पूर्व सांसद धनंजय सिंह को झटका, जमानत मंजूर लेकिन नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, सजा पर रोक से HC का इनकार

UP News In Hindi Today अपहरण मामले में एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट जौनपुर से सुनाई गई सात साल की सजा के खिलाफ दाखिल पूर्व सांसद धनजंय सिंह की अपील पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है। उनकी सजा पर रोक ने मना किया है। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुधीर वालिया ने कहा था कि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अनुमति दी जाए।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena Publish:Sat, 27 Apr 2024 12:21 PM (IST) Updated:Sat, 27 Apr 2024 12:26 PM (IST)
पूर्व सांसद धनंजय सिंह को झटका, जमानत मंजूर लेकिन नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, सजा पर रोक से HC का इनकार
धनंजय सिंह की जमानत मंजूर, सजा पर रोक लगाने से इन्कार

HighLights

  • गुरुवार को सुरक्षित कर लिया गया था
  • धनंजय सिंह के वकील का कहना था कि राजनीतिक द्वेषवश झूठा फंसाया गया

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जमानत मंजूर कर ली है लेकिन उनकी सजा पर रोक से इन्कार कर दिया है। इस वजह से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने शनिवार 12 बजे यह फैसला सुनाया। फैसला गुरुवार को सुरक्षित कर लिया गया था। जौनपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण में पूर्व सांसद व एक अन्य को सात साल की सजा सुनाई है। इस फैसले के खिलाफ दायर आपराधिक पुनरीक्षण अपील में सजा निरस्त करने की मांग की गई है।

जमानत पर रिहा के लिए की थी अपील

पूर्व सांसद का कहना था कि अपील निस्तारण तक सजा का आदेश स्थगित रखने के साथ उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। राज्य सरकार की तरफ से वकीलों ने धनंजय सिंह के आपराधिक इतिहास में नहीं जोड़े गए मुकदमों के साथ दिल्ली लखनऊ के अपराधिक मामले की जानकारी दी थी। कहा कि कई मामलों में ट्रायल चल रहा है, ऐसे में जमानत देना उचित नहीं होगा, जबकि धनंजय सिंह के वकील का कहना था कि राजनीतिक द्वेषवश झूठा फंसाया गया है। जो तीन गवाह हैं, उनमें दो सरकारी कर्मचारी और एक प्रोजेक्ट का कर्मचारी है, उन पर दबाव बनाकर झूठी गवाही कराई गई , इसके बावजूद अभियोजन पक्ष ट्रायल कोर्ट में अपना केस साबित नहीं कर सका।

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दो दर्जन मामले में वह बरी हो चुके हैं

उन्होंने यह भी कहा कि धनंजय सिंह का जो आपराधिक इतिहास बताया गया है, उनमें अधिकतर मुकदमे राजनीतिक द्वेष वश दर्ज कराए गए क्योंकि वह विधायक और सांसद रह चुके हैं। दो दर्जन मामलों में वह बरी हो गए और चार में फाइनल रिपोर्ट लग गई एवं कुछ सरकार ने वापस ले लिए। वह लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसलिए उनकी सजा स्थगित कर उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। 

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