शराब में नशे की गोलियां मिलाकर मार देता था यह गिरोह, पुलिस ने पकड़ा Moradabad News

एसपी देहात ने बताया कि गिरोह का सरगना ह्रïदेश कुमार नशे का आदी है। नशे की गोलियां खाने के बाद उन्हें गुस्सा आता है। इसी गुस्से में वह बेरहमी से हत्या कर देते हैैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Tue, 14 Jan 2020 07:40 AM (IST) Updated:Tue, 14 Jan 2020 06:45 PM (IST)
शराब में नशे की गोलियां मिलाकर मार देता था यह गिरोह, पुलिस ने पकड़ा  Moradabad News
शराब में नशे की गोलियां मिलाकर मार देता था यह गिरोह, पुलिस ने पकड़ा Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन।  ई- रिक्शा चालक संजीव कुमार और शिवशंकर लाल की हत्या ह्रïदेश गिरोह ने की थी। बिलारी पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत चार को गिरफ्तार करके दोनों हत्याओं का पर्दाफाश कर दिया है। हत्या ई-रिक्शा की बैटरी लूटने के लिए ही की गई थीं। आरोपितों की निशानदेही पर पुलिस ने लूटा गया ई-रिक्शा और बैटरी बरामद कर ली हैैं। 

यह है पूरा मामला 

बिलारी के गांव बिचौला में 25 दिसंबर को एक शव बरामद हुआ। मृतक की शिनाख्त सम्भल के कुढफ़तेहगढ़ के गांव कोकाबास निवासी शिवशंकर लाल के रूप में हुई थी। मझोला थाना के टीपीनगर चौकी के गागन वाली मैनाठेर की पुलिया के पास दो जनवरी की रात ई-रिक्शा चालक संजीव सिंह की हत्या कर दी गई थी। संजीव का ई-रिक्शा बुद्धि विहार में मिला और उसकी बैटरी गायब थी। संजीव मूल रूप से सम्भल के बनियाठेर थाना क्षेत्र के गांव अलीपुर बजुर्ग उर्फ बड़ा गांव का रहने वाला था। 

सर्विलांस में मिले अहम सुराग 

पुलिस लाइन में ब्रीफिंग के दौरान एसपी देहात ने बताया सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस की मदद से पुलिस को महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगे। प्रभारी निरीक्षक बिलारी गजेंद्र त्यागी की टीम ने मुख्य आरोपित हृदेश कुमार निवासी अलीपुर बुजुर्ग उर्फ बड़ागांव बनियाठेर सम्भल को पकड़ लिया। हृदेश ने पूछताछ में बताया सोनू उर्फ देवेंद्र और मोनू उर्फ महेंद्र निवासी हरथला रेलवे कालोनी के साथ मिलकर दोनों वारदात को अंजाम दिया है। गिरोह नशे की गोलियां खिलाकर हत्या करता है। सोनू और मोनू मूल रूप से बिजनौर के थाना नजीबाबाद के मुहल्ला धर्मदास के रहने वाले सगे भाई हैं। पुलिस ने रामपाल निवासी चंद्रनगर, थाना सिविल लाइंस को भी गिरफ्तार किया है। रामलाल लूटे गए ई-रिक्शा की बैटरी खरीदता है। 

लूटने के बाद सोनू-मोनू को सौैंप देता था ई-रिक्शा 

एसपी देहात ने बताया कि हत्या और लूट करने  के बाद ई-रिक्शा इन्हीं दोनों के सुपर्द कर देता था। दोनों उसकी बैटरी निकाल कर प्रिंस रोड पर दुकान चलाने वाले चंद्रनगर सिविल लाइंस रामलाल के यहां बैटरी बेचते थे। उनके पास से शिवशंकर लाल की हत्या कर लूटा गया ई-रिक्शा, उसका मोबाइल फोन व आधार कार्ड, मझोला में संजीव की हत्या के बाद लूटी गई ई-रिक्शा की चार बैटरी, 315 बोर का दो तमंचा, दो कारतूस और चाकू बरामद किया गया है। 

