मझोला चीनी मिल चलने के आसार नहीं

बंद पड़ी सहकारी चीनी मिल मझोला इस सत्र में भी शुरू नहीं हो पाएगी। यह चीनी मिल जिले के साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों के किसानों का गन्ना भी खरीदती रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Nov 2020 11:09 PM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 11:09 PM (IST)
मझोला चीनी मिल चलने के आसार नहीं
मझोला चीनी मिल चलने के आसार नहीं

पीलीभीत,जेएनएन : बंद पड़ी सहकारी चीनी मिल मझोला इस सत्र में भी शुरू नहीं हो पाएगी। यह चीनी मिल जिले के साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों के किसानों का गन्ना भी खरीदती रही है। मिल बंद होने से दोनों राज्यों के किसान प्रभावित हैं। शासन ने इसे पीपीपी माडल पर चलाने का निर्णय तो पिछले साल ही ले लिया था लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ।

सहकारिता क्षेत्र में जिले की सबसे पहली चीनी मिल पिछले 10 वर्षों से बंद पड़ी है। इसे चलाने की कवायद लगातार सरकार स्तर होती रही है लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। संचालक बोर्ड चीनी मिल को लीज पर दे कर चलाने प्रस्ताव कर चुका है। इस चीनी मिल की स्थापना वर्ष 1964-65 में प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने कराई थी। जब उत्तराखंड अलग राज्य बन गया तो वहां के 111 गांवों के किसानों का गन्ना इसी मिल में आता रहा। जिले के कुल 74 गांव इसमें शामिल रहा करते थे। इस चीनी मिल में लगभग दो हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ था लेकिन पेराई सत्र 2009-10 में यह मिल बंद हो गई। बसपा शासन में मिल घाटे में दिखाते हुए बंद किया गया था तभी से यह बंद पड़ी हुई है। चीनी मिल से संबद्ध डिस्टलरी भी बाद में बंद कर दी गई। इससे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। जनप्रतिनिधियों की ओर से मिल चलवाने के लिए लगातार प्रयास होते रहे हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ ने बंद पड़ी मिल की मशीनरी को दूसरी जगह भेजने का निर्णय ले लिया, जिसका विरोध संचालक बोर्ड व किसानों ने करना शुरू कर दिया है। विरोध में आंदोलन की तैयारी हो रही है। किसान नेता व संचालक बोर्ड के सदस्य सुखराम मौर्य कहना है कि चीनी मिल को चलाने के लिए वह लीज पर देने बोर्ड ने पास कर दिया गया था। हाल ही में केन कमिश्नर से वार्ता हुई थी लेकिन अब मशीनरी दूसरी मिल भेजने की तैयारी की जा रही। ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। गन्ना सोसायटी के उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह खैरा कहना है कि उत्तराखंड के 111 गांव इस चीनी मिल को गन्ना दिया करते थे। आज किसानों का शोषण हो रहा है। क्षेत्र का विकास भी रुक गया और व्यापार भी चौपट है। मिल चलवाने के लिए फिर आंदोलन किया जाएगा। किसान नेता जगजीत सिंह जग्गू कहते हैं कि वह लगातार चीनी मिल को चलाने के लिए सांसद वरुण गांधी को पत्र लिखते रहें। चीनी मिल संघ के एमडी को भी पत्र लिखकर मांग कर चुके हैं। चीनी मिल नहीं चली तो किसान एक बड़ा आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे। किसान नेता मंजीत सिंह का कहना है कि मिल बंद हो जाने से किसानों के सामने गन्ने आपूर्ति की दिक्कत आती है। किसानों का नुकसान होता है। मिल को चलाने के लिए अगर किसानों को बड़ा आंदोलन करना पड़ा तो वह इसमें उनका साथ देंगे।

मझोला सहकारी चीनी मिल को चालू कराने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हमारे लिए यह सबसे खास प्राथमिकता का कार्य है। इस मामले को लेकर हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की गई है, उन्हें क्षेत्र के गन्ना किसानों की समस्या के बाबत अवगत कराया गया। जिस पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है।

- संजय सिंह गंगवार, शहर विधायक

मझोला की चीनी मिल को चलवाया जाएगा। पुरानी मशीनें इसलिए दूसरी मिल में भिजवाने का आदेश दिया गया है, जिससे यहां नई तकनीक की आधुनिक मशीनें स्थापित कराई जा सकें।

विमल कुमार दुबे, प्रबंध निदेशक

उप्र सहकारी चीनी मिल संघ

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