अपना दल -भाजपा के रिश्ते तय करेगा उपचुनाव

सदर विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव की तारीख का एलान होने के बाद सियासी गतिविधियों के जोर पकड़ने के आसार हैं। अब तक कांग्रेस और बसपा अपने उम्मीदवार की घोषणा कर चुके हैं जबकि सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उधर भाजपा और उसके सहयोगी दल अपना दल (एस) में तनातनी है। यह उपचुनाव दोनों दलों के रिश्तों को नया मोड़ दे सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 12:05 AM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 06:18 AM (IST)
अपना दल -भाजपा के रिश्ते तय करेगा उपचुनाव
अपना दल -भाजपा के रिश्ते तय करेगा उपचुनाव

आशुतोष तिवारी, प्रतापगढ़ : जिले की सदर विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव की तारीख का एलान होने के बाद सियासी गतिविधियों के जोर पकड़ने के आसार हैं। अब तक कांग्रेस और बसपा अपने उम्मीदवार की घोषणा कर चुके हैं, जबकि सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उधर भाजपा और उसके सहयोगी दल अपना दल (एस) में तनातनी है। यह उपचुनाव दोनों दलों के रिश्तों को नया मोड़ दे सकता है।

शहर की सदर विधानसभा सीट से अपना दल (एस) से संगम लाल विधायक निर्वाचित हुए थे। लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा से टिकट मिला और वह सांसद चुन लिए गए। उनके सांसद बनने के बाद से ही रिक्त हुई इस सीट पर दलों की सक्रियता बढ़ गई और वह चुनाव की तैयारी में जुट गए। कांग्रेस ने प्रत्याशी की घोषणा सबसे पहले की और डॉ. नीरज तिवारी को मैदान में उतार दिया। वह वर्तमान में युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। बहुजन समाज पार्टी ने रणजीत सिंह पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है। वह जौनपुर जिले के मड़ियाहू के रहने वाले हैं। उनके पिता दूधनाथ सिंह मड़ियाहू विधानसभा सीट से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अतीत में उनकी मां सावित्री देवी भी सपा से विधायक चुनी गई थीं। बसपा उम्मीदवार की पत्नी सुषमा पटेल जौनपुर जिले की मुंगरा बादशाहपुर सीट से बसपा विधायक हैं। बसपा प्रत्याशी पूर्व में समाज कल्याण अधिकारी रहे हैं। समाजवादी और भाजपा उम्मीदवारों को लेकर चुप्पी साधे हैं। सपा अपना प्रतिद्वंद्वी भाजपा को मान रही है। माना जा रहा है कि वह भाजपा प्रत्याशी के एलान के बाद ही अपने उम्मीदवार की घोषणा करेगी। अब तक भाजपा की सहयोगी पार्टी रही अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाले अपना दल (एस) की दावेदारी से भाजपाइयों के सामने असमंजस है। अभी तक अपना दल ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। भाजपा से दावेदारी करने वालों की लंबी सूची है। उन्हें उम्मीद है कि अपना दल अपनी जिद छोड़ देगा। यह तय है कि अगर भाजपा और अपना दल में सामंजस्य बैठ गया तो दूसरे दलों की चुनौती बढ़ जाएगी।

इनसेट

अद के लिए लकी है सीट

अपना दल प्रतापगढ़ की सदर सीट को अपना भाग्यशाली सीट मानती है। इस सीट से ही पहली बार वर्ष 2000 के उप चुनाव में पार्टी प्रत्याशी हाजी अब्दुल सलाम मुन्ना ने जीत दर्ज की थी। अनुमान यही है कि अपना दल इस सीट के लिए अपनी दावेदारी को आसानी से नहीं छोड़ेगा।

chat bot
आपका साथी