लेखपालों की हड़ताल बन रही सर्वे में बाधा, नहीं हो पा रहा बर्बाद फसलों का आकलन Sambhal news

नुकसान का आकलन कराने में नाकाम कृषि विभाग ने अब बीमा कंपिनयों के कर्मचारियों के नंबर जारी कर किसानों से प्रार्थना पत्र देने की बात कही है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 12:58 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 12:58 PM (IST)
लेखपालों की हड़ताल बन रही सर्वे में बाधा, नहीं हो पा रहा बर्बाद फसलों का आकलन Sambhal news
लेखपालों की हड़ताल बन रही सर्वे में बाधा, नहीं हो पा रहा बर्बाद फसलों का आकलन Sambhal news

सम्भल, जेएनएन। बरसात व ओलावृष्टि से बर्बाद हुई किसानों की फसल का मुआवजा मिलना आसान नहीं लग रहा है। शुक्रवार को अधिकारियों द्वारा बर्बाद फसल का आकलन करने के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गई थी, जिसमें लेखपालों को भी शामिल किया गया था लेकिन, लेखपालों की हड़ताल के चलते शनिवार को टीम क्षेत्र में नहीं पहुंची। जबकि किसान इस समय मुआवजे की आस लगाए बैठे है। अब किसानों को खुद ही बीमा कंपनियों के कर्मचारियों से मिलकर प्रार्थना पत्र देना होगा। 

गुरुवार की रात हुई बारिश व ओलावृष्टि के चलते किसानों की आलू, सरसों, गेहूं, मटर समेत तमाम फसल बर्बाद हो गई। सबसे अधिक आलू व सरसों की फसल को नुकसान हुआ है। शुक्रवार को बारिश के बाद जिला कृषि अधिकारी नरेंद्र कुमार ने भी कहा था कि दो दिन के अंदर नुकसान के आकलन की रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट मिलते ही बीमा कंपनी के माध्यम से किसानों को मुआवजा दिलाया जाएगा लेकिन, शनिवार को लेखपाल नुकसान का आकलन करने के लिए गांवों में ही नहीं गए। ऐसे में किसानों को जो आस थी वह अब धूमिल होती हुई नजर आ रही है। 

किसानों को देना होगा प्रार्थना पत्र

जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि नुकसान का आकलन करने के लिए लेखपालों का साथ होना जरूरी है लेकिन, लेखपाल टीम के साथ नहीं गए। जिसके चलते आकलन नहीं हो सका। अब किसान 9410678656, 8449899503, 6395518950, 9997000082 पर फोन कर बीमा कंपनी के कर्मचारियों से मिलकर प्रार्थना पत्र दें। इसके बाद किसानों को मुआवजा दिलवाया जाएगा। 


फसल बीमा योजना की भी परीक्षा

फसल के नुकसान के बाद कृषि बीमा योजना के तहत किसानों को मुआवजा मिलता है लेकिन, अभी तक यह नौबत नहीं आई थी किसी को बीमा कंपनी से मुआवजा लेना पड़े। हालांकि गुरुवार की रात बरसात व ओलावृष्टि से तबाह हुई फसलों ने किसानों को संकट में डाल दिया है। किसानों का इतना नुकसान हुआ कि अगर उन्हें इस सहायता नहीं मिली तो किसान इतने नुकसान को सहन नहीं कर पाएगा। ऐसे में में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की इस बार परीक्षा होगी। देखना होगा कि इस योजना से किसानों को कितना लाभ मिलता है। 

जिस तरह किसानों की बरसात व ओलावृष्टि से बर्बादी हुई है। उससे किसानों को पार पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन सा नजर आ रहा है। ऐसे में किसानों को मुआवजे की आस है। किसानों को उम्मीद है कि इस बर्बादी से निकालने के लिए सरकार की तरफ से मुआवजा मिलेगा। आलू व सरसों की फसल लगभग तैयार हो गई थी। जो लागत दोनों फसलों में आनी थी वह भी लग चुकी थी। ऐसे में अब फसल काटकर किसानों को जो रुपये मिलते उनसे वह अपने परिवार का पालन पोषण करते। क्योंकि जो रुपये किसानों पर थे वह रुपये तो उन्होंने पहले ही फसल में लगा दिए थे। भले ही किसान मुआवजे की आस लगाए बैठो हो, लेकिन यह इतना आसान भी होने वाला नहीं है। उधर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की भी परीक्षा है। जब से यह योजना शुरू हुई तब से जिले में किसानों का इसका लाभ नहीं मिला है। क्योंकि तभी से किसानों फसल भी बरसात व ओलावृष्टि से बर्बाद नहीं हुई थी। अधिकांश किसानों की फसलों का बीमा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि किसानों को इस योजना का लाभ मिल पाता है या नहीं। जिला कृषि अधिकारी ने नरेंद्र कुमार ने बताया कि जब से यह योजना शुरू हुई तब से कोई दिक्कत फसल को नहीं हुई थी। किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए में लगातार बीमा कंपनी के संपर्क में हूं। 

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