सदर सीट से गठबंधन के प्रत्याशी बने सौरभ स्वरूप

गठबंधन से सदर सीट पर प्रत्याशी को लेकर दिनभर सियासी हलचल होती रही। दोपहर में जैसे ही पूर्व राज्यमंत्री चितरंजन स्वरूप के छोटे बेटे सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी का टिकट होने की सूचना इंटरनेट पर वायरल हुई रोडवेज समेत कई स्थानों पर विरोध हुआ। सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी ने टिकट की पुष्टि करते हुए बताया कि रालोद के सिबल पर सौरभ स्वरूप चुनाव लड़ेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Jan 2022 11:42 PM (IST) Updated:Mon, 17 Jan 2022 11:42 PM (IST)
सदर सीट से गठबंधन के प्रत्याशी बने सौरभ स्वरूप
सदर सीट से गठबंधन के प्रत्याशी बने सौरभ स्वरूप

मुजफ्फरनगर, टीम जागरण। गठबंधन से सदर सीट पर प्रत्याशी को लेकर दिनभर सियासी हलचल होती रही। दोपहर में जैसे ही पूर्व राज्यमंत्री चितरंजन स्वरूप के छोटे बेटे सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी का टिकट होने की सूचना इंटरनेट पर वायरल हुई, रोडवेज समेत कई स्थानों पर विरोध हुआ। सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी ने टिकट की पुष्टि करते हुए बताया कि रालोद के सिबल पर सौरभ स्वरूप चुनाव लड़ेंगे।

जिले की छह विधानसभा सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन के पूर्व में ही उम्मीदवार तय कर दिए थे, लेकिन सदर सीट पर पेच फंसा हुआ था। पूर्व राज्यमंत्री व सपा के कद्दावर नेता रहे स्व. चितरंजन स्वरूप के परिवार में भी विरासत को लेकर जंग चल रही है। चितरंजन स्वरूप के देहांत के बाद उनके बड़े बेटे गौरव स्वरूप ने दो बार चुनाव लड़ा और दोनों बार हार गए। इस बार गौरव स्वरूप के साथ ही छोटा भाई सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी तैयारी कर रहे थे। वहीं राकेश शर्मा भी दावेदारी कर रहे थे।

सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी ने बताया कि सौरभ स्वरूप का टिकट फाइनल हो गया है। वह रालोद कोटे से चुनाव लड़ेंगे। सिबल मिल गया है। गठबंधन धर्म का पालन करते हुए सौरभ को चुनाव लड़ाया जाएगा।

विरोध में फूंके पुतले

सोमवार को सौरभ स्वरूप के टिकट होने की सूचना इंटरनेट पर वायरल हुई, जिस पर बधाई और विरोध का दौर शुरू हो गया। शाम तक यह दौर चलता रहा। दोपहर को रोडवेज बस स्टैंड और कच्ची सड़क पर सौरभ स्वरूप के पुतले फूंके गए। सपा हाईकमान के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि टिकट चयन सही नहीं हुआ है। दो बार सपा ने वैश्य समाज के प्रत्याशी को टिकट दिया और दोनों बार पराजय हाथ लगी। इस बार ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए था। कहा कि ब्राह्मण समाज की राजनीतिक मोर्चा पर लगातार उपेक्षा की जा रही है। मांग की कि टिकट पर नए सिरे से विचार किया जाए।

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