बड़े लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे कदम

रायबरेली : आने वाला साल 2018 जिले की नई पहचान बनेगा। घर-घर शौचालय होंगे। बहू-बेटियां स

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Dec 2017 12:01 AM (IST) Updated:Wed, 27 Dec 2017 12:01 AM (IST)
बड़े लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे कदम
बड़े लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे कदम

रायबरेली : आने वाला साल 2018 जिले की नई पहचान बनेगा। घर-घर शौचालय होंगे। बहू-बेटियां सुरक्षित होंगी। इसके लिए दो लाख 37 हजार 672 शौचालय बनवाने होंगे। यह लक्ष्य भले ही छोटा न हो, पर हौसले बुलंद हैं। इन्हीं हौसलों की बदौलत साल दर साल शौचालय निर्माण में तेजी आई। उम्मीद है कि नया साल जिले को ओडीएफ की सौगात देकर जाएगा।

खुले में शौच से मुक्त अभियान केंद्र और प्रदेश सरकार दोनों की प्राथमिकता में है। पहले भले ही प्रशासनिक अमला इसे लेकर गंभीर न रहा हो, पर अब सरकारी मशीनरी सक्रिय दिख रही है। इसका अंदाजा बीते सालों की अपेक्षा इस साल बने शौचालयों की संख्या से लगाया जा सकता है। हालांकि साल 2017 के दिसंबर में ही जिले की सभी 989 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ कर देना था, लेकिन शुरुआत से बरती गई लापरवाही के कारण यह संभव नहीं हो सका। अब तक महज 60 ग्राम पंचायतें ही खुले में शौच से मुक्त हो सकी हैं। इस साल सरकारी महकमा ने इसे लेकर ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया तो प्रधानों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों व आम लोगों में भी अपार जागरूकता दिखी। इसी की बदौलत अबकी साल में 40500 शौचालय बन सके।

शहर की तरह गांवों में भी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन

ग्रामीण अंचल में रहने वाले लोगों के लिए साल 2018 एक नई सौगात लेकर आ रहा है। शहरों की तरह गांवों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना इस साल धरातल पर उतरेगी। स्वच्छ भारत मिशन के जिला सलाहकार राहुल ¨सह ने बताया कि फिलहाल लालगंज के तौधकपुर गांव में पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। यहां पर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की शुरुआत होगी। गांव में ही एक डंपिंग यार्ड बनेगा। जहां कूड़ा एकत्र किया जाएगा। योजना को अमलीजामा पहनाने पर काम तेजी से चल रहा है।

जागरूकता का अभाव दूर करना चुनौती

वित्तीय वर्ष 2015-16 में 10599 शौचालय बने थे। इसके बाद साल 2016-17 में 30 हजार शौचालय बनवाए गए। फिर इसमें और तेजी आई। साल 2017-18 में अब तक 40500 शौचालय बनवाए जा चुके हैं। हालांकि शौचालय बनवाने के साथ लोगों को उनके प्रयोग के लिए जागरूक भी किया जा रहा है, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है। तमाम गांवों में लोग शौचालयों में कंडे और भूसा भरने के लिए प्रयोग कर रहे हैं।

34 अन्त्येष्टि स्थलों का निर्माण हुआ पूरा

गांवों में अन्त्येष्टि स्थल बनवाकर गरीबों को सहूलियतें देने की योजना पूरी होने के करीब पहुंच गई। तीन साल पहले अन्त्येष्टि स्थल बनाने का काम शुरू हुआ था। कुल 35 स्थानों पर अन्त्येष्टि स्थल बनाए जाने थे। वर्ष 2016 तक 16 जगह अन्त्येष्टि स्थल बने। इसके बाद 2017 में 15 गांव और अबकी साल तीन स्थानों पर अन्त्येष्टि स्थल बनाए गए। यह बात अलग है कि इन अन्त्येष्टि स्थलों के प्रयोग से लोग कतरा रहे हैं। वहीं एक जगह पर निर्माण जारी है।

जिला होगा खुले में शौच से मुक्त

गांवों में शौचालय निर्माण तेजी से हो रहे हैं। साल 2018 में पूरे जिले को ओडीएफ बनाना है। यह लक्ष्य पूरा होगा। 34 अन्त्येष्टि स्थलों का निर्माण भी हो चुका है। अब लोगों को इनका लाभ मिलेगा।

चंद्र किशोर वर्मा

जिला पंचायत राज अधिकारी

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