राम ने किया अहंकारी रावण का वध

गांव में चल रहे रामलीला मेला में दशहरा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। हजारों मेलार्थियों के जनसमूह ने मेला ग्राउंड में अहिरावण व रावण वध लीला के मंचन का आनंद लिया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 08:07 PM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 06:12 AM (IST)
राम ने किया अहंकारी रावण का वध
राम ने किया अहंकारी रावण का वध

संवाद सूत्र, दियोरिया (पीलीभीत) : गांव में चल रहे रामलीला मेला में दशहरा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। हजारों मेलार्थियों के जनसमूह ने मेला ग्राउंड में अहिरावण व रावण वध लीला के मंचन का आनंद लिया।

मेला ग्राउंड में लीला का शुभारम्भ होता है। अपने वंशजों के लगातार मारे जाने पर लंकाधिपति रावण चितित हो जाता है। पाताल लोक के राजा अहिरावण के पास जाकर उन्हें राम से युद्ध करने को भेजता है। अहिरावण विभीषण का रूप धारण कर राम के शिविर में पहुंच जाता है। सभी वानरों को सम्मोहन मंत्र से बेहोश कर राम-लक्ष्मण को चुराकर पाताल लोक ले जाता है और अपनी यज्ञशाला में दोनों भाइयों की बलि चढ़ाने के लिये यज्ञ करता है। पवन पुत्र हनुमान पाताल लोक पहुंच जाते है। द्वार पर उनके ही अंश मकरध्वज उन्हें रोकने का प्रयास करते है और दोनों के बीच घमासान युद्ध होता है। युद्ध में हनुमान मकरध्वज को परास्त कर बंदी बना लेते है और बाद में अहिरावण की सारी शक्ति क्षीण कर तथा उसका वध कर राम, लक्ष्मण को सकुशल शिविर में वापस ले आते है। अहिरावण की मृत्यु का समाचार पाकर रावण गुस्से से क्रोधित हो उठता है और स्वयं ही रणभूमि में राम से युद्ध करने पहुंच जाता है। रावण आग्नेयास्त्रों से राम की वानर सेना को पछाड़कर भगाने लगता है राम अपने बाणों से रावण के सिरों व भुजाओं को काटकर धरती पर गिरा देते है। कटी भुजाओं व सिरों की जगह नये सिर व भुजाएं पुन: बन जाते है। जिसे देखकर राम चितित हो उठते है। विभीषण से रहस्य हासिलकर राम एक साथ 31 बाण छोड़ते है। जिससे रावण के दसों शीश, बीसों भुजाएं तथा 1 बाण उसके नाभि में लगता है। जिससे नाभि का अमृत सूख जाता है जिससे वह कटे वृक्ष की तरह वह धरती पर गिर पड़ता है। बाद में मेला ग्राउंड में खड़ा किया गया रावण का पुतला जलाया गया। व्यवस्था में सुभाष शुक्ला, राजवीर सिंह, विजेंद्रपाल, नवनीत सिंह, सतीश गुप्ता आदि का विशेष सहयोग रहा।

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