Amroha Bawankhedi Massacre : क्राइम सीन देख जांच अधिकारी ने पहचान लिया था कातिल, पहले ही सवाल पर उलझ गई थी शबनम

हत्‍याकांड के 72 घंटे में सुबूत के साथ दोनों कातिलों को गिरफ्तार कर ल‍िया गया था। जांच अधिकारी के सवालों का जवाब नहीं दे पाई थी शबनम। चाय की पत्‍ती के ड‍िब्‍बे में छ‍िपाकर रखे स‍िमकार्ड ने कई राज खोले थे।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 18 Feb 2021 03:16 PM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 03:16 PM (IST)
Amroha Bawankhedi Massacre : क्राइम सीन देख जांच अधिकारी ने पहचान लिया था कातिल, पहले ही सवाल पर उलझ गई थी शबनम
सीएम को बात मानने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

मुरादाबाद, जेएनएन। अमरोहा जनपद में बावनखेड़ी हत्याकांड के कातिलों को पकड़ना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी। एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या हो जाने के बाद सूबे की सियासत में भूचाल आ गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने घटनास्थल का दौरा करके पुलिस को जल्द घटना का पर्दाफाश करने के लिए कहा था। इस दौरान जब मुख्यमंत्री सांत्वना राशि की घोषणा करने जा रही थीं तो वहां, खड़े एक खाकी वर्दीधारी ने राहत मदद देने से रोक दिया था। इस दुस्साहस पर सीएम ने नाराजगी व्यक्त की थी। लेकिन, जब दारोगा अपनी बात पर अडिग रहे तो सीएम को बात मानने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

14-15 अप्रैल की रात साल 2008 में बावनखेड़ी में शबनम ने प्रेमी के साथ म‍िल पूरे परिवार की हत्या कर दी थी। उस दौरान आनन-फानन में उच्च अधिकारियों ने हसनपुर थाना इंचार्ज को निलंबित कर दिया था। जनता में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए पुलिस के भी हाथ-पैर फूल गए थे। जिसके बाद तत्कालीन अमरोहा देहात के थाना प्रभारी राकेश प्रसाद गुप्ता को इस केस की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मौजूदा समय में वह एक निजी विश्वविद्यालय में सुरक्षा अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि जब वह क्राइम सीन देखने के लिए मौके पर पहुंचे थे, उस दौरान ही उन्हें अहसास हो गया था, कि कातिल घर के अंदर का ही है। घटनास्थल का मुआयना करने के दौरान जिस तरह सात लोगों की गला रेतकर हत्या की गई थी, उसमें एक बात साफ हो गई थी, क‍ि सोने से पहले सभी को कोई नशीला पदार्थ खिलाया गया था। किसी भी व्यक्ति ने कोई विरोध नहीं दिया। वहीं सभी की गर्दन एक ही तरीके से कटी थी। शरीर पर कोई खरोंच तक के निशान नहीं थे, वहीं सातों लोगों का सिर एक ही दिशा की ओर था। यह देखते समझ में आ गया था, कि कोई घर के अंदर का व्यक्ति कातिल के साथ था। वहीं शबनम से जब पूछताछ की तो वह पहले ही सवाल का जवाब नहीं दे पाई थी। हत्या के बाद घर की छत में जाकर शबनम ने शोर मचाया कि उसके घर में लुटेरे घुस आए हैं और परिवार को मारकर चले गए हैं। जब शबनम से पूछा गया कि अगर लुटेरे आए थे तो घर का मुख्य दरवाजा अंदर से कैसे बंद हो गया। ग्रामीण शोर सुनकर घर में पहुंचे थे तो घर का दरवाजा अंदर से बंद होने की बात कही थी। इसके बाद जांच अधिकारी ने दूसरा सवाल छत में आने का पूछा तो शबनम ने जवाब दिया कि गर्मी बहुत थी तो छत पर आकर लेट गई थी। इस सवाल पर जांच अधिकारी आरपी गुप्ता ने कहा कि घर में पंखे और इनवर्टर लगे हैंं तो फिर छत में आने की क्या जरूरत थी। इस सवाल का जवाब भी शबनम नहीं दे पाई। उसी दौरान जांच अधिकारी समझ गए थे कि इस हत्याकांड में शबनम शामिल है।

पाकबड़ा से सलीम ने खरीदी थी नींद की गोली

अपने पूरे परिवार की हत्या करने की साजिश शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर रची थी। दो माह की गर्भवती होने के कारण शबनम अपने प्रेमी के साथ ही शादी करना चाहती थी, लेकिन परिवार इसके लिए राजी नहीं था। इसी कारण से उसने सभी को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली। हत्या वाले दिन शबनम ने सलीम को भेजकर नीद की गोली की दस गोलियाें का पत्ता मंगवाया था। स्थानीय स्तर पर किसी को शक न हो इसलिए पाकबड़ा के मेडिकल स्टोर से दवा मंगाई गई थी। घर में जांच के दौरान पुलिस को इसी दवा का खाली पत्ता मिला था। शाम को सोने से पहले दूध में इसी दवा को मिलाकर पूरे घर को पिला दिया गया था। जिसके बाद सभी बेहोश हो गए थे।

सलीम ने कुबूल कर लिया था जुर्म

हत्या के बाद जांच अधिकारी को किचन में रखे चाय की पत्ती के डिब्बे से एक सिम मिला था। इसी सिम की जब जांच की गई तो इसमें जो फोन किए गए थे, वह सलीम को किए गए थे। वहीं हत्या से पहले और बाद में पूरी रात शबनम ने 55 बार सलीम को फोन करके बात की थी। इस कॉल रिकार्ड के सामने आने के बाद पुलिस ने हत्यारे सलीम को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की तो उसने जुर्म को कुबूल कर करते हुए पूरी कहानी सुना डाली थी।

पुलिस अकादमी के पाठ्यक्रम में शामिल हुई विवेचना

इस केस के जांच अधिकारी रहे आरपी गुप्ता ने बताया कि इस केस की जांच को 72 घंटे में पूरा करके कातिलों को जेल भेज दिया गया था। इसके लिए राज्य सरकार ने भी उन्हें सम्मानित किया था। वहीं इस केस की विवेचना को डॉ. भीमराव आम्बेडकर अकादमी के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था। आज भी प्रशिक्षण के लिए आने वाले डिप्टी एसपी को इस विवेचना को पढ़ाया जाता है।

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