फरार आरोपितों में एक अधिवक्ता भी शामिल 

दो ई-रिक्शा चालकों की हत्या के मामले में फरार आरोपियों में एक योगेश कुमार निवासी अल्लीपुर बुजुर्ग उर्फ बड़ागांव हाल निवासी नया गांव मझोला मास्टर माइंड हृदेश का सगा भाई है। वह दोनों वारदात में हृदेश के साथ रहा। इसके अलावा एक फरार आरोपी कुन्दरकी थाना क्षेत्र के गांव शेखूपुर निवासी अधिवक्ता भी है। एसपी देहात ने बताया कि ई-रिक्शा चालक शिवशंकर लाल की हत्या के बाद आरोपित हृदेश ई-रिक्शा लेकर भागा तो उसके जैकेट पर खून लगा हुआ था। उसने जैकेट उतार कर फेंक दी थी। उसने सुबह छह बजे कॉल कर अधिवक्ता मुस्तकीम को वारदात के बारे में बताया। अधिवक्ता ने खून से सनी जैकेट नष्ट कराई। अधिवक्ता पर साक्ष्य मिटाने का आरोप है। 

ई-रिक्शा के आगे चल रहा था ह्रïदेश का भाई 

मझोला के एकता विहार निवासी ई-रिक्शा चालक संजीव कुमार को दो जनवरी को शाम साढ़े छह बजे ही ह्रïदेश कुमार के गिरोह ने अपने रडार पर ले लिया था। मंडी गेट से देशी शराब खरीदी। यहीं पर उसमेें नशे की दस गोलियां मिला दीं। नशा होने पर उसे गागन वाली मैनाठेर की पुलिया के पास ले गए। वहां संजीव कुमार की हत्या कर दी। पहचान मिटाने के लिए उसका सिर कुचल दिया। हत्या के बाद ह्रïदेश के साथ उसका भाई योगेश कुमार सफेद रंग की बाइक पर चल रहा था। सीसीटीवी फुटेज में वह पुलिस को दिखाई भी दिया था। 

हिस्ट्रीशीटर सोनू ने बिजनौर में डाला था सात करोड़ का डाका

जिले में दो ई-रिक्शा चालकों की हत्या करने वाले गिरोह के बदमाशों का अच्छा खासा आपराधिक इतिहास है। सोनू और मोनू के पिता रेलवे के कोलमैन पद से रिटायर हैं। वह हरथला रेलवे कालोनी में ही रहते हैं। सोनू बिजनौर जिले का हिस्ट्रीशीटर है। साल 2008 में सोनू ने बिजनौर के नागल सोती निवासी सर्राफ अरुण अग्रवाल की हत्या कर सात करोड़ का डाका डाला था। इस मामले में बिजनौर के एडीजी-2 कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मार्च 2019 में वह हाईकोर्ट से जमानत पर जेल से बाहर आया जबकि, आरोपित हृदेश ने 2009 में बदायूं के गांव पोई निवासी रामनिवास उर्फ भूरे की चाकूओं से गोदकर हत्या की थी। उसके खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी है। एसपी देहात उदय शंकर सिंह ने बताया कि ह्रïदेश कुमार गिरोह के यह दोनों भाईसक्रिय लुटेरे हैैं। 

मुरादाबाद जेल में हुई थीदोस्ती 

एसपी देहात ने बताया हृदेश और सोनू 2013 में मुरादाबाद जेल में बंद थे। सोनू को बिजनौर के एडीजी-2 कोर्ट से डकैती में दोषी होने पर सजा काट रहा था। वहीं दोनों की दोस्ती हुई थी। जेल से बाहर आकर दोनों ने गिरोह बना लिया। हृदेश भी अगस्त 2019 में जमानत पर जेल से बाहर आया है। वारदात में शामिल आरोपित सोनू का भाई मोनू ई-रिक्शा चालक है। एसपी देहात उदय शंकर सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट से सोनू जमानत पर है। उसकी जमानत रद्द कराने की कोशिश की जाएगी। 

