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Delhi Election 2020: मतदाताओं के दिल में क्या है इस बार, खामोशी ने बढ़ाया रोमांच

Delhi Assembly Election 2020 पिछले विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो हर बार नए मुद्दों पर दिल्ली के लोग मतदान करते रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 09:02 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 02:22 PM (IST)
Delhi Election 2020: मतदाताओं के दिल में क्या है इस बार, खामोशी ने बढ़ाया रोमांच
Delhi Election 2020: मतदाताओं के दिल में क्या है इस बार, खामोशी ने बढ़ाया रोमांच

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान होगा। हर मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवारों को मतदान करेगा, लेकिन दिल्ली के दिल में क्या है, किन-किन मुद्दों से प्रभावित होकर दिल्ली के दबंग मतदान करेंगे और किस दल को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाएंगे यह हर कोई जानना चाहता है। हालांकि यह बात मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी, लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो हर बार नए मुद्दों पर दिल्ली के लोग मतदान करते रहे हैं। कभी प्याज की महंगाई, तो कभी बिजली वितरण में सुधार व मेट्रो का विकास मुद्दा रहा।

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अनधिकृत कॉलोनियों, भ्रष्टाचार दूर करने, परिवहन व्यवस्था में सुधार, सड़क, पानी माफ व बिजली हाफ जैसे मुद्दों के दम पर राजनीतिक दल सत्ता तक पहुंचे। इस बार चुनाव के आखिरी दिनों में मतदाताओं की खामोशी ने रोमांच बढ़ा दी है।

प्याज की कीमतों व महंगाई के मुद्दे पर भाजपा हुई थी सत्ता से बाहर

वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में प्याज की कीमतों व महंगाई के मुद्दे पर भाजपा दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गई और कांग्रेस के सिर ताज सजा। इसके बाद 2003 में परिवहन व्यवस्था, बिजली में सुधार, मेट्रो के विकास इत्यादि कार्यों की बदौलत कांग्रेस दूसरी बार सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही। फिर वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का मुद्दा उठाकर व कुछ कॉलोनियों को प्रोविजनल प्रमाण पत्र बांटकर शीला दीक्षित के नेतृत्व में तीसरी बार कांग्रेस सत्ता पाने में कामयाब हुई।

इसके बाद अनधिकृत कॉलोनियों में पानी, सीवर व सड़क बनाने का रास्ता भी साफ हुआ, लेकिन बाद में राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं, 2जी, कोल ब्लॉक जैसे घोटालों के आरोप में घिरी कांग्रेस वर्ष 2013 के चुनाव में सत्ता से बाहर हो गई।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस हुई सत्ता से बाहर

भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन से उपजे केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (आप) का गठन कर इस चुनाव में ताल ठोकने मैदान में उतर पड़े। भ्रष्टाचार मिटाने, बिजली कंपनियों पर नकेल कसने व मुफ्त पानी का वादा यहां के लोगों को खूब पसंद आया। वहीं भाजपा ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस को घेरा। इन मुद्दों पर लोगों ने मतदान किया, लेकिन नतीजा किसी एक दल के पक्ष में नहीं आया। भाजपा 31 सीटें लेकर बहुत से थोड़ा पीछे रह गई।

बिजली हाफ, पानी माफ व मुफ्त वाई-फाई के मुद्दे पर आप ने जीता चुनाव

वहीं आम आदमी पार्टी 28 सीटों के साथ कांग्रेस के समर्थन से सत्ता हासिल करने में कामयाब रही। इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में 'बिजली हाफ, पानी माफ व मुफ्त वाई-फाई के वादे ने लोगों को आकर्षित किया। इसके अलावा महिला सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवाने व बसों में मार्शल तैनाती का मुद्दा भी अहम रहा। अब इनमें से किस मुद्दे पर मतदाता अधिक प्रभावित होते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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