इंसानियत पर भारी दंगे का 'शनि'

By Edited By: Publish:Sun, 27 Jul 2014 09:09 PM (IST) Updated:Sun, 27 Jul 2014 09:09 PM (IST)
इंसानियत पर भारी दंगे का 'शनि'

मुजफ्फरनगर : मुजफ्फरनगर में मजहबी नफरत से उठी फसाद की आंधी के बाद अभी लोग सीधे भी नहीं हो पाये थे कि इस नामुराद दंगे ने सहारनपुर में पांव जमा दिये। खास बात यह है कि मुजफ्फरनगर भी शनिवार को जल उठा था और सहारनपुर में भी इसी दिन नफरत के शोले उठे। यानी, दोनों ही जगहों पर शनिवार के दिन ही दंगे की शुरुआत हुई। यह महज इत्तेफाक हो सकता है लेकिन ज्योतिषीय विद्वान इस 'संयोग' की गणना अपने तरीके से कर रहे हैं।

शनिवार को सहारनपुर में हुए सांप्रदायिक दंगे ने मुजफ्फरनगर के बाशिदों को वह 'काली रातें' एक बार फिर याद दिला दी हैं। आज से दस माह पहले 27 अगस्त 2013 को कवाल में मलिकपुरा निवासी गौरव व सचिन और दूसरे पक्ष के शहनवाज के कत्ल के बाद एकाएक जिले की फिजा खराब हो उठी थी।

सात सितंबर-13 (दिन शनिवार) को नंगला मंदौड़ में महापंचायत के बाद जिले में हिंसा की आग जल उठी। चारों तरफ मारकाट मच गई और इंसान ही इंसान का दुश्मन बन बैठा। देखते ही देखते 50 से अधिक बेकसूरों को मौत की नींद सुला दिया गया। नफरत की ज्वाला ने जान, माल के साथ-साथ आपसी विश्वास को भी जलाकर खाक कर दिया था।

शासन प्रशासन व सामाजिक संस्थाओं के काफी प्रयास के बाद जिले के हालात सामान्य हुए। हालांकि यदा-कदा छोटी-छोटी घटनाएं भी सांप्रदायिकता का रूप ले लेती रही हैं। बेशक, वक्त के मरहम ने नफरत के जख्मों को किसी हद तक भर दिया है लेकिन सहारनपुर में दंगे की शुरुआत होते ही यहां के लोग हिल गये। मुजफ्फरनगर के बाद 26 जुलाई को सहारनपुर में दंगा भड़क उठा। खास बात यह है कि 26 जुलाई को भी दिन शनिवार ही था।

दहशत में मुजफ्फरनगर

सहारनपुर में दंगे की खबर मिलते ही यहां के लोग पूरी रात दहशत में हैं। समीपवर्ती जिला मुजफ्फरनगर में पूर्व में दंगा होने के कारण लोग डरे सहमे रहे। दंगे की खबर सुनते ही जिले के लोग सिहर उठे, क्योंकि यहां के लोगों ने दंगे के दर्द और तमाम दुश्वारियों को बहुत नजदीक से देखा है। महीनों तक यहां का कारोबार चौपट हो गया। यहां के लोग अमन चैन कायम रखने की कोशिश में जुटे रहे।

ज्योतिष की ज्योमेट्री

शनि, राहु व केतु की गणना ज्योतिष के आधार पर 'पाप ग्रहों' में की जाती है। इनका स्वाभाव द्वेष, क्रूर व मलिन होता है। अत: शनिवार में इसका विशेष प्रभाव रहता है। इस दिन दुर्घटना, फसाद अधिक होने की संभावना रहती है।

डा.अयोध्या प्रसाद मिश्र, ज्योतिषाचार्य शुक्रताल

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