राज्यपाल आनंदी बेन पटेल बोलीं- पुस्तकें समाज का प्रकाश स्तम्भ हैं, युवाओं को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देती हैं
राज्यपाल ने कहा पुस्तकें समाज का प्रकाश स्तम्भ हैं और युवाओं को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देती हैं। अंत नहीं यह ... समाज और राष्ट्र से जुड़ी कविताओं का संग्रह है। इसमें वे गीत भी शामिल हैं जो हर साल गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकलने वाली उत्तर प्रदेश की झांकी में बजाए जाते हैं। इसमें वे गजलें भी शामिल हैं जिन्हें नेता संसद और विधानसाभाओं में पढ़ते हैं।
जागरण संवाददाता, लखनऊ : राज्य सूचना आयुक्त व प्रखर राष्ट्रवादी कवि वीरेंद्र सिंह ‘वत्स’ ने शनिवार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने अपना दूसरा काव्य संग्रह ' अंत नहीं यह...' राज्यपाल को भेंट किया। उन्होंने रामलला पर आधारित गीतों की प्रतियां भी राज्यपाल को सौंपीं।
पुस्तकें युवाओं को राष्ट्र निर्माण का संदेश देती हैं : राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि पुस्तकें समाज का प्रकाश स्तम्भ हैं और युवाओं को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देती हैं। ' अंत नहीं यह ...' समाज और राष्ट्र से जुड़ी कविताओं का संग्रह है। इसमें वे गीत भी शामिल हैं जो हर साल गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकलने वाली उत्तर प्रदेश की झांकी में बजाए जाते हैं। इसमें वे गजलें भी शामिल हैं जिन्हें विभिन्न दलों के शीर्ष नेता संसद और विधानसाभाओं में पढ़ते हैं।
2021 और 2022 में झांकी को मिल चुका है पहला स्थान
साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के सांस्कृतिक अभियानों से जुड़े गीत भी इसमें संकलित हैं। वीरेंद्र वत्स इससे पहले यूपी की झांकी के लिए गीत लिख चुके हैं और 2021 और 2022 में झांकी को पहला स्थान भी मिल चुका है। उनका कहना है कि मेरा सौभाग्य है कि मेरे गीत को लगातार सरकार झांकी में शामिल किया गया।
विकास के पथ पर प्रदेश आगे बढ़ रहा है और उनके शब्दों में पिरोने की क्षमता को लोग पसंद करते हैं, यही मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।इस अवसर पर वीरेन्द्र वत्स की पत्नी गीता सिंह और भाई विजय सिंह भी उपस्थित थे।
कब कौन सा गीत लिखा
2023-सीता राम अयोध्या लौटे घर-घर आज दीवाली है
2022- काशी का गौरव लौटा है जब खुला भव्य गलियारा, विश्वनाथ से मिलकर पुलकित है गंगा की धारा
2021-जहां अयोध्या सिया राम की देती समरसता का संदेश, कला और संस्कृति की धरती धन्य धन्य उत्तर प्रदेश...।