मैनाठेर से भी ई-रिक्शा लूटने की कोशिश की थी 

पुलिस के अनुसार आरोपित हृदेश ने 12 नवंबर को भी ई-रिक्शा चालक की हत्या कर बैटरी लूटने की कोशिश की थी। तब बिलारी से मैनाठेर के लिए ई-रिक्शा बुक किया। बिलारी अड्डा और भिडवारी अड्डे पर ई-रिक्शा चालक को नशीली गोली शराब में मिलाकर पिला दी। उसके नशे में होने पर हृदेश ने मैनाठेर के कच्चे रास्ते पर उसे गिरा दिया। राहगीर दिखने पर चालक की हत्या नहीं कर पाया। ई-रिक्शा लेकर मझोला के मनोहरपुर पहुंच गया। रात साढ़े नौ बजे उसमें से चारों बैटरी निकाल लीं। मौके पर ही सोनू को बुलाकर वह बैटरी 8,800 रुपये में बेच दीं। 

मेडिकल स्टोर में मिली एक्सपायर और नशीली दवाइयां

बिलारी के ई-रिक्शा हत्याकांड का पर्दाफाश होने पर मेडिकल स्टोर से नशे की दवा उपलब्ध कराने की बात सामने आई। पुलिस ने औषधि विभाग के निरीक्षक मुकेश जैन के साथ चंद्रनगर स्थित पाशा मेडिकल स्टोर पर छापा मार। मेडिकल स्टोर मेहफूज अली के नाम पर है। टीम को संचालक दवा बेचने का लाइसेंस, बिल और स्टॉक के बिल नहीं दिखा पाए। कुछ दवाओं पर सीरियल नंबर भी नहीं पड़ा था। इसके अलावा नारकोटिक्स की सिम्पलेक्स, ट्रॉमाटोडॉल, डाइक्नोफिनेक, एल्प्राजोलाम, लोराजीपॉम की तीन हजार से ज्यादा टेबलेट मिलीं। एक्सपायरी दवा में 10 तरह की दवा मिली। इसमें प्रमुख दर्द निवारक, क्रीम और खांसी की दवाइयां शामिल थीं। औषधि निरीक्षक मुकेश जैन ने बताया कि पुलिस की सूचना के आधार पर छापा मारा गया था। एक्सपायर, नशीली और नकली दवाइयां मिली हैं। सभी को जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है। मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। 

2014 में भी पकड़ी गई थीं नशीली दवाइयां 

शहर की थोक मार्केट से लेकर गली-मुहल्ले के मेडिकल स्टोर पर भी नकली-नशीली दवाओं का काम शुरू हो गया है। 2014 में औषधि निरीक्षक रहे अमित कुमार बंसल ने चंद्रनगर के पाशा मेडिकल स्टोर पर छापा मारकर नशीली दवाओं का जखीरा पकड़ा था। दुकान संचालक अब्दुल रऊफ पाशा थे। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। अब वो तो बाहर हैं लेकिन, उसने भाई महफूज अली को मेडिकल स्टोर चलाने के लिए दे दिया। चेहरा बदला लेकिन, धंधा वही है। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि औषधि विभाग किन लोगों को लाइसेंस दे रहा है। 

नेताजी के दबाव में नशीली दवाओं की संख्या कम 

चंद्रनगर मेडिकल स्टोर पर औषधि विभाग ने छापा तो मार दिया लेकिन, नेताजी का फोन आने के बाद कार्रवाई ढीली कर दी गई। इस बीच मीडिया भी पहुंच चुकी थी। मीडिया को दिखाने के लिए हर दवा की चंद स्ट्रिप दिखाकर खानापूर्ति कर दी गई। सवाल ये है कि शहर में नशीली दवा बेचने वालों को नेताओं और विभाग का संरक्षण प्राप्त है तो इनके खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा।

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