टाइगर रिजर्व में खिलते हैं कान्हा की वैजयंती के फूल

धार्मिक मान्यता रही है कि भगवान श्रीकृष्ण को छह वस्तुएं अत्यंत प्रिय रही हैं। बांसुरी मोर पंख माखन मिश्री गाय और वैजयंती माला। वैजयंती माला के फूल पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में कुदरती रूप में खिलते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 11:05 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 06:05 AM (IST)
टाइगर रिजर्व में खिलते हैं कान्हा की वैजयंती के फूल
टाइगर रिजर्व में खिलते हैं कान्हा की वैजयंती के फूल

पीलीभीत,जेएनएन : धार्मिक मान्यता रही है कि भगवान श्रीकृष्ण को छह वस्तुएं अत्यंत प्रिय रही हैं। बांसुरी, मोर पंख, माखन, मिश्री, गाय और वैजयंती माला। वैजयंती माला के फूल पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में कुदरती रूप में खिलते हैं। हल्दी व कचूर प्रजाति के इस पौधे में लाल एवं पीले फूल गुच्छों में खिलते हैं। फूलों के काले दाने सख्त होते हैं। दानों में सुराख भी कुदरती होता है। इन्हीं दानों को धागे में पिरोकर वैजयंती माला बनती है। धार्मिक विद्वान इस माला में अनेक खूबियां मानते हैं।

हल्दी और कचूर प्रजाति का वैजयंती पौधा पीलीभीत टाइगर रिजर्व के महोफ रेंज के जंगल के अलावा मुस्तफाबाद में भी कई स्थानों पर उगता है। इसका अस्तित्व तो लंबे समय से रहा है लेकिन पहली बार इसकी पहचान यहां रेंजर रहे गिरिराज सिंह ने की। पौधे में लाल और पीले रंग के फूल खिलते हैं। ये फूल गुच्छों में खिलते हैं। फूल जब बीज बनता है तो उसका रंग काला पड़ जाता है। इन्हीं बीजों से बनी माला वैजयंती माल कहलाती है। खास बात यह है कि माला गूंथने के लिए इन सख्त बीजों में छेद नहीं करने पड़ते बल्कि प्राकृतिक रूप से ही इनमें छिद्र बन जाते हैं। धार्मिक एवं ज्योतिषीय ²ष्टिकोण से वैजयंती की माला शुभ मानी जाती है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति विपत्तियों का सामना सफलतापूर्वक कर सकता है। बुरे ग्रहों का प्रभाव भी कम हो जाता है। जंगल को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिए जाने के बाद किसी भी प्रकार की वनस्पति की निकासी पर पूर्ण प्रतिबंध है। ऐसे में वैजयंती के फूल बीज बनकर पौधे से झड़ जाते हैं। मिट्टी में दबने के बाद बरसात में पौधे बनकर उग आते हैं।

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