00 PM (IST)
स्वतंत्रता के सारथी-सूचना का अधिकार
स्वतंत्रता के सारथी-सूचना का अधिकार

सहारनपुर : निर्धन हो या धनवान सबको न्याय एक समान, की भावना को चरितार्थ करने के उद्देश्य से जनसूचना अधिकार कानून ने अहम भूमिका निभाई।

भ्रष्टाचार पर चोट और गरीबों को न्याय दिलाने के लिए अर्जुन शर्मा की मुहिम रंग ला रही है। तीन वर्षों के दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों से 27 आरटीआइ मांगी। ब्लड बैंक की व्यवस्था में अपेक्षित सुधार कराने सहित स्कूली बच्चों को ड्रेस दिलाने में भी सफलता पाई।

जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से केंद्र व प्रदेश सरकार निर्धनता को दूर करने के लिए निरंतर काम करती रही है। योजनाओं का लाभ कितना और कैसे उस वर्ग को मिल रहा है या नही? इसका मूल्यांकन अधिकारी वर्ग अपने हिसाब से करते रहे है। वर्ष-2005 में जनसूचना अधिकार कानून पास होने के बाद आम लोगों को बड़ी ताकत मिली। धीरे-धीरे कानून के प्रति जागरूकता बढ़ी और लोग अन्याय के मुकाबले को सूचना अधिकार कानून के उपयोग को आगे आने लगे हैं। शिवपुरी निवासी अर्जुन शर्मा स्वयं का कारोबार करते हैं, लेकिन साथ ही कई स्वयंसेवी संस्थाओं से भी जुड़े हैं। संस्था के कार्यों के दौरान कई ऐसे लोग उनके संपर्क में आए तो वास्तविक रूप से सरकारी योजनाओं के पात्र होने के बावजूद लाभ से वंचित थे। सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उन्होंने तय किया कि वह ऐसे लोगों को न्याय दिलाने के लिए जनसूचना अधिकार कानून को हथियार बनाएंगे। वह बताते है कि कई लोगों ने उनसे आरटीआइ डालने को लेकर उनसे संपर्क किया। तीन वर्ष के दौरान डाली गई 27 आरटीआइ से कई अहम मामलों से पर्दा उठा।

केस-1

जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक में पहले सार्वजनिक रूप से यह अंकित नही होता था कि किस ग्रुप का कितना ब्लड बैंक में है। रक्त लेने के लिए निर्धारित शुल्क तीमारदारों को कितना देना पड़ता है। इसके लिए आरटीआइ डाली गई और असर यह हुआ कि सूचना में मांगी गई सभी जानकारी बोर्ड पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाने लगी।

केस-2 थैलीसीमिया से पीड़ित एक बालिका को ब्लड बैंक से रक्त न मिलने पर उसकी अकाल मौत हो गई थी जबकि इस बीमारी से पीड़ित को निश्शुल्क रक्त देने की व्यवस्था है। मामले में जब कार्रवाई शुरू की तो अधिकारियों ने दबाव में लेने का प्रयास किया। बिन्दुवार सूचना मांगे जाने पर जब सूचना नही दी गई तो मामले में अपीलीय अधिकारी के यहां अपील की गई।

केस-3

माध्यमिक स्कूलों के कक्षा 1-8 तक बच्चों को निश्शुल्क ड्रेस देने का प्रावधान है। विभाग से इसके लिए बजट मिलने के बाद भी कई स्कूलों द्वारा बच्चों को ड्रेस नही दी गई। अभिभावक जर्नादन ¨सह, प्रेमवती, ओमकुमार, ऋषिपाल आदि ने अर्जुन को यह समस्या बताई। जानकारी करने के बाद अर्जुन ने शिक्षा विभाग में आरटीआइ डाली। समय से सूचना देने में विभाग ने थोड़ी आनाकानी की। लेकिन रिमाइंडर डाले जाने के बाद न केवल सूचना दी बल्कि जिन स्कूलों ने ड्रेस नही दी थी, उन्होंने भी बच्चों को ड्रेस देने का काम किया

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