मुरादाबाद में आठ बंदियों की रिहाई का रास्ता साफ

मुरादाबाद: जिला कारागार में अच्छे चाल-चलन के चलते आठ बंदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 11:20 AM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 11:20 AM (IST)
मुरादाबाद में आठ बंदियों की रिहाई का रास्ता साफ
मुरादाबाद में आठ बंदियों की रिहाई का रास्ता साफ

मुरादाबाद: जिला कारागार की चहारदीवारी के अंदर रहने के बाद भी अपराध से तौबा कर अच्छे कार्य किए जा सकते हैं। मुरादाबाद जेल प्रशासन ने शासन को जो सूची भेजी हैं, उसमें 30 ऐसे बंदियों के नाम दिए हैं, जो सलाखों के पीछे अपने गुनाहों की सजा काटने के बाद अच्छे कार्य भी कर रहे हैं। उनकी दिनचर्या पूजा अर्चना से शुरू होकर जेल में होने वाले अच्छे कायरें का हिस्सा बनने में रही है। जेल प्रशासन की ओर से ऐसे सभी बंदियों की रिहाई की माग करते हुए शासन को सूची भेजी है। हालाकि अभी सूची से सिर्फ आठ बंदियों की रिहाई का रास्ता साफ नजर आ रहा है। सरकार ने लिया है निर्णय

दो अक्टूबर को महात्मा गाधी की जयंती पर ऐसे बंदियों को रिहा करने का सरकार ने निर्णय लिया है, जो अपनी सजा का 66 फीसद समय जेल की चहारदीवारी में काट चुके हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक एसएस रिजवी ने बताया कि दो अक्टूबर को रिहाई के लिए जेल से 30 बंदियों की सूची शासन को भेजी है, ये वो बंदी हैं जिनकी 66 फीसद सजा जेल में कट चुकी है। उनके कार्यकाल में बाकी बंदियों को कोई परेशानी भी नहीं हुई। साथ ही उनमें सुधार हुआ है। बल्कि उन्होंने भविष्य में अपराध से दूर रहने की शपथ भी ली है। शासन की ओर से सभी बंदियों का पुलिस वेरीफिकेशन कराया गया, जिसमें सामने आया कि 22 बंदियों पर अन्य मुकदमे भी दर्ज हैं। ऐसे में उन 22 बंदियों की रिहाई के रास्ते में ब्रेक लग गया है, जबकि आठ बंदी ऐसे हैं, जिन पर कोई अन्य मुकदमा नहीं मिला है। ऐसे में उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। बाकी बंदी भी लें सबक

जेल में तीस बंदियों के व्यवहार को लेकर बाकी बंदियों के व्यवहार में सुधार की कवायद भी शुरू की जा रही है। उन्हें जेल में शिक्षा दी जा रही है। आत्मनिर्भर बनने के लिए कार्य भी कराया जा रहा है। कुछ बंदी तो ऐसे हैं, जो इसी कार्य से बाहर अपने परिवार को भी चला रहे हैं। शासन की ओर से मागी गई सूची: जेल अधीक्षक

दो अक्टूबर पर रिहाई के लिए शासन की ओर से अच्छे बंदियों की सूची मागी गई थी, जिनकी सजा 66 फीसद जेल में कट चुकी है। ऐसे में 30 बंदियों की सूची शासन को भेजी गई थी, जिनकी जाच में सामने आया कि 22 बंदियों के खिलाफ दूसरे अभियोग भी दर्ज हैं। ऐसे में उनकी रिहाई को लेकर शासन स्तर पर विमर्श किया जा रहा है।

-मोहम्मद, मुस्तफा हुसैन रिजवी, जेल अधीक्षक। उम्र के साथ ही टूट रही रिहाई की आस

कारागार में उम्र के नब्बे बसंत देख चुके बंदियों को अब सलाखों से बाहर आने की उम्मीद टूट चुकी है। शासन ने दो अक्टूबर को उम्रदराज बंदियों को रिहा करने का निर्देश जारी किया है। लेकिन शतरें का ऐसा तार बाधा है कि इसको तोड़ पाना किसी भी बंदी के लिए आसान नहीं हैं। कारागार में 80 से 100 वर्ष के बीच में चार बंदी हैं। जिनका कारागार में चलना-फिरना भी मुश्किल होता है। अफसरों और बंदी रक्षकों की देखभाल के चलते यह लोग कारागार में सहूलियत से सजा काट रहे है। इन बंदियों की रिहाई के लिए कई बार स्थानीय समिति के माध्यम से जेल अफसरों ने पत्र शासन को भेजा है। उम्र के इस पड़ाव में पहुंच चुके यह बंदी अब दो कदम चलने में दिक्कत महसूस करते हैं। ऐसे में अफसर भी चाहते हैं कि ये अब बाकी बचा अपने परिवार के साथ बिताएं। लेकिन कानून की बंदिशों के चलते इन्हें बाहर नहीं निकाला जा सकता है। हालाकि इन वृद्ध बंदियों के लिए जेल ही परिवार बन गया है। एक लंबे अर्से से इनके परिवार के लोग भी इनसे मिलने नहीं आते हैं। अक्सर त्योहार पर परिवार के व्यक्ति इनसे मिलने आते थे, लेकिन बीते कुछ वषरें से उन लोगों ने भी आना-जाना छोड़ दिया है। जिससे यह बंदी अवसाद ग्रस्त भी हो गए हैं। मानसिक स्थिति कमजोर होने के चलते इनकी याददाश्त भी कमजोर हो गई है। ऐसे में इन बंदियों के लिए जेल ही अब घर जैसी नजर आती है। शासन को भेजा गया है पत्र: जेलर

उम्रदराज बंदियों को छोड़ने के लिए शासन को उच्च अधिकारियों के माध्यम से पत्र भेजे गए हैं, लेकिन इन इस पर अभी तक विचार नहीं किया गया है। उम्मीद है शायद दो अक्टूबर के मौके पर यह उम्रदराज बंदी कारागार से बाहर निकल सकें। बंदियों को छोड़ने का अंतिम निर्णय शासन ही लेगा।

-जितेन्द्र प्रताप तिवारी, जेलर।

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