उदासीन अधिकारी यातायात पर पड़ रहे भारी

रामपुर : यातयात नियमों को लेकर हम सब को जागरूक होना चाहिए। जनता को इन नियमों को अपनाना

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 10:00 PM (IST) Updated:Sat, 10 Nov 2018 10:00 PM (IST)
उदासीन अधिकारी यातायात पर पड़ रहे भारी
उदासीन अधिकारी यातायात पर पड़ रहे भारी

रामपुर : यातयात नियमों को लेकर हम सब को जागरूक होना चाहिए। जनता को इन नियमों को अपनाना चाहिए और अधिकारियों को भी नियमित रूप से इस दिशा में कार्य करते रहने चाहिए, लेकिन आज अधिकारियों की उदासीनता, यातायात व्यवस्था पर भारी पड़ रही है। जनता की लापरवाही और अधिकारियों की उदासीनता के चलते सड़क हादसों पर जरा भी अंकुश नहीं लग पा रहा है।

ठंड की शुरुआत हो चुकी है। जल्द ही कोहरे की चादर सड़कों को अपने आगोश में ले लेगी। कोहरे का मौसम, मतलब सड़क हादसों का मौसम। इस मौसम में विशेष रूप से सावधानी की आवश्यकता होती है। आज जनता की जैसे फितरत बन चुकी है कि उसे कोई जगाने वाला चाहिए, लेकिन इस मौसम में अधिकारी भी जैसे आराम की चादर तान कर सो जाते हैं। नतीजा वाहन स्वामी और चालकों की लापरवाही भी बढ़ जाती हैं और रोज तमाम छोटे-बड़े सड़क हादसे, समाचार पत्रों की सुर्खियां बने नजर आते हैं। परिवहन विभाग के अफसरों की मिलीभगत से डग्गामार वाहन और ओवर लोड वाहन धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रहे हैं। खामियों भरी गाड़ियों पर हो कार्रवाई :

कोहरे की चादर को चीरती हुई फर्राटा भर रही तमाम गाड़ियां खामियों से भरी होती हैं। इसके बावजूद ये बेखौफ सड़कों पर दौड़ रही हैं। नियमों को दरकिनार कर चलने वाली इन गाड़ियों से दुर्घटनाओं में भारी वृद्धि होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। बूढ़े हो चले वाहनों के मालिक फीलगुड का एहसास कराकर, सड़कों पर इन्हें नई गाड़ियों के मुकाबले दौड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अधिकारियों की यह उदासीनता जहां लोगों को मौत के मुंह में धकेलने को आतुर नजर आ रही है, वहीं यातायात व्यवस्था पर उनकी यह लगातार अनदेखी भारी पड़ रही है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर क्यों नहीं की जाती कार्रवाई :

सड़कों पर रोज ही बेतहाशा दौड़ रही ट्रैक्टर-ट्रालियां कई बड़े हादसों का कारण बनती हैं। हादसों के रिकॉर्ड खंगाले जाएं तो अधिकांश हादसों में ये ट्रैक्टर-ट्रालियां ही वजह होती हैं। अधिकतर इनके चालकों के पास वैध लाइसेंस भी नहीं होता। इतना ही नहीं मात्र एक हेडलाइट के सहारे इन्हें देर रात में घने कोहरे के बीच ओवरलोडेड हालत में, नेशनल हाईवे पर फर्राटा भरते देखा जा सकता है। इनकी यह लापरवाही सामने से आ रहे वाहन चालक पर भारी पड़ जाती है। बीते वर्षों के अंतराल में ट्रैक्टर-ट्राली की चपेट में आकर लगभग दर्जनों मौत हो चुकी हैं। रिफ्लेक्टर न होना भी बन रहा दुर्घटनाओं का कारण :

सड़कों पर दौड़ रही इन ट्रैक्टर-ट्राली से लेकर बस, ट्रक व अन्य वाहनों पर रिफलेक्टर भी नहीं दिखाई पड़ते, जो वाहनों को दूर से ही संकेत कर सकें। इन रिफ्लेक्टर्स का न होना भी हादसों के बड़े कारणों में शामिल है। यही नहीं रोडवेज की कई बसें भी नियमों को टाक पर रखकर हाईवे पर दौड़ रही हैं। इन बसों में न तो कोहरे को काटने वाली फॉग लाइटें हैं, न ही रिफ्लेक्टर या इंडिकेटर। बिना फिटनेस दौड़ रहीं गाड़ियों पर हो कार्रवाई :

सड़कों पर सालों पुरानी गाड़ियां हांफती हुई दौड़ रही हैं। इन गाड़ियों की कुशलता का अनुमान इनकी हालत को देखकर ही लगाया जा सकता है। हालत ऐसी कि कभी भी सड़कों पर धराशायी हो सकती हैं। ऐसी गाड़ियों को फिटनेस सर्टिफिकेट कैसे मिल जाता है, यह बात समझ से परे है। वैसे तो समय-समय पर वाहनों की फिटनेस कराए जाने के दावे, विभाग के जिम्मेदार करते हैं, लेकिन हकीकत देखें तो ये दावे मात्र कागजी ही दिखाई पड़ते हैं। जिम्मेदारों को दिखाई नहीं देते ओवरलोड वाहन

वैसे तो विभाग द्वारा जिले में चलने वाली ट्रक, डीसीएम व अन्य भार वाहन की भार क्षमता निर्धारित है, उसके बावजूद क्षमता से दो गुना भार लेकर चलना इनकी आदत में शुमार है। ऐसे ओवरलोड वाहन अक्सर दुर्घटना का कारण बनते हैं। आए दिन वाहनों की जांच के लिए यातायात विभाग और संभागीय परिवहन अधिकारी भी अभियान चलाते नजर आते हैं, लेकिन समझ नहीं आता उन्हें ऐसे वाहन क्यों नजर नहीं आते।

इयर फोन बन रहा हादसे का कारण

शहर में रेलवे लाइन व नेशनल हाइवे किनारे ईयर फोन के प्रयोग करने के चलते कई युवा अपनी जान गवां चुके है। तेज साउंड सुनने के चलते युवाओं में श्रवण क्षमता भी कमजोर होती जा रही है। सड़क पर वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करने से भी हादसों की संख्या बढ़ रही हैं। चे¨कग के दौरान इस ओर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। सड़क पर कैसे रहें सुरक्षित :

-सड़क पर निकलते समय मोबाइल पर बात न करें।

-इयर फोन लगाकर गाड़ी न चलाएं।

-सड़क पर यातायात के नियमों के पालन करें।

-वाहन चलाते समय साथी से बिल्कुल बात न करें। आम नागरिक की राय :

बात यातायात के नियमों की हो तो हम सब को इसे गम्भीरता से लेना चाहिए, पर देखने में आता है कि न तो जनता इस ओर गम्भीर होती है, न ही अधिकारी अपने दायित्व ठीक से निभा पाते हैं। परिणाम भयंकर रूप में सामने आते हैं। अत: हम सब को संभलना होगा।

-दयालु शरण शर्मा सर्दियों की रातों में तो विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। प्रयास करें कि रात में वाहन न चलाना पड़े। किसी अन्य वाहन से भी रात की यात्रा को जहां तक सम्भव हो टालें। अधिकारी भी इन दिनों में अपने दायित्वों के प्रति ईमानदार रहें तो काफी हद तक हादसों को रोका जा सकता है।

-उपेन्द्र मिश्रा जब सड़क दुर्घटनाओं की बात होती है तो ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की तस्वीर सबसे पहले सामने आती है। छोटी सड़कों पर ओवरलोड होकर चल रहे ये वाहन बड़े हादसों के कारण बन जाते हैं। इनमें पीछे न कोई इंडिकेटर होता है न कोई लाइट। इसके चलते पीछे आ रहा वाहन अचानक इनसे टकरा कर दुर्घटना का शिकार बन जाता है। -विक्की कश्यप कोहरे भरी रात में अक्सर ट्रैक्टर ओवरलोड होकर सड़कों पर गुजरते हैं। उस पर भी आलम यह कि आगे की ओर मात्र एक हेडलाइट से सामने वाले चालक को इनके बाइक होने का भ्रम रहता है। ऐसी स्थिति में कई बार बड़े हादसे हो जाते हैं। मेरा निवेदन है कि सर्दियों की रातों में विशेष रूप से अधिकारियों द्वारा सतर्कता बधाई जाए। -कपिल सक्सेना

chat bot
आपका साथी