स्कूली बच्चों पर छाया स्के¨टग का जादू

अकित कुमार ग्रेटर नोएडा: इन दिनों स्कूली बच्चों पर स्के¨टग करने का खुमार सिर चढ़कर बोल रहा है। जिसे देखते हुए विभिन्न स्कूलों में बच्चों के लिए स्के¨टग कोच रखे जा रहे हैं। वहीं छोटी-सी उम्र में बच्चे गोल्ड, सिल्वर, ब्राउन मेडल जीतकर ऊंची उड़ान भरने का मन बना रहे हैं। ग्रेटर नोएडा स्थित मलकपुर गांव में आधुनिक तरह से ¨रग तैयार की गई है। जहाँ विभिन्न स्कूलों के बच्चे स्के¨टग करने पहुँच रहे हैं। छोटी-सी उम्र में कई बच्चों ने प्रतियोगिताओं में गोल्ड, सिलवर, ब्राउन मेडल जीतकर अपना दमखम दिखाया है। अब ये बच्चे इंटरनेशनल ¨रग में प्ले करने के लिए पसीना बहा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Feb 2019 08:17 PM (IST) Updated:Thu, 07 Feb 2019 08:17 PM (IST)
स्कूली बच्चों पर छाया स्के¨टग का जादू
स्कूली बच्चों पर छाया स्के¨टग का जादू

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : इन दिनों स्कूली बच्चों पर स्के¨टग करने का खुमार सिर चढ़कर बोल रहा है। जिसे देखते हुए विभिन्न स्कूलों में बच्चों के लिए स्के¨टग कोच रखे जा रहे हैं। वहीं छोटी-सी उम्र में बच्चे गोल्ड, सिल्वर, ब्राउन मेडल जीतकर ऊंची उड़ान भरने का मन बना रहे हैं।

ग्रेटर नोएडा स्थित मलकपुर गांव में आधुनिक तरह से ¨रग तैयार की गई है। जहाँ विभिन्न स्कूलों के बच्चे स्के¨टग करने पहुँच रहे हैं। छोटी-सी उम्र में कई बच्चों ने प्रतियोगिताओं में गोल्ड, सिलवर, ब्राउन मेडल जीतकर अपना दमखम दिखाया है। अब ये बच्चे इंटरनेशनल ¨रग में प्ले करने के लिए पसीना बहा रहे हैं।

ग्रेटर नोएडा के मलकपुर स्के¨टग ¨रग के कोच देवेन्द्र कौशिक ने बताया कि जो बच्चे स्के¨टग सीखना चाहते हैं, उन्हे वह नि:शुल्क ट्रे¨नग देंते हैं। स्के¨टग करने से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास बेहतर होता है। रिया चौहान, पलक ¨सह, खुशी ¨सह, रुद्रप्रताप ¨सह, मानस सिसौदया, आदित्य प्रसाद, तुषार, अमान अहमद, रजा, दिविज, दिवीत, गौरवा वाच्चु, मान्येंद्र ¨सह भाटी, उत्कर्ष कुमार, अयान कौशिक, सिया शर्मा, अमन ¨सह जैसे बच्चों ने स्के¨टग प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। बारह साल की दीया जीत चुकी है छह गोल्ड व तीन सिल्वर : ग्रेटर नोएडा स्थित मलकपुर गांव की रहने वाली दीया चौहान महज बारह वर्ष की है। वह कक्षा सात की छात्र हैं। उन्होंने स्के¨टग की विभिन्न प्रतियोगिताओं में छह गोल्ड, तीन सिलवर व एक ब्राउंज मेडल जीता है। दीया का कहना है कि बिना किसी सहारे के हवा को चीरते हुए आगे बढ़ना रोचक होता है। जिस कारण उन्हें स्के¨टग करना पसंद है। वह अपनी करियर स्के¨टग में बनाना चाहती है। वहीं दीया की माँ बबीता के अनुसार वह चार वर्ष से स्के¨टग कर रही है। वह बहुत मेहनती है। खेल की वजह से उसकी पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ रहा।

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