'यारी' या शिवकुमार की 'खुमारी'

मनीष शर्मा, मुजफ्फरनगर वक्त किस कद्र और कितनी तेजी से बदलता है जिले में चल रहा लेखपाल प्रकरण उसका

By Edited By: Publish:Fri, 28 Nov 2014 01:52 AM (IST) Updated:Fri, 28 Nov 2014 01:52 AM (IST)
'यारी' या शिवकुमार की 'खुमारी'

मनीष शर्मा, मुजफ्फरनगर

वक्त किस कद्र और कितनी तेजी से बदलता है जिले में चल रहा लेखपाल प्रकरण उसका ताजा और जीवंत उदाहरण है। पूर्व लेखपाल शिवकुमार के कदम आज भले ही 'विलेन' बनने की ओर बढ़ रहे हैं, चंद महीने पहले तक वह लेखपाल संघ के 'लौहपुरुष' थे। सियासतदां आज पूर्व लेखपाल शिवकुमार से दामन कोसों दूर होने के दावे कर रहे हों, लेकिन कुछ समय पहले तक महिमा मंडन में कोई कसर नहीं छोड़ी।

हस्तिनापुर वन्य जीव विहार और ग्राम समाज की हजारों हेक्टेयर सरकारी जमीन के घोटाले के सूत्राधार शिवकुमार 31 दिसंबर 2013 को रिटायर हुए। सेवानिवृति पर शिवकुमार को समर्पित स्मारिका खोजी तो जल्दी हाथ नहीं लगी। स्मारिका पर गौर किया तो पाया कि समय कब और कैसे करवट ले ले? नहीं कहा जा सकता। करीब ग्यारह महीने पहले प्रकाशित स्मारिका में माननीयों ने शिवकुमार का खूब महिमा मंडन किया, जबकि शुक्रताल के कई संत-मंहतों ने पूर्व लेखपाल को गुणों की खान बताया। साथी लेखपाल तो चरण वंदना करते नहीं थके। स्मारिका में प्रकाशित शिवकुमार के अपने लेख 'मुझे भी कुछ कहना है' में भी हक-ओ-हुकूक की लड़ाई का जिक्र कम, अफसरों-सहकर्मियों में खौफ कायम करने की दास्ता ज्यादा लिखी।

बेटे राहुल ने भरा 'गागर में सागर'

स्मारिका पर नजर डालें तो 'मेरे पिता' शीर्षक से पुत्र राहुल गोयल ने 'गागर में सागर' भर दिया। राहुल के मुताबिक, '..क्योंकि अपनी तुच्छ बुद्धि से ऐसे कीर्तिवान व्यक्ति के बारे में अगर सारे समुद्र की स्याही व सारे वनों की लकड़ी को कलम भी बना लूं तो भी कीर्ति के कुछ ही शब्द लिखे जाएंगे।'

नक्श-ए-कदम पर जयभगवान

स्मारिका में निलंबित लेखपाल व तत्कालीन जिलाध्यक्ष लेखपाल संघ जयभगवान ने स्वीकारा कि शिवकुमार उसके प्रेरणास्रोत रहे हैं। सरकारी जमीन की बंदरबांट की परतें उधड़ीं तो जयभगवान ने साबित भी कर दिया कि वह वाकई शिवकुमार के नक्श-ए-कदम पर चले। स्मारिका में डीएम कौशल राज शर्मा व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर रहे ऋषिरेंद्र सिंह का भी पत्र है। दोनों ने ही स्मारिका के सफल प्रकाशन की शुभकामनाएं तो दीं, लेकिन व्यक्तित्व व्याख्यान नहीं किया।

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..तो शायद यह नौबत न आती

स्मारिका के पहले पेज पर ही जनकवि पंडित रामधारी सिंह 'दिनकर' के संग्रह 'सामधेनी' से 'सेनानी करो प्रयाण अभय भावी इतिहास तुम्हारा है..' पर नजर ठहरती है, जबकि सबसे अंतिम पृष्ठ पर मशहूर शायर कुंअर बेचैन, मंगल नसीम, अश्वघोष, अज्ञात की प्रेरणा दायक पंक्तियां ध्यान खींचती है। अगर इन पंक्तियों को सिर्फ स्मारिका पर छापने के बजाय, जीवन में उतारा जाता तो शायद यह नौबत नहीं आती।

माननीयों का 'शिव-पुराण'

''श्री शिवकुमार मेरे अत्यंत निकट एवं विश्वासपात्र रहे हैं। ये अनुभवी संवेदनशील-क‌र्त्तव्यनिष्ठ और योग्य लोक सेवक रहे हैं।''

-चितरंजन स्वरूप, राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार(पत्र दिनांक-07/12/2013)

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''श्री शिवकुमार ने अपने सेवा काल में दलित, वंचित एवं शोषित समाज के उत्थान के लिए काम किया है।''

-राजपाल सिंह सैनी, सदस्य, राज्यसभा (पत्र दिनांक नहीं)

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''श्री शिवकुमार अत्यंत लोकप्रिय एवं निर्भीक स्वभाव के व्यक्ति हैं।''

-अनिल कुमार, विधायक, बसपा (पत्र दिनांक-12/12/2013)

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''श्री शिवकुमार पूर्व जिलाध्यक्ष लेखपाल संघ से मेरी घनिष्ठता रही है। जनता के हितों के कार्यो में इनका सदैव योगदान रहा है। ''

-दीपक कुमार, अध्यक्ष-जोन 2, कांग्रेस एवं पूर्व मंत्री, उ.प्र.सरकार (पत्र दिनांक-14/12/2013)

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