भवसागर से निकालने वाले श्रीराम को केवट ने कराया नदी पार
जागरण संवाददाता हलिया (मीरजापुर) आदर्श रामदरश रामलीला मंडली खटखरी मध्यप्रदेश द्वारा सु
जागरण संवाददाता, हलिया (मीरजापुर) : आदर्श रामदरश रामलीला मंडली खटखरी मध्यप्रदेश द्वारा सुखड़ा डाक बंगला के पास रामलीला मैदान पर आयोजित रामलीला में 'राम-केवट संवाद' दशरथ मरण का मंचन किया गया। भवसागर से पार कराने वाले भगवान श्रीराम को केवट ने नदी पार कराया। इस दौरान केवट की चतुराई भरी बातों से राम ही नहीं दर्शक भी दंग रह गए। रामलीला का शुभारंभ भगवान राम की आरती से हुई।
मंचन के दौरान राज दरबार व अयोध्या नगरी दु:ख के माहौल में डूबी थी। महराज दशरथ अचेतावस्था में थे। नगरवासी नहीं चाहते थे कि उनके प्रिय राम वन को जाएं। सभी कैकेयी को कोस रहे थे। सुमंत के साथ राम, लक्ष्मण व सीता वन के लिए रवाना हुए। भगवान राम के साथ नगरवासी भी नदी तट पर पहुंचने के बाद वापस लौटे। निषाद राज से मुलाकात हुई निषाद राज ने कहा कि प्रभु मैंने सुना है कि आपके पैरों में जादू है, आपके पैरों ने पत्थर को छुआ तो वह स्त्री हो गई। मेरी नौका तो काठ की है। उसकी चतुराई पर भगवान राम मुस्कराएं। निषादराज ने कहा कि मेरी नाव स्त्री बन जाएगी तो मेरा परिवार क्या खाएगा। कहा कि हम आपको नदी पार कराऊंगा लेकिन आपके चरण को धुलकर। भगवान के चरण धोकर केवट की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसके बाद सुमंत जब वापस अयोध्या पहुंचे तो राजा दशरथ ने पूछा कि राम जानकी कहां हैं। सुमंत जैसे ही बताया कि श्रीराम वापस नहीं हुए तो दशरथ ने राम राम कह कर प्राण छोड़ दिए। इस ²ष्य को देख दर्शक भाव विभोर हो गए। मंचन के दौरान व्यास- कृष्णकांत तिवारी, राम-साजन पांडेय, लक्ष्मण- राजाबाबू पुरी, सीता-घनश्याम पुरी, जनक-अवशेष तिवारी, हास्य व्यंग की भूमिका में देवराज पांडेय का योगदान उल्लेखनीय रहा।