नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को CBI ने फिर से किया गिरफ्तार

नोएडा अथॉरिटी के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह को सीबीआइ वे सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। ये गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के मामले में हुई है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 10 Feb 2020 07:39 PM (IST) Updated:Mon, 10 Feb 2020 09:07 PM (IST)
नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को CBI ने फिर से किया गिरफ्तार
नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को CBI ने फिर से किया गिरफ्तार

गाजियाबाद [राहुल सिंह]। नोएडा प्राधिकरण (New Okhla Industrial Development Authority) के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह (Yadav Singh) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सोमवार दोपहर को सीबीआइ (CBI) की दिल्ली ब्रांच की टीम सीबीआइ कोर्ट पहुंची, जिन्होंने करीब 76 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार से जुड़े एक अन्य केस में यादव सिंह को फिर गिरफ्तार किया है। इससे पहले भी सीबीआइ यादव हिंह को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसके बाद तीन मामलों में उसे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी।

इसके कारण इन दिनों वह जेल से बाहर चल रहा है। ऐसे में अब सीबीआइ की टीम यादव सिंह से पूछताछ कर उसे जल्द ही कोर्ट में पेश कर सकती है।

पत्नी के साथ पेशी पर आया था यादव सिंह

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत में सोमवार को नोएडा टेंडर घोटाले से जुड़े एक केस में सुनवाई होनी नियत थी, जिसके चलते यादव सिंह पत्नी कुसुमलता के साथ कोर्ट में पेशी पर आया था। वहीं, वकीलों की हड़ताल होने के चलते केस की सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद वह घर लौटने लगा, तभी नीचे खड़ी दिल्ली ब्रांच की सीबीआइ टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया और पत्नी को बताया कि सीबीआइ को एक अन्य मामले में पूछताछ करनी है। इसके बाद सीबीआइ की टीम उसे लेकर चली गई है, जोकि जल्द ही पूछताछ के बाद उसे अदालत में पेश करेगी।

9 निजी फर्म को लाभ पहुंचाने का आरोप

आरोप है कि वर्ष 2007 से 2012 के बीच यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण में मुख्य अभियंता के तौर पर तैनात था। इस बीच उसने 29 निजी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर स्वीकृत किए। इनमें कई फर्म ऐसी थी, जोकि उसके परिवार के सदस्यों और दोस्त संजय कुमार के नाम रजिस्टर्ड थी। आरोप है कि यादव सिंह ने फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें गलत तरीके से टेंडर जारी किए थे। इस मामले में सीबीआइ की दिल्ली ब्रांच ने हाईकोर्ट के आदेश पर 17 जनवरी 2018 को यादव सिंह, संजय कुमार समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

2014 में सीबीआइ ने पहली बार की छापेमारी

बता दें कि नवंबर 2014 को सीबीआइ ने पहली बार यादव सिंह के घर छापेमारी की थी। इसके बाद फरवरी 2015 को यूपी सरकार ने उन्हें निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। जुलाई 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने 954.38 करोड़ रुपये के घोटाले के संबंध में अगस्त 2015 को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। वहीं, इन मामलों में यादव सिंह व उसके परिवार के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से अक्टूबर 2019 में जमानत मिल चुकी है।